सेंव सिरफ़ उन पवित्र आत्माओं को नसीब होती है जीनोने मालवा की पवित्र माटी पे जनम लिया हो या फिर कई से इम्पोर्ट हो के या पे भरा गए हो (उनमें भी कई खोडले होते है जिनको या तो सेंव पसंद नि आती है या फिर डाक साब उनकी किस्मत में रायता फैला देते है)
सेंव मुख्यतः दो प्रकार की होती है "बारीक़ सेंव" और "मोटी सेंव" (बाकि सभी नकली साइज से सावधान रहे)
ये मुख्यत बेसन का बलिदान दे के बनाई जाती है(कभी कभी तेवड़े की दाल भी बेसन के साथ सती हो जाती है) बाकि आजकल अपने अपने चटोरे पन के हिसाब से इसमें चाहे जो आयटम मिलाके सेंव के केरेक्टर को खराब करने की साजिश चल री हेगी जैसे लोंग, टिमाटर, पालक, और न जाने क्या क्या... मिच्चर, डंठल, टेस्टी सब सेंव के कजिन हैं।
सेंव की पार्टनरशिप मुख्यतः पोये के साथ होती है बाकि असली इन्दोरी इसे हर उस आयटम में मिलाता है जिसे वो खा या पि सकता है मतलब यूँ देखो की सूबे मॉर्निंग में नाश्ते से ले के तो रात को "खार-मंजन " तक ये ही हमारा साथ निभाती है...
इंदौर में इसको बनाने के पवित्र सामाजिक कार्य में काफी सारे महानुभाव लगे हुवे हैं। इंदौर की सेंव, उज्जैन की सेंव, रतलाम की सेंव बोल के हर शहर में मिलती है।
जैसे सेंव खाने वाला सेंव खाना रोक नि सकता है वैसे सेंव पे लिखने वाला भी लिखना रोक नि सकता है, पर समय सीमा का ध्यान रखते हुवे मै अपना निबंध यही समाप्त करता हुं। साभार : सोशल मीडिया