• अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य क्या है।
• 8 मार्च को मनाया जाएगा विश्व महिला दिवस
Womens Day 2024: प्रस्तावना : प्रत्येक वर्ष 8 मार्च को 'अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस' मनाया जाता है। यह दिवस मनाने के पीछे मुख्य उद्देश्य महिलाओं के प्रति मान-सम्मान, प्रशंसा और प्रेम प्रकट करते हुए महिलाओं के आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक उपलब्धियों एवं कठिनाइयों की सापेक्षता के उपलक्ष्य में उत्सव के तौर पर मनाया जाता है।
सबसे पहले सन् 1909 में न्यूयॉर्क शहर में 'अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस' एक समाजवादी राजनीतिक कार्यक्रम के रूप में आयोजित किया गया था। फिर सन् 1917 में सोवियत संघ ने इस दिन को एक राष्ट्रीय अवकाश घोषित किया और यह आसपास के अन्य देशों में फैल गया। यह दिवस आज के समय में कई पूर्वी देशों में भी मनाया जाता है।
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस का इतिहास : अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस का आयोजन सबसे पहले एक श्रम आंदोलन के रूप में शुरू हुआ था जिसे संयुक्त राष्ट्र ने प्रतिवर्ष आयोजन के तौर पर स्वीकृति दी थी। इस आयोजन की शुरुआत 1908 में हुई थी। जब न्यूयॉर्क शहर में 15 हजार महिलाओं ने काम के घंटे कम करने, बेहतर वेतन और वोट देने की मांग के साथ विरोध प्रदर्शन निकाला था।
इसके एक साल बाद अमेरिकी सोशलिस्ट पार्टी ने पहली बार राष्ट्रीय महिला दिवस मनाने की शुरुआत की थी, लेकिन इस दिन को अंतरराष्ट्रीय बनाने का विचार क्लारा जेटकिन नामक महिला के दिमाग में सबसे पहले आया था। उन्होंने अपना ये आइडिया 1910 में कोपनहेगन में आयोजित 'इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस ऑफ वर्किंग वीमेन' में दिया था।
उस समय इस कॉन्फ्रेंस में 17 देशों की 100 महिला प्रतिनिधि हिस्सा ले रही थीं और सभी ने क्लारा के सुझाव का स्वागत किया था। इसके बाद अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पहली बार 1911 में ऑस्ट्रिया, डेनमार्क, जर्मनी, स्विट्जरलैंड में मनाया गया। इसका शताब्दी आयोजन वर्ष 2011 में मनाया गया था।
भारतीय नारी इतिहास की दृष्टि से: भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अरुणा आसफ अली, सुचेता कृपलानी, कस्तूरबा गांधी आदि जैसी कई प्रसिद्ध महिलाओं ने इस आंदोलन में अपने मन, वचन व कर्म से सारे विश्व में भारत का नाम रोशन किया है। महात्मा गांधी की पत्नी कस्तूरबा गांधी ने तो गांधी जी का बायां हाथ बनकर उनके कंधे से कंधा मिलाकर देश को आजाद करवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। साथ ही देश की कई ऐसी क्रांतिवीर महिलाएं पुतलीबाई, जीजाबाई, रानी दुर्गावती, झांसी की रानी लक्ष्मीबाई, देवी अहिल्याबाई होलकर, मदर टेरेसा, इला भट्ट, महादेवी वर्मा आदि नारियों का इतिहास आज भी कम महत्वपूर्ण नहीं है।
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस में रंगों की महिमा : अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस को 'बैंगनी, सफेद और हरा' ये तीनों रंग प्रदर्शित करते हैं। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस कैंपेन के मुताबिक बैंगनी रंग न्याय और गरिमा, हरा रंग उम्मीद का और सफेद रंग शुद्धता का सूचक है। ये तीनों ही रंग सन् 1908 में ब्रिटेन की 'वीमेंस सोशल एंड पोलिटिकल यूनियन' ने तय किए थे।
नारी का अस्तित्व : महिला, स्त्री, नारी यानी मां अर्थात् माता के रूप में नारी, धरती पर सबसे पवित्रतम रूप यानी जननी के रूप में उपस्थित है। इसीलिए तो एक मां को ईश्वर से भी बढ़कर माना जाता है, क्योंकि ईश्वर की जन्मदात्री भी नारी ही रही है। किंतु अब बदलते समय में संतानों ने अपनी मां को महत्व देना कम कर दिया है। यह चिंताजनक विषय है।
आजकल जहां लड़कियां हर क्षेत्र में बाजी मार रही हैं। हर क्षेत्र में अपने कार्य के प्रति मेहनत, लगन और समर्पण की भावना इनमें देखी जा सकी हैं, जो कि दुनिया के लिए गर्व का विषट हैं। अत: इनकी उपेक्षा करने के स्थान पर इनकी प्रतिभा का सम्मान किया जाना चाहिए। आज हर क्षेत्र में नारी पुरुषों के कंधे से कंधा मिलाकर साथ चलती हुई देखी जा सकती है।
उपसंहार : हमेशा से ही महिलाओं के साथ अभद्रता, छेड़छाड़, बलात्कार आदि की खबरें हम प्रतिदिन ही अखबार, न्यूज चैनलों या कहीं न कहीं सुनते, पढ़ते व देखते रहते हैं। और इन सब खबरों सचेत होकर हमें हर महिला के प्रति सम्मान और आदर्श नारी का भाव मन में रखते हुए उसका सम्मान कैसे किया जाए, इस पर विचार अवश्य ही करना चाहिए। यदि कहीं पर आप किसी महिला के साथ कुछ गलत होते हुए देखते हैं तो आपको तुरंत ही अपना दायित्व निभाते हुए उसकी रक्षा और उसको संरक्षण देना चाहिए।
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