पूरी दुनिया सहित भारत में कोविड के केस में कमी दर्ज की जा रही है। कोविड के अलग-अलग वैरिएंट से मची तबाही की रफ्तार 2022 में थमती नजर आ रही है। अन्य बीमारियों से भारत पहले ही लड़ चुका है। जिसमें मुख्य रूप से पोलियो, मलेरिया, कुष्ठ रोग, हैजा, प्लेग और चेचक। 100 से अधिक देशों में फैल चुके वायरस से लाखों लोगों की मौत हो चुकी है। भारत में अब जल्द ही इस बीमारी को एंडेमिक घोषित किया जा सकता है। लेकिन इससे पहले WHO ने कोविड महामारी को एपिडेमिक, पैनडेमिक और फिर एंडेमिक घोषित किया है। आइए जानते हैं।
एपिडेमिक - अगर कोई गंभीर बीमारी सिर्फ एक निश्चित भू-भाग यानी सीमित क्षेत्र तक ही फैलती है तो उस बीमारी को एपिडेमिक कहते हैं।इसमें भी मरीजों की संख्या बढ़ सकती है और मौत का आंकड़ा भी बढ़ सकता है।
पैनडेमिक - इसका मतलब होता है दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में यह बीमारी तेजी से फैलती है। वर्तमान में कोविड महामारी को WHO ने पैंडेमिक घोषित किया। दुनिया में इस महामारी ने तबाही मचा दी थी। जिस वजह से लाखों लोगों की जान चली गई। इससे बचाव के लिए दुनियाभर में कोविड-19 रोधी टिके लगाए गए है। वहीं जब 2022 एक बार फिर से कोविड पीक पर आने लगा तो प्रिकॉशनरी डोज शुरू किए गए। इससे पहले दुनियाभर में स्वाइन फ्लू का कहर था। जिस दौरान लाखों लोगों की मौत हो चुकी थी। 2009 में इस बीमारी को महामारी घोषित किया गया था।
एंडेमिक - जिस तरह से मामले कम हो रहे हैं। उससे संभावना जताई जा रही है कि WHO जल्द ही इसे एंडेमिक घोषित कर सकता है। डॉ सौम्या स्वामीनाथन के मुताबिक एंडेमिक वह स्टेज होती है जब उसे पूरी तरह से खत्म करने की संभावना खत्म हो जाती है। लोगों को हमेशा इंफेक्शन के साथ ही जीना पड़ता है।
महामारी को पूरी तरह से खत्म करना मुश्किल
कोविड से पहले भी ऐसी कई बीमारियां है उन्हें पूरी तरह से खत्म करना मुश्किल है। वह किसी न किसी रूप में मौजूद रहते हैं। उन्हें पूरी तरह से खत्म करना संभव नहीं है। जैसे प्लेग बीमारी खत्म तो हो चुकी है लेकिन यह हर दशक में यह बीमारी लोगों को प्रभावित करती है। विशेषज्ञों के मुताबिक स्मॉल पॉक्स ही ऐसी बीमारी है जिसे वैक्सीनेशन के जरिए समाप्त किया जा चुका है।