साउथ अफ्रीका से निकला कोरोना का नया वैरिएंट दुनियाभर के लिए चिंता का विषय बन गया। एक्सपर्ट के मुताबिक ओमिक्रोन, डेल्टा से अधिक तेजी से फैलता है।गौरतलब है कि ब्रिटेन में ओमिक्रोन के 1 दिन में 10 हजार से अधिक मामले सामने आए है। वहीं नीदरलैंड में बढ़ते मामलों को देखते हुए सख्ती से लॉकडाउन लगाया गया है। ओमिक्रोन के मामले अब भारत में भी बढ़ने लगे हैं। फिलहाल जिस तरह से ओमिक्रोन के मामले एक या दो सामने आ रहे हैं यह एक तरह से फिर से सक्रिय होने के संकेत ही समझना होगा। एम्स (AIIMS) निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया ने कहा कि भारत में भी तीसरी लहर आ सकती है।
अभी तक यह अंदेशा लगाया जा रहा था कि देश के एक-एक क्षेत्र को वैक्सीन के दोनों डोज लेने पर हाइब्रिड इम्यूनिटी विकसित हो सकती है लेकिन 70 गुना तेजी से फैलने वाले ओमिक्रोन पर वैक्सीन का प्रभाव बेहद कम नजर आ रहा है। अमेरिका में हाल ही में हुए एक शोध में यह सामने आया है कि भारत में 90 फीसदी लोगों ने कोबी शील्ड टीका लगाया है। जिन पर ओमिक्रॉन का खतरा मंडरा रहा है। ब्रिटेन में हुई एक रिसर्च में यह दावा किया गया है कि कोरोना वैक्सीन इसे रोकने में कारगर नहीं है। लेकिन राहत की बात यह है कि ओमिक्रॉन से संक्रमित लोग गंभीर रूप से बीमार नहीं हो रहे हैं।
लेकिन अगर ओमिक्रॉन कम्युनिटी स्प्रेड बनता है तो यह खतरा साबित हो सकता है। ऐसे में एक्सपर्ट के मुताबिक जिस भी क्षेत्र में ओमिक्रोन के मामले सामने आ रहे हैं वहां अधिक से अधिक टेस्टिंग बढ़नी चाहिए। जीनोम सीक्वेंसिंग होनी चाहिए, सोशल डिस्टेंसिंग रखें, मास्क लगाएं और भीड़भाड़ वाले इलाके से खुद को बचाकर रखें।
कोविड टीका छह माह तक प्रभावशाली
भारत के संदर्भ में स्टडी की बात करें तो इसमें कहा गया है कि टीका लगवाने के छह माह बाद ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका वैक्सीन में ओमिक्रोन का संक्रमण रोकने की क्षमता बिल्कुल नहीं दिखी है। भारत में टीका लगाने वाले 90 प्रतिशत लोगों ने एस्ट्राजेनेका वैक्सीन ही कोविशील्ड ब्रांड नाम के तहत लगवाई है। वहीं विश्व के अधिकांश देशों का टीकाकरण इसी वैक्सीन पर आधारित है इसलिए महामारी की नई लहर का असर व्यापक हो सकता है।