Ganesh Chaturthi : चतुर्थी का चंद्र देखने से क्यों बचें

अनिरुद्ध जोशी
शुक्रवार, 21 अगस्त 2020 (13:16 IST)
भद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहते हैं। इस दिन भगवान गणेश जी का जन्मोत्सव मनाया जाता है। परंपरा से यह प्रचलित है कि इस दिन चंद्र या चांद को नहीं देखना चाहिए। आखिर क्यों नहीं देखना चाहिए, जानिए।
 
क्या मान्यता है : कहते हैं कि चतुर्थी का चंद्र देखने से व्यक्ति पर झूठे आरोप लग सकते हैं। खासकर चोरी का आरोप लग सकता है। व्यक्ति आरोप प्रत्यारोप में फंस सकता है। इस संबंध में दो कथाएं प्रचलित हैं।
 
क्यों नहीं करते हैं चंद्र दर्शन : पौराणिक कथा के अनुसार एक बार जब देवताओं द्वारा पृथ्‍वी परिक्रमा की प्रतियोगिता हुई तो कार्तिकेय सहित सभी देवता परिक्रमा पर निकल गए परंतु गणेशजी द्वारा माता-पिता के रूप में पृथ्वी की सबसे पहले परिक्रमा करने के कारण वे अग्रपूज्य हुए। सभी देवताओं ने उनकी स्तुति और प्रार्थना की परंतु चंद्रदेव ने ऐसा नहीं किया, क्योंकि उन्हें अपनी शक्ति और सौंदर्य पर अभिमान था। गणेशजी समझ गए कि इसमें अहंकार आ गया है तो क्रोध में आकर गणेशजी ने उन्हें श्राप दे दिया कि आज से तुम काले हो जाओगे। यह सुनकर चंद्रमा को अपनी भूल आ अहसास हुआ। तब उन्होंने गणेशजी की स्तुति करके उन्हें मनाया तो उन्होंने कहा कि सूर्य के प्रकाश से तुम्हें धीरे-धीरे अपना स्वरूप पुनः प्राप्त हो जाएगा, लेकिन आज (भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी) का यह दिन तुम्हें दंड देने के लिए हमेशा याद किया जाएगा। जो कोई व्यक्ति आज तुम्हारे दर्शन करेगा, उस पर चोरी का झूठा आरोप लगेगा। 
 
श्रीकृष्ण ने किया था चंद्र दर्शन : कहते हैं कि इसी दिन भगवान श्रीकृष्‍ण ने चंद्र का दर्शन कर लिया था जिसके चलते उन पर राजा सत्राजित ने उनकी स्यमन्तक मणि चुराने का अरोप लगा दिया था। फिर इस आरोप से मुक्त होने के लिए नारदजी ने श्रीकृष्ण को भगवान गणेशजी की पूजा का विधान बताया और तब उन्होंने उस आरोप से मुक्ति पाई।  इस आरोप के चलते श्रीकृष्ण को उनकी मणि ढूंढकर उन्हें देना पड़ी थी। 
 
यदि देख लिया है चंद्र तो क्या करें?
यदि आपने गलती से इस दिन चंद्र के दर्शन कर लिए हैं तो आप आरोप से बचने के लिए गणेश जी का ये मंत्र पढ़े। आरोप लग गया है तब भी यह मंत्र पढ़ें जिसको पढ़ने से चंद्र दर्शन का दोष नहीं लगता है।
 
मंत्र- 
सिंह: प्रसेन मण्वधीत्सिंहो जाम्बवता हत:।
सुकुमार मा रोदीस्तव ह्येष: स्यमन्तक:।।
 
उक्त मंत्र पढ़ने के बाद विधिवत रूप से भगवान गणेश की पूजा और अर्चना करें। और हो सके तो श्रीकृष्ण की स्यमन्तक मणि कथा की पढ़ें।

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

तुलसी विवाह देव उठनी एकादशी के दिन या कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन करते हैं?

Shani margi 2024: शनि के कुंभ राशि में मार्गी होने से किसे होगा फायदा और किसे नुकसान?

आंवला नवमी कब है, क्या करते हैं इस दिन? महत्व और पूजा का मुहूर्त

Tulsi vivah 2024: देवउठनी एकादशी पर तुलसी के साथ शालिग्राम का विवाह क्यों करते हैं?

Dev uthani ekadashi 2024: देवउठनी एकादशी पर भूलकर भी न करें ये 11 काम, वरना पछ्ताएंगे

सभी देखें

धर्म संसार

Saptahik Muhurat 2024: नए सप्ताह के सर्वश्रेष्ठ शुभ मुहूर्त, जानें साप्ताहिक पंचांग 11 से 17 नवंबर

Aaj Ka Rashifal: किन राशियों के लिए उत्साहवर्धक रहेगा आज का दिन, पढ़ें 10 नवंबर का राशिफल

MahaKumbh : प्रयागराज महाकुंभ में तैनात किए जाएंगे 10000 सफाईकर्मी

10 नवंबर 2024 : आपका जन्मदिन

10 नवंबर 2024, रविवार के शुभ मुहूर्त

अगला लेख
More