Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

भाद्रपद चतुर्थी पर चंद्रदर्शन करने से लगता है कलंक, इस कथा को पढ़ने से होगा निवारण

हमें फॉलो करें भाद्रपद चतुर्थी पर चंद्रदर्शन करने से लगता है कलंक, इस कथा को पढ़ने से होगा निवारण

WD Feature Desk

, शनिवार, 7 सितम्बर 2024 (11:45 IST)
Syamantaka mani ki katha
Highlights  
 
श्री गणेश चतुर्थी के दिन चंद्रमा से बचें। 
क्यों न करें भादों मास की चतुर्थी के दिन चंद्रमा का दर्शन। 
भाद्रपद चतुर्थी पर स्यमंतक मणि की यह कथा जरूर पढ़ें।

ALSO READ: Ganesh chaturthi rashifal: 100 साल बाद बना दुर्लभ योग, गणेश चतुर्थी से इन राशियों को होगा अपार धन लाभ
Ganesh chaturthi story : इस बार 07 सितंबर 2024, शनिवार को श्री गणेश चतुर्थी है और इसी दिन गणेश स्थापना होगी। इस दिन को गणेश जयंती के रूप में मनाया जाता है। लेकिन यदि धार्मिक पुराणों की मानें तो भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के दिन चतुर्थी तिथि शुरू होने से लेकर खत्म होने तक चंद्रमा का दर्शन नहीं करना चाहिए।

यदि भूल से गणेश चतुर्थी के दिन चंद्रमा के दर्शन हो जाएं तो मिथ्या दोष से बचाव के लिए यहां नीचे दी जा रही कथा का श्रवण अवश्य ही करना चाहिए : 
 
चंद्रमा देखने के दोष निवारण से संबंधित स्यमंतक मणि की प्रामाणिक कथा के अनुसार एक बार नंदकिशोर ने सनतकुमारों से कहा कि चौथ की चंद्रमा के दर्शन करने से भगवान श्री कृष्ण पर जो लांछन लगा था, वह सिद्धिविनायक व्रत करने से ही दूर हुआ था। ऐसा सुनकर सनतकुमारों को आश्चर्य हुआ। 
 
उन्होंने पूर्णब्रह्म श्री कृष्ण को कलंक लगने की कथा पूछी तो नंदकिशोर ने बताया- एक बार जरासंध के भय से श्री कृष्ण समुद्र के मध्य नगरी बसाकर रहने लगे। इसी नगरी का नाम आजकल द्वारिकापुरी है। द्वारिकापुरी में निवास करने वाले सत्राजित यादव ने सूर्यनारायण की आराधना की। तब भगवान सूर्य ने उसे नित्य आठ भार सोना देने वाली स्यमंतक नामक मणि अपने गले से उतारकर दे दी।
 
मणि पाकर सत्राजित यादव जब समाज में गया तो श्री कृष्ण ने उस मणि को प्राप्त करने की इच्छा व्यक्त की। सत्राजित ने वह मणि श्री कृष्ण को न देकर अपने भाई प्रसेनजित को दे दी। एक दिन प्रसेनजित घोड़े पर चढ़कर शिकार के लिए गया। वहां एक शेर ने उसे मार डाला और मणि ले ली। रीछों का राजा जामवंत उस सिंह को मारकर मणि लेकर गुफा में चला गया।
 
जब प्रसेनजित कई दिनों तक शिकार से न लौटा तो सत्राजित को बड़ा दुख हुआ। उसने सोचा, श्री कृष्ण ने ही मणि प्राप्त करने के लिए उसका वध कर दिया होगा। अतः बिना किसी प्रकार की जानकारी जुटाए उसने प्रचार कर दिया कि श्री कृष्ण ने प्रसेनजित को मारकर स्यमंतक मणि छीन ली है। इस लोक-निंदा के निवारण के लिए श्री कृष्ण बहुत से लोगों के साथ प्रसेनजित को ढूंढने वन में गए। वहां पर प्रसेनजित को शेर द्वारा मार डालना और शेर को रीछ द्वारा मारने के चिह्न उन्हें मिल गए। 
 
रीछ के पैरों की खोज करते-करते वे जामवंत की गुफा पर पहुंचे और गुफा के भीतर चले गए। वहां उन्होंने देखा कि जामवंत की पुत्री उस मणि से खेल रही है। श्री कृष्ण को देखते ही जामवंत युद्ध के लिए तैयार हो गया। युद्ध छिड़ गया। गुफा के बाहर श्री कृष्ण के साथियों ने उनकी सात दिनों तक प्रतीक्षा की। फिर वे लोग उन्हें मर गया जानकर पश्चाताप करते हुए द्वारिकापुरी लौट गए। 
 
इधर 21 दिनों तक लगातार युद्ध करने पर भी जामवंत श्री कृष्ण को पराजित न कर सका। तब उसने सोचा, कहीं यह वह अवतार तो नहीं जिसके लिए मुझे रामचंद्र जी का वरदान मिला था। यह पुष्टि होने पर उसने अपनी कन्या का विवाह श्री कृष्ण के साथ कर दिया और मणि दहेज में दे दी। श्री कृष्ण जब मणि लेकर वापस आए तो सत्राजित अपने किए पर बहुत लज्जित हुआ। इस लज्जा से मुक्त होने के लिए उसने भी अपनी पुत्री का विवाह श्री कृष्ण के साथ कर दिया। 
 
