गणेश चतुर्थी के दिन गणेशोत्सव में भगवान गणेशजी की 10 दिन के लिए स्थापना करके उनकी पूजा अर्चना की जाती है। कुछ राज्यों में यह गणेश उत्सव तीन दिन तक ही चलता और बाद में विसर्जन किया जाता है। 10 दिन अर्थात अनंत चतुर्दशी तक चलने वाले इस उत्सव में कुछ क्षेत्रों में अंतिम झांकियां निकाली जाती हैं। 10 दिन उस्व में गणपति जी को 10 दिन तक भिन्न-भिन्न प्रकार का भोग लगाया या प्रसाद चढ़ाया जा सकता है।
1.मोदक के लड्डू : गणेशजी को मोदक के लड्डू बड़े प्रिय हैं। मोदक भी कई तरह के बनते हैं। महाराष्ट्र में खासतौर पर गणेश पूजा के अवसर पर घर-घर में तरह-तरह के मोदक बनाए जाते हैं।
2. मोतीचूर के लड्डू : गणेशजी को मोदक के बाद नैवेद्य के रूप में मोतीचूर के लड्डू का भी भोग लगता है। इन्हें ही बूंदी के लड्डू भी कहते हैं। इसके अलावा उन्हें शुद्ध घी से बने बेसन के लड्डू भी पसंद हैं। तील और सूजी के लड्डू भी उनको अर्पित किए जाते हैं।
3. नारियल चावल : यह दक्षिण भारत में बनाया जाता है। नारियल के दूध या पानी में चावल को भिगोगर या नारियल के गुदे को चावल में मिलाकर पकाने से बनना है।
4. सतोरी या पुरण पोली : यह खोआ या मावा, घी, बेसन और दूध से बना एक महाराष्ट्रीय व्यंजन है। यह रोटी की तरह गोल होता है। पुराण पोली में चले की दाल में गुढ़ मिलाकर उसे मिसकर उसे रोटी में भरा जाता है। जैसे आलू का पराठा बनता है उसी तरह से यह पुरण पोली बनाई जाती है।
5. श्रीखंड : केसर मिला पीला श्रीखंड का भोग भी उन्हें लगाया जाता है। दही से बने इस मिष्ठान में किशमिश और चारोली मिलाकर इसके भोग लगाएं। श्रीखंड के अलावा आप पंचामृत या पंजरी का भी भोग लगा सकते हैं।
6. केले का शीरा : मैश किए हुए केले, सूजी और चीनी से बना शीरा सूची के हलवे की तरह होता है। यह भी गणेशजी का प्रिय भोजन माना जाता है। उन्हें केले का प्रसाद भी अति प्रिय है। केले का ये प्रसाद हाथी को भी खिलाना चाहिए।
7. रवा पोंगल : इसे रवा अर्थात सूजी और मूंग के सात घी डालकर बनाया जाता है। इसमें किशमिशल काजू और बादाम डाला जाता है। इसे मूंग का हलवा ही मानें। इसके अलावा आपन चाहें तो सूजी के हलवे का भोग भी लगा सकते हैं।
8. पयसम : यह भी एक पारंपारिक दक्षिण भारतीय खीर है। इसे दूध और चीनी या गुड़ के साथ बनाया जाता है और फिर इसमें चावल या सेंवई मिलाई जाती है। अंतिम रूप से इलायची पाउडर, घी और अन्य ड्राई फ्रूट्स को इसमें परम स्वाद और गार्निशिंग के लिए डाला जाता है। आप चाहें तो राईस या साबूदाने की खीर भी बना सकते हैं।
9. शुद्ध घी और गुड़ का भोग लगाएं : उन्हें शुद्ध घी में देशी गुड़ मिलाकर उसका भी भोग लगते हैं। इसके अलावा आप चाहें तो भगवान गणेश को चतुर्थी के दिन आप छुआरे, परमल, नारियल और मिश्री का भोग भी लगा सकते हैं।
10. शमी के पत्ते और दुर्वा : गणेश जी को भोग के साथ शभी के पत्ते और दुर्वा भी चढ़ाई जाती है। उन्हें 21 गुड़ की ढेली के साथ दूर्वा चढ़ाने से सभी तरह की मनोकामना पूर्ण होती है। शमी भी गणेशजी को अत्यंत प्रिय है। शमी के कुछ पत्ते नियमित गणेश जी को अर्पित करें तो घर में धन एवं सुख की वृद्धि होती है। अगर आपके जीवन में बहुत परेशानियां हैं, तो आप गणेश चतुर्थी के दिन हाथी को हरा चारा खिलाएं।