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हैप्पी हाइपोक्सिया क्या है, जानिए लक्षण और समाधान, Expert Advice

हमें फॉलो करें हैप्पी हाइपोक्सिया क्या है, जानिए लक्षण और समाधान, Expert Advice
, गुरुवार, 20 मई 2021 (10:11 IST)
कोरोना काल के दौरान जानलेवा बीमारियां उजागर हो रही है। कोविड से ठीक होने के बाद अन्य बीमारियां हावी हो रही है। यह इस कदर पनप रही है कि मरीज समझ भी नहीं पा रहे और संभल भी नहीं पा रहे। कोविड से ठीक होने के बाद मरीजों में सबसे पहले म्यूकरमाइकोसिस बीमारी सामने आई। इस बीमारी को ब्लैक फंगस भी कहा जाता है। इसके बाद एक और बीमारी है जो तेजी से लोगों में बढ़ रही है थ्रोम्बोसिस। इसे ब्लड क्लॉटिंग भी कहते हैं खून के थक्के जमना। साथ ही हैप्पी हाइपोक्सिया एक और बीमारी सामने आई है। यह भी गंभीर बीमारियों में से एक है। यह बीमारी क्या है? क्या लक्षण है, इसका उपचार कैसे संभव है? 
 
वेबदुनिया ने लेक्चरर डॉ. सरिता जैन (एमडी) से चर्चा की- 
 
हैप्पी हाइपोक्सिया क्या होता है? 
 
ब्लड में ऑक्सीजन सेचुरेशन कम हो जाता है, लंग्स में ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाता है। जिससे ब्लड वेसल्स में क्लॉट भी जम जाते हैं। इसमें ऑक्सीजन सेचुरेशन 50 तक भी पहुंच जाता है। नॉर्मल ऑक्सीजन 95 से 100 तक होना चाहिए। ऑक्सीजन सेचुरेशन कम होता है उसे हैप्पी हाइपोक्सिया कहते हैं।
 
इसके लक्षण क्या है? 
 
- स्किन का रंग हल्का नीले रंग का दिखना
- पसीना आना, बॉडी का रंग बदलना
- चक्कर आना और सिरदर्द
- होठ काले पड़ना
- चिड़चिड़ापन होना 
 
हैप्पी हाइपोक्सिया का समाधान क्या है?
 
हैप्पी हाइपोक्सिया के लक्षण सामने नहीं आते हैं इसलिए सतर्क रहें। शरीर में, रंग में बदलाव होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। ऑक्सीमीटर से सेचुरेशन लेवल चेक करें और डॉक्टर से संपर्क करें। इस बीमारी को साइलेंट किलर इसलिए ही कहा है क्योंकि ऑक्सीजन सेचुरेशन लेवल कम होता है और एकदम से उसकी मृत्यु हो जाती है। घर 
पर इसका कोई उपचार नहीं। हालांकि प्राणायाम से ऑक्सीजन लेवल बढ़ता है, लेकिन इस स्थिति में संभव नहीं होता है कि आप योग करें। आपका शुगर लेवल बढ़ जाता है साथ ही ब्लड क्लॉटिंग होने लगती है। ऐसे में घर पर उपचार संभव नहीं होता है। 
 
90 से कम होने पर इसमें एकदम ही ऑक्सीजन सेचुरेशन लेवल कम हो जाता है। मशीन से आपको ऑक्सीजन देना ही पड़ती है।
 
कोविड से इस बीमारी का क्या कनेक्शन है? 
 
यह बीमारी कोविड से जुड़ी है। कोविड मरीज में सबसे पहले ऑक्सीजन लेवल कम होता है। यह एक तरह का साइलेंट किलर है। शुरुआत में इस बीमारी को समझ नहीं पाते हैं। लक्षण साफ नजर नहीं आते हैं। जब ऑक्सीजन बहुत कम होने लगता है तो बुजुर्गों को कुछ एहसास होता है।

युवा वर्ग का इम्युनिटी अच्छा होता है। इसलिए ऑक्सीजन 90 या उससे कम होने पर भी पता नहीं चलता है। बाद में शरीर के दूसरे ऑर्गन भी फैल होने लगते हैं। कोविड मरीज ठीक हो जाते हैं और अचानक से उनकी डेथ हो जाती है। इसका कारण हैप्पी हाइपोक्सिया ही है। 
 
ऑक्सीजन कम होने पर क्या खतरा होता है?  
 
जब शरीर में ऑक्सीजन सेचुरेशन कम होने लगता है तो हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है। 

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