नई दिल्ली। 'व्हीलचेयर' पर बैठे पंजाब के जालंधर निवासी 44 वर्षीय हरविंदर सिंह ने केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर डेरा डाले प्रदर्शनकारी किसानों से बातचीत की।
सिंह पोलियो के कारण चलने-फिरने में असमर्थ हैं और इसलिए वह व्हीलचेयर के सहारे हैं, लेकिन उनकी यह शारीरिक अशक्तता इस आंदोलन में शामिल होने से उन्हें नहीं रोक सका और अपनी बीमार मां को गांव में छोड़कर प्रदर्शन में शामिल हो गए। वह एक महीने से अधिक समय से इस प्रदर्शन स्थल पर डेरा डाले हुए हैं।
उन्होंने कहा, मैं पोलियो से उबरने की सारी उम्मीदें छोड़ सकता हूं, लेकिन मैंने इस आंदोलन के सकारात्मक परिणाम आने की उम्मीद नहीं छोड़ी है।यह पूछे जाने पर कि किस चीज ने उन्हें इस प्रदर्शन में शामिल होने के लिए प्रेरित किया, सिंह ने कहा, मैं एक किसान हूं और इसलिए यहां मौजूद होना मेरी जिम्मेदारी है।
आंदोलन में शामिल होने के बाद से वह सिर्फ दो बार घर गए थे। एक बार वह अपनी बीमार मां से मिलने गए थे और दूसरी बार तब गए थे जब सिंघु बॉर्डर पर ठहरने के लिए उन्हें कुछ आवश्यक चीजें लाने की जरूरत थी।
सिंह के सिंघु पहुंचने के 15 दिन बाद ही उनकी 85 वर्षीय बीमार मां अमर कौर की नाक में गंभीर चोट लगी थी लेकिन इसके बावजूद उनकी मां ने सिंह को सिंघु में ही रहने और प्रदर्शन जारी रखने को कहा था।
सिंह ने कहा, बाद में मैं अपनी मां से मिलने गांव गया था। तब उन्होंने मुझसे कहा था कि मैं अपनी लड़ाई जारी रखूं। सिंह के साथ यहां मौजूद उनके भतीजे सुखविंदर ने कहा, जब सिंह की मां को चोट लगी थी तब उन्होंने हमें इस बारे में सूचना नहीं दी और कहा कि वह ठीक हैं तथा हमें फौरन घर लौटने की जरूरत नहीं है।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया था कि वे लोग अपनी लड़ाई जारी रखें। हालांकि कड़ाके की ठंड और भारी बारिश भी सिंह के हौसले को कम नहीं कर पाई है।(भाषा)