एक पत्रकार पूरे दिन एक आईडिया पर काम करता है कि कैसे नीति निर्माता को पता चल सके कि जनता की क्या जरूरतें हैं। कई बार इतनी मेहनत के बाद उसका काम खारिज कर दिया जाता है या कई बार उसे भी लगता है की मज़ा नहीं आया और अगले दिन फ़िर से जी जान से जुट जाता है।अपने पिता के sp o2 70 पर भी लोगों ने जी जान से काम किया है।
कभी आपने किसी पत्रकार या मीडिया हाउस को उसकी जनकल्याण की खबर के लिए आभार प्रेषित किया है? उस रिपोर्टर को कॉल करने की कोशिश की जिसने आपकी आवाज को मजबूत किया?? फिक्स नैरेटिव "मीडिया बिका हुआ है" कह देना कितना उचित है!!!
एक डॉक्टर को साइकोलॉजिकल सुकून हमेशा अपने पेशेंट को ठीक करके ही मिलता है।उसे बीमारी ठीक करने में उतनी परेशानी नहीं होती जितना आपके गूगल जनित कुतर्कों से। ट्रस्ट करो भाई, ट्रीटमेंट लेने आये हो या अपनी धारणाओं के तुष्टिकरण के लिए? बाकी बाद में लूट लिया अगर प्राइवेट है,मक्कार है अगर सरकारी है। 10 बार लगातार अपनी जरूरत के लिए कॉल करते जाओ, नहीं उठाए व्हाटसएप काल, फिर भी नहीं उठाए तो जजमेंटल हो जाओ ये भी मत सोचो कि उसे या उसके किसी घरवाले को भी कोविड हो सकता है।
शहर की पुलिस को देखता हूँ तो लू के थपेड़ों को खाता हुआ एक जवान, हमारे जैसे विवेकहीन लोगों को हमारी ही सुरक्षा के लिये मास्क लगवा रहा है। अपनी कितनी ऊर्जा वो हमारी मूर्खता को संभालने में खर्च कर रहे हैं।फिर हम चोरी करेगें, अपहरण करेगें उसका अलग टेंशन। पुलिस कप्तानों की सक्रियता को देखता हूँ तो लगता है कि ये सोते कितनी देर होंगें।
व्यक्ति अच्छे बुरे हो सकते हैं,प्रोफेशन कोई बुरा नहीं होता।
डॉक्टर मीडिया और पुलिस ने बहुत संभाल रखा है, ये बात एक नागरिक के रूप में कह रहा हूँ।
अब मनोचिकित्सक के रूप में ये बता दूं कि ये तीनों आगे आने वाले समय में कोरोना पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर समेत कई गंभीर मानसिक समस्याओं से जूझ सकते हैं।
इन तीनों के बहुत से परिवारों के लिए आगे आने वाली जिंदगी इनके बिना होगी। इनके घरवाले न जाने कितनी परेशानियों को अकेले ही काटने वाले हैं और उनके असामयिक जाने से न कितने शोषण का शिकार होंगे।
धन्यवाद!!
(लेखक प्रसिद्ध मनोचिकित्सक है और कोरोना काल में मानसिक स्वास्थ्य पर लगातार लोगों को जागरूक कर रहे है)