कुछ समय के बाद श्री कृष्ण किसी काम से इंद्रप्रस्थ चले गए। तब अक्रूर तथा ऋतु वर्मा की राय से शतधन्वा यादव ने सत्राजित को मारकर मणि अपने कब्जे में ले ली। सत्राजित की मौत का समाचार जब श्री कृष्ण को मिला तो वे तत्काल द्वारिका पहुंचे। वे शतधन्वा को मारकर मणि छीनने को तैयार हो गए। इस कार्य में सहायता के लिए बलराम भी तैयार थे। यह जानकर शतधन्वा ने मणि अक्रूर को दे दी और स्वयं भाग निकला। श्री कृष्ण ने उसका पीछा करके उसे मार तो डाला, पर मणि उन्हें नहीं मिल पाई। बलराम जी भी वहां पहुंचे। श्री कृष्ण ने उन्हें बताया कि मणि इसके पास नहीं है। बलराम जी को विश्वास न हुआ। वे अप्रसन्न होकर विदर्भ चले गए। 
 
श्री कृष्ण के द्वारिका लौटने पर लोगों ने उनका भारी अपमान किया। तत्काल यह समाचार फैल गया कि स्यमंतक मणि के लोभ में श्री कृष्ण ने अपने भाई को भी त्याग दिया। श्री कृष्ण इस अकारण प्राप्त अपमान के शोक में डूबे थे कि सहसा वहां नारद जी आ गए। उन्होंने श्री कृष्ण जी को बताया- आपने भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी के चंद्रमा का दर्शन किया था। इसी कारण आपको इस तरह लांछित होना पड़ा है। 
 
श्री कृष्ण ने पूछा- चौथ के चंद्रमा को ऐसा क्या हो गया है जिसके कारण उसके दर्शनमात्र से मनुष्य कलंकित होता है? तब नारद जी बोले- एक बार ब्रह्मा जी ने चतुर्थी के दिन गणेश जी का व्रत किया था। गणेश जी ने प्रकट होकर वर मांगने को कहा तो उन्होंने मांगा कि मुझे सृष्टि की रचना करने का मोह न हो। गणेश जी ज्यों ही 'तथास्तु' कहकर चलने लगे, उनके विचित्र व्यक्तित्व को देखकर चंद्रमा ने उपहास किया। इस पर गणेश जी ने रुष्ट होकर चंद्रमा को शाप दिया कि आज से कोई तुम्हारा मुख नहीं देखना चाहेगा। 
 
शाप देकर गणेश जी अपने लोक चले गए और चंद्रमा मानसरोवर की कुमुदिनियों में जा छिपा। चंद्रमा के बिना प्राणियों को बड़ा कष्ट हुआ। उनके कष्ट को देखकर ब्रह्मा जी की आज्ञा से सारे देवताओं के व्रत से प्रसन्न होकर गणेश जी ने वरदान दिया कि अब चंद्रमा शाप से मुक्त तो हो जाएगा, पर भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को जो भी चंद्रमा के दर्शन करेगा, उसे चोरी आदि का झूठा लांछन जरूर लगेगा। किंतु जो मनुष्य प्रत्येक द्वितीया को दर्शन करता रहेगा, वह इस लांछन से बच जाएगा। इस चतुर्थी को सिद्धिविनायक व्रत करने से सारे दोष छूट जाएंगे। यह सुनकर देवता अपने-अपने स्थान को चले गए। 
 
इस प्रकार भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को चंद्रमा का दर्शन करने से आपको यह कलंक लगा है। तब श्री कृष्ण ने कलंक से मुक्त होने के लिए यही व्रत किया था। 
 
कुरुक्षेत्र के युद्ध में युधिष्ठिर ने भगवान श्री कृष्ण से पूछा- भगवन्! मनुष्य की मनोकामना सिद्धि का कौन-सा उपाय है? किस प्रकार मनुष्य धन, पुत्र, सौभाग्य तथा विजय प्राप्त कर सकता है? यह सुनकर श्री कृष्ण ने उत्तर दिया- यदि तुम पार्वती पुत्र श्री गणेश का विधिपूर्वक पूजन करो तो निश्चय ही तुम्हें सब कुछ प्राप्त हो जाएगा। तब श्री कृष्ण की आज्ञा से ही युधिष्ठिर जी ने गणेश चतुर्थी का व्रत करके महाभारत का युद्ध जीता था। 
 
इस दिन ऊपर दी गई कथा के साथ-साथ निम्न मंत्र का जाप भी करना चाहिए- 
 
'सिंह: प्रसेनमवधीत्सिंहो जाम्बवता हत:।
सुकुमारक मारोदीस्तव ह्येष स्यमन्तकर:'।
 
अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, जो विभिन्न सोर्स से लिए जाते हैं। इनसे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। सेहत या ज्योतिष संबंधी किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। इस कंटेंट को जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है जिसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।

webdunia
Ganesh Sthapna Muhurat 2024

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

इस गणेशोत्सव प्रसन्न होंगे बप्पा, लगाएं उन्हें घर में बने हुए मोदक का भोग