इंजीनियर, डाक्टर, चार्टड अकाउंटेंट, वकील या कोई और, इस लॉकडाउन में सभी नित्य बर्तन माँज रहे हैं।
और बर्तन माँजते समय अपने अपने पेशे के हिसाब से सोच रहे हैं।
इंजीनियर की सोच-
ताम्बे और स्टील के बर्तन माँजना थोड़ा आसान हैं, ये प्लास्टिक के बर्तन तो साले तेल पीते हैं। चिकनाई छूटती ही नहीं। और ये काँच के बर्तन, हाथ से फिसल फिसल कर जाते हैं, अब तक 14 तो टूट चुके हैं। कितनी बार पत्नी को कहा कि धातु के बर्तन काम लिया करे लेकिन नहीं। कहती हैं काँच में क्लास हैं और टूट जाये तो मेरी क्लास हैं।
डाक्टर की सोच-
अरे बाप रे, इतनी चिकनाई खाते हैं हम लोग, ये तो ब्लड प्रेशर को आमंत्रण हैं। और ये क्या, सुबह शाम Ice cream? अरी सुनती हो, बच्चों के दाँत ख़राब करने हैं? और ये, सब्ज़ियों को तो सब झूठा ही डाल रहें हैं। हैल्थ ख़राब करके ही मानेंगे।
चार्टड अकाउंटेंट की सोच-
समझ में नहीं आता इतने बर्तन कैसे हो जाते हैं? घर में दिनभर में तीन बार चाय बनी थी तो ये चाय की 5 भगौनिया कैसे हो गयी? और ये तवा, इसे तो दिन भर में एक बार माँजना चाहिये, ये दोनों समय सिंक में कैसे आ जाता हैं। गंदे चम्मच तो देखो, लगता हैं बारात जीम कर गयी हैं। कुछ नियम बनाना पड़ेगा, आज के बाद एक सदस्य दिन भर में एक ही चम्मच काम लेगा।
वकील की सोच-
केस करूँगा केस, कोर्ट में घसीटूँगा सालो को। झूठे विज्ञापन देते हैं। ये घड़ी डिश वाशिंग पाउडर वाले कहते हैं, चुटकी भर लगाओ, बर्तन काँच से चमकाओ। पाव भर पाउडर लग गया और बर्तन चिकने के चिकने। और ये हाथी डिश वाशिंग पाउडर? कहते हैं, मुलायम त्वचा का साथी, डिश वाशिंग पाउडर हाथी। हथेलियाँ तीस साल आगे चली गयी हैं। सब को कोर्ट ले जाऊँगा।