मुंबई। प्रारंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) के जरिए 2019 में 12,362 करोड़ रुपए जुटाए गए। इसमें 2018 के 30,959 करोड़ रुपए के मुकाबले 60 प्रतिशत की गिरावट रही। हालांकि इस दौरान ओएफएस और पात्र संस्थागत नियोजन के जरिए प्राप्त राशि में 28 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई।
प्राइम डेटाबेस के आंकड़ों के अनुसार, 2018 में 24 आईपीओ आए, जबकि 2019 में महज 16 आईपीओ आए। प्राइम डेटाबेस समूह के प्रबंध निदेशक प्रणव हल्दिया ने कहा, हालांकि आलोच्य अवधि में बिक्री पेशकश (ओएफएस) और पात्र संस्थागत नियोजन के जरिए जुटाई गई कुल पूंजी 2018 के 63,651 करोड़ रुपए से 28 प्रतिशत बढ़कर 81,174 करोड़ रुपए पर पहुंच गई। लेकिन 2017 के 1,60,032 करोड़ रुपए के सर्वकालिक उच्च स्तर से 49 प्रतिशत कम है।
वर्ष 2019 में सबसे बड़ा आईपीओ स्टर्लिंग एंड विल्सन सोलर का 2,850 करोड़ रुपए का रहा। वर्ष के दौरान आईपीओ का औसत आकार 773 करोड़ रुपए का रहा।
वर्ष के दौरान सिर्फ 7 आईपीओ को 10 गुना से अधिक अभिदान मिला। एक आईपीओ को 3 प्रतिशत से अधिक अभिदान मिला। शेष आईपीओ को एक से 3 प्रतिशत का अभिदान प्राप्त हुआ। आईआरसीटीसी के आईपीओ को जहां 109 गुणा आवेदन प्राप्त हुए वहीं उज्जीवन समॉल फाइनेंस बैंक के आईपीओ को 100 गुणा तक आवेदन मिले।
सीएसबी बैंक को 48 गुणा, एफ्फल को 48 गुणा, पॉलिकैब 36 गुणा, निओजेन केमिकल्स को 29 गुणा और इंडिया मार्ट इंटरमेश के आईपीओ को 20 गुणा अभिदान प्राप्त हुआ।
वर्ष के दौरान जितने आईपीओ बाजार में आए, उनकी शेयर बाजार में सूचीबद्धता की यदि बात की जाए तो 2019 इस लिहाज से अच्छा रहा। इस दौरान 15 आईपीओ सूचीबद्ध होने के बाद इनमें से 7 ने निवेशकों को 10 प्रतिशत से अधिक का अच्छा प्रतिफल दिया। यह आकलन इन आईपीओ के सूचीबद्ध होने के पहले दिन के बंद भाव के आधार पर किया गया है।
रेलवे मंत्रालय की इकाई आईआरसीटीसी ने तो पहले दिन 128 प्रतिशत तक का प्रतिफल दिया। इसके बाद सीएसबी बैंक का शेयर उसके इश्यू मूल्य से 54 प्रतिशत ऊंचा रहा। उज्जीवन का शेयर 51 प्रतिशत और नियोजेन केमिकल्स का शेयर मूल्य सूचीबद्ध होने के पहले दिन उसके इश्यू मूल्य से 23 प्रतिशत ऊंचा रहा।
वर्ष 2019 के दौरान केवल 2 आईपीओ ही ऐसे रहे जो कि उनके इश्यू मूल्य से नीचे चल रहे थे, जबकि शेष 13 शेयर इश्यू मूल्य से 21 से लेकर 170 प्रतिशत तक ऊंचे भाव पर चल रहे थे। यह आकलन 23 दिसंबर की स्थिति के मुताबिक किया गया है।
ओएफएस के मामले जहां प्रवर्तकों ने अपनी हिस्सेदारी को बाजार में बेचा। इससे जुटाई गई राशि 2018 में जहां 25,811 करोड़ रुपए थी वहीं 2019 में यह 25,811 करोड़ रुपए पर पहुंच गई। इसमें सरकार की हिस्सेदारी बिक्री से 5,871 करोड़ रुपए जुटाए गए।
सबसे ज्यादा 5,358 करोड़ रुपए उसे एक्सिस बैंक में अपनी हिस्सेदारी बेचने से प्राप्त हुए। एसबीआई लाइफ में हिस्सेदारी बेचने से मूल कंपनी को 3,524 करोड़ रुपए और एचडीएफसी लाइफ में हिस्सेदारी बेचने से उसकी मूल कंपनी को 3,366 करोड़ रुपए प्राप्त हुए।