मुंबई। एक तरफ देश में कोरोनावायरस (Coronavirus) संक्रमण के मामले लगातार बढ़ रहे हैं, वहीं मुंबई में कोरोना मामलों पर अचानक ब्रेक लगने से सभी हैरान हैं। पिछले दिनों में लगातार 20 हजार से ज्यादा मामले सामने आ रहे थे, लेकिन फिलहाल यह आंकड़ा घटकर 11 हजार के आसपास आ गया है।
मुंबई में तीन दिन तक लगातार संक्रमण का आंकड़ा 20 हजार से ऊपर आया था। 7 जनवरी को संक्रमितों की संख्या 20 हजार 971 थी, लेकिन 11 जनवरी को यही आंकड़ा आश्चर्यजनक रूप से घटकर 11 हजार 647 हो गया। पॉजिटिविटी रेट भी 23 से घटकर 18.75 फीसदी पर आ गई।
यह आंकड़ा इसलिए भी चौंकाता है क्योंकि आबादी के मान से मुंबई देश का सबसे बड़ा शहर है। वहीं राजधानी दिल्ली में संक्रमितों का आंकड़ा भी 20 हजार के आसपास पहुंच गया है। यह भी माना जा रहा है दिल्ली में संक्रमितों की संख्या और बढ़ सकती है। मुंबई में मंगलवार को 11,647 नए कोरोना मरीज दर्ज किए गए। दो मरीजों की मौत हो गई। एक्टिव मरीजों की संख्या 1 लाख से ज्यादा हो गई है।
जानकारों की मानें तो मुंबई में टेस्ट कम हो गए हैं और लोग भी अस्पतालों में भर्ती होने के डर से लोग टेस्ट नहीं करवा रहे हैं। हल्के लक्षण दिखने पर वे घरों में ही आइसोलेट हो रहे हैं। ऐसे में संक्रमितों की कम संख्या को कम होने वाले टेस्ट से ही जोड़कर देखा जा रहा है।
वेबदुनिया से बातचीत में महामारी विशेषज्ञ डॉ. रमन गंगाखेडकर कहते हैं ओमिक्रॉन वैरिएंट के लक्षण माइल्ड हैं इसलिए संक्रमित लोग आरटीपीसीआर टेस्ट से बचने की कोशिश कर रहे हैं। इसके चलते भी नए केसों की संख्या ठहर गई है। इसके साथ ही लोगों में पॉजिटिव पाए जाने पर अस्पताल और कोविड केयर सेंटर में भर्ती कराए जाने का का डर भी है, इसलिए लोग हल्के लक्षण होने पर टेस्ट से बचने की कोशिश कर रहे हैं। सामान्य तौर पर देखा जाता है कि बुखार, सर्दी, खांसी, जुकाम से पीड़ित लोग तब तक टेस्ट नहीं कराते जब तक कि उनकी सांस नहीं फूलती है।
इस बीच, मुंबई समेत महाराष्ट्र में फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं और वरिष्ठ नागरिकों को एहतियाती खुराक और बूस्टर खुराक मिलना शुरू हो गई है, वहीं ऐसे लोगों की संख्या भी कम नहीं है, जिन्होंने वैक्सीन की एक भी खुराक नहीं ली है। राज्य में अब तक 98 लाख लोगों को कोरोना वैक्सीन की एक भी खुराक नहीं मिली है।
टीका नहीं लगवाने वालों को ज्यादा खतरा : मुंबई की मेयर किशोरी पेडनेकर ने भी कहा है कि पिछले दिनों कोरोना मुंबई में पांव पसार रहा था, लेकिन अब हालात काबू में हैं। उन्होंने लोगों से टीका लगवाने की अपील भी की है। उन्होंने कहा कि टीका लगाने के बाद भी कोरोना तो होता है, लेकिन लक्षण हल्के रहते है। दूसरी लहर में कोरोना से होने वाली कुल मौतों में से 94 प्रतिशत ऐसे थे, जिन्होंने टीका नहीं लगाया था। हालांकि विशेषज्ञ मानते हैं तीसरी लहर में संक्रमितों की संख्या दूसरी लहर से काफी ज्यादा होगी।
डॉ. गंगाखेडकर कहते हैं कि कोरोना की दूसरी लहर में हमने एक दिन में 4 लाख मामलों का रिकॉर्ड देखा था। तीसरी लहर में यह रिकॉर्ड टूटेगा और इससे कहीं अधिक मामले सामने आएंगे इसमें कोई शक नहीं है। तीसरी लहर के पीक में कितने केस आएंगे इसकी संख्या केवल टेस्ट पर निर्भर होगी। ओमिक्रॉन वैरिएंट जो माइल्ड लक्षणों वाला है, ऐसे में अगर एक घर में 5 से 6 लोग रह रहे हैं और एक व्यक्ति ओमिक्रॉन पॉजिटिव पाया गया तो अन्य लोग टेस्ट के लिए आगे आएंगे, यह भी एक बड़ा सवाल है।
क्या पीक आ गया? : दूसरी ओर, महाराष्ट्र कोविड टास्क फोर्स के सदस्य डॉ शशांक जोशी का कहना है कि शहर की कोरोना रिपोर्ट के अनुसार, मुंबई में संक्रमण अपने चरम (पीक) को पार कर गया है। ऐसे में तीसरी लहर जल्द ही स्थिर हो सकती है। हालांकि जोशी यह भी कहते हैं कि बीते तीन से 4 दिनों में एक प्रवृत्ति देखने में आ रही है जो बताती है कि मामलों की संख्या तीन कारणों से कम हो सकती है।
उन्होंने कहा कि बहुत सारे लोग घर पर सेल्फ आइसोलेशन में हैं और टेस्ट नहीं करवा रहे हैं तथा बहुत से सेल्फ टेस्ट कर रहे हैं, लेकिन रिपोर्ट नहीं कर रहे हैं। अत: यह भी हो सकता है कि हमें सही संख्या की जानकारी नहीं है।