आमतौर पर लोग इनकम टैक्स बचाने के लिए कई तरह से निवेश करते हैं। कुछ लोग PPF में पैसा लगाते हैं तो कुछ FD में निवेश करते हैं। इस तरह के निवेश में निश्चित ब्याज तो मिलता ही है साथ ही इनकम टैक्स में भी छूट मिलती है। पीपीएफ का पैसा बुढ़ापे में काम आता है तो एफडी में किया निवेश जरूरत पड़ने पर काम आता है। हालांकि टैक्स बचाने के लिए आपको 3 साल के लिए एफडी करवानी जरूरी है।
अगर आपने होम लोन लेकर मकान लिया है तो यहां किया गया निवेश भी फायदे का सौदा है। इससे आप खुद का घर भी खरीद लेते हैं और आपको मूल तथा ब्याज पर खर्च की गई रकम पर कोई टैक्स भी नहीं देता होता। दान करने पर आपको टैक्स में छूट तो मिलती ही है साथ ही सुकून भी मिलता है।
इस तरह कई स्थानों पर निवेश कर आप खुद पर लगने वाले टैक्स पर छूट प्राप्त कर सकते हैं। हालांकि छूट प्राप्त करने के लिए किए गए इस तरह के निवेश पर आपको हमेशा ही फायदे हो, यह जरूरी नहीं है। अगर आपने टैक्स सेविंग फंड्स में पैसा लगाया हो तो जरूरी नहीं है कि इसमें किए गए निवेश पर आपको फायदा ही होगा। म्यूचुअल फंड में किया गया निवेश घाटे का भी सौदा हो सकता है। इसमें किया गया निवेश मार्केट रिस्क पर आधारित है। इसमें भी आपको न्यूनतम 5 साल के लिए निवेश करना होता है।
अगर आप म्यूचुअल फंड में निवेश करना ही चाहते हैं तो आपके पास कई तरह के विकल्प मौजूद हैं। अगर आप में रिस्क लेने की क्षमता है तो आप इक्विटी में निवेश कर सकते हैं और अगर कम रिस्क लेना चाहते हैं तो उसके लिए भी म्यूचुअल कंपनियां कई तरह के विकल्प देती हैं। लेकिन आप टैक्स बचाने के लिए निवेश करते हैं तो आपका टैक्स तो बच जाता है कि लेकिन फायदे की बजाए नुकसान ज्यादा होगा।
अक्सर यह भी देखने में आता है कि लोग अक्सर जनवरी से मार्च के बीच बीमा खरीदते हैं और उनका यह फैसला काफी हद तक टैक्स बचाने पर आधारित होता है जबकि यह फैसला परिवार की बीमा की जरूरत को ध्यान में रखकर लिया जाना चाहिए।
वित्त विशेषज्ञों का कहना है कि आपके हर निवेश के पीछे एक मकसद होना चाहिए। यह ध्यान रखा जाना चाहिए कि टैक्स बचाना मकसद नहीं, एक अतिरिक्त लाभ है। बहरहाल आपको पता होना चाहिए कि आपकी प्राथमिकता क्या है?