एक दौर था जबकि घरों में सिगड़ी या चूल्हे पर खाना बनाया जाता था। उसी की आग में रोटियां भी सेंकी जाती थी। फिर घासलेट का स्टोव चलन में आया और अब गैस की टंकी का जमाना है। पहली बार जिसने भी गैस की आंच पर सिंकी हुई रोटी खाई होगी उसे पता होगा कि इसमें कितना गैस का स्वाद रहा होगा। सिगड़ी की आंच पर सेंकी गई रोटी का स्वाद अलग, तवे की रोटी का स्वाद अलग और गैस की आंच पर सेंकी गई रोटी का स्वाद अलग होता है।
घर में कई महिलाएं तवे की बजाए गैस की आंच पर रोटियां सेंकती हैं। यानी जब तवे पर थोड़ी बहुत रोटी सिंक जाती है तब उसे फूलाकर सेकने के लिए गैस की आंच का उपयोग किया जाता है क्योंकि इस पर सेंकने के बाद रोटियां कुरकुरी लगती है, लेकिन यह सेहत के लिए हानिकारक मानी जाती है।
जर्नल एनवायरमेंटल साइंस एंड टेक्नोलॉजी के एक शोध के अनुसार इस तरीके से रोटी सेंकने से एयर पोल्यूटेंट निकलती है जिसे डब्ल्यूएचओ (WHO) ने हानिकारक बताया है। उन पॉल्यूटेड एयर का नाम कार्बन मोनो ऑक्साइड, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड बताया गया है जो श्वास और दिल की बीमारी का खतरा बढ़ा देते हैं और साथ ही इससे इससे कैंसर होने की संभावना भी बढ़ जाती है।
दूसरी ओर न्यूट्रिशन एंड कैंसर जर्नल में प्रकाशित एक अन्य शोध के अनुसार गैस की तेज आंच पर खाना पकाने से कार्सिनोजेनिक पैदा होते हैं जिन्हें शरीर के भीतरी अंगों के लिए सही नहीं माना जाता। उल्लेखनीय है कि गेहूं के आटे में नेचुरल शुगर और प्रोटीन होता है जिसे यदि सीधी आंच पर गर्म करेंगे तो कार्सिनोजेनिक पैदा होता है। इससे पहले 2011 में फूड स्टैंडर्ड ऑस्ट्रेलिया एंड न्यूजीलैंड के वैज्ञानिक डॉ. पॉल ब्रेंट द्वारा प्रकाशित रिसर्च में भी यही खुलासा हुआ था।
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