INS Arighat In Indian Navy: भारतीय नौसेना की पॉवर में और इजाफा होने जा रहा। गुरुवार को दूसरी परमाणु पनडुब्बी INS अरिघात नौसेना में शामिल हो जाएगी। नौसेना में इसके आते ही भारत की ताकत में जबरदस्त इजाफा होगा। यह दुश्मन पर तबाही बनकर टूटेगी क्योंकि इसकी कई खासियत है।
यह पनडुब्बी परमाणु हथियार ले जाने में कैपेबल है। लगभग 112 मीटर लंबी इस पनडुब्बी में K-15 मिसाइलें लगी हैं, जो 750 किलोमीटर तक मार कर सकती हैं। 6,000 टन वजन की INS अरिघात लंबे ट्रायल्स और टेक्नोलॉजिकल अपग्रेड्स के बाद पूरी तरह से तैयार है। कुल मिलाकर ये भारत की सामरिक ताकत को और मजबूत करेगा।
विशाखापत्तनम में एक गोपनीय कार्यक्रम में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और शीर्ष राष्ट्रीय सुरक्षा और सैन्य अधिकारियों की उपस्थिति में इस पनडुब्बी को नौसेना में शामिल किया जाएगा। जानते हैं कितनी ताकतवर है INS अरिघात और कैसे बढ़ाएगी भारत की ताकत?
क्या है INS अरिघात की खासियत?
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विजाग शिपयार्ड में बनी 6,000 टन की पनडुब्बी आईएनएस अरिघात कई ट्रायल्स और अपग्रेड के बाद कमीशन की जा रही है।
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आईएनएस अरिघात का डिस्प्लेसमेंट 6,000 टन है। इस पनडुब्बी की लंबाई 111.6 मीटर है और इसका बीम 11 मीटर का है।
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यह भारत के 'एडवांस्ड टेक्नोलॉजी वेसल' या ATV प्रोजेक्ट का हिस्सा है। INS अरिघात का कोडनेम S3 है।
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INS अरिघात में सात ब्लेड वाला प्रोपेलर लगा है जो एक प्रेशराइज्ड वाटर रिएक्टर से चलता है। पानी के नीचे इस पनडुब्बी की अधिकतम रफ्तार 24 नॉट्स (44 किलोमीटर प्रति घंटा) है।
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आईएनएस अरिघात को परमाणु मिसाइलों से लैस किया गया है। INS अरिहंत की तरह, INS अरिघात भी K-15 मिसाइलों से लैस होगी जिनकी रेंज 750 किलोमीटर है। इस पनडुब्बी पर मध्यम रेंज वाली K-4 बैलिस्टिक मिसाइलें भी तैनात की जा सकती हैं जिनकी रेंज 3,500 किलोमीटर तक है।
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आईएनएस अरिघात को विशाखापट्टनम के जहाज निर्माण केंद्र पर एडवांस्ड टेक्नोलॉजी वेसल ATV प्रोजेक्ट के तहत तैयार किया गया है।
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न्यूक्लियर रिएक्टर से चलने वाली यह सबमरीन आम पनडुब्बी से तेज चल सकती है। इतना ही नहीं यह सतह पर चलने वाले जहाजों की रफ्तार की बराबरी भी कर सकती हैं।
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आम पनडुब्बियां जहां सिर्फ कुछ घंटों तक ही पानी के नीचे रह पाती हैं, वहीं यह पनडुब्बी महीनों तक पानी में रह सकती हैं।
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आईएनएस अरिघात पानी की सतह पर 12-15 समुद्री मील यानी 22 से 28 किलोमीटर प्रति घंटे से भी ज्यादा रफ्तार से चल सकती है।
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समुद्र की गहराई में 24 समुद्री मील यानी 44 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से चल सकती है।
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पनडुब्बी में आठ लॉन्च ट्यूब होंगे।
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अरिघात 750KM की रेंज वाली के-15 मिसाइलों से लैस
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समुद्र के भीतर मिसाइल हमला करने में सक्षम आईएनएस अरिघात सोनार संचार प्रणाली, समुद्री मिसाइलें और विकिरण रोधी सुरक्षा व्यवस्था से लैस है।
महीनों तक रह सकती है पानी में : आईएनएस अरिहंत और आईएनएस अरिघात दोनों पारंपरिक पनडुब्बियों से बिलकुल अलग है। इनसे पहले कमीशन हुईं डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियां अपने बैटरी को रिचार्ज करने के लिए ऑक्सीजन लेने हर दो दिन में सतह पर आती है या स्नोर्कल करती हैं। इसके विपरीत अरिहंत और अरिघात 83 मेगावाट दबाव वाले लाइट वाटर के रिएक्टरों से संचालित होती हैं। उनमें लगे छोटे परमाणु रिएक्टर की वजह से वे महीनों तक पानी में डूबे रह सकते हैं।
नौसेना के लिए क्या है भारत का प्लान : भारत की तीसरी SSBN (नौसेना की भाषा में परमाणु बैलिस्टिक मिसाइलों से लैस न्यूक्लियर-प्रोपेल्ड सबमरीन) INS अरिधमान होगी। यह 3,500 किलोमीटर रेंज वाली K-4 मिसाइलों से लैस होगी और अगले साल तक नौसेना में शामिल की जा सकती है। चौथी SSBN का निर्माण भी जारी है और उसमें अतिरिक्त K-4 मिसाइलों को रखने की क्षमता होगी।
दो न्यूक्लियर-पावर्ड अटैक सबमरीन (SSNs) बनाने का प्रस्ताव प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली कैबिनेट समिति की मंजूरी की राह देख रहा है। ये पनडुब्बियां 95% तक स्वदेशी होंगी और इन्हें बनाने में कम से कम 10 साल लगेंगे।
Edited by Navin Rangiyal