Doctors' day special: कोरोना के भय व भ्रम को दूर करने के लिए जागरूकता कैंपेन चलाने वाले डॉक्टर की कहानी

विकास सिंह
बुधवार, 30 जून 2021 (15:51 IST)
भोपाल। कोरोना काल में अपनी जान की परवाह किए बिना डॉक्टरों ने हमारी सेवा की है। इंसानियत पर आए सबसे बड़े खतरे कोरोनावायरस के खिलाफ जंग में डॉक्टरों को कई मोर्चे पर चुनौतियों से जूझना पड़ा है। डॉक्टर्स डे पर ‘वेबदुनिया’ कोरोनाकाल में अपनी सामाजिक सरोकार की पत्रकारिता के सिद्धांत पर चलते उन डॉक्टरों से आपको मिलवा रहा जिन्होंने कोरोना के इलाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के साथ-साथ समाज में महामारी को लेकर फैले भ्रम और भय को भी दूर करने में बड़ी भूमिका निभाई है। 
 
राजधानी भोपाल के मनोचिकित्सक डॉक्टर सत्यकांत त्रिवेदी कोरोना योद्धाओं में आने वाला एक ऐसा नाम है जिन्होंने महामारी को लेकर फैले भय और भ्रम को दूर करने के लिए जागरूकता कैंपेन चलाकर लोगों को कोरोना से मुकाबला करने के लिए मानसिक रुप से तैयार किया। 
 
कोरोनाकाल में ‘वेबदुनिया’ के जरिए लगातार  लोगों को महामारी को लेकर जागरुक करने वाले डॉक्टर सत्यकांत त्रिवेदी कहते हैं कि “महामारी के दौर में मैंने व्यकितगत तौर पर अनुभव किया कि करियर में ऐसे मौके बहुत कम आएंगे जब हम लोगों की मदद कर सकेंगे। महामारी के दौर में लोग अपने परिजनों की चिंता में डिप्रेशन में आकर परेशान होकर जब भी फोन किया तो मैंने पूरी कोशिश की कि मैं उनके सवालों का जवाब देकर उनको कुछ राहत दे सकूं। इसके साथ सोशल मीडिया के जरिए  लगातार लोगों को कोरोना महामारी को लेकर जागरुक किया”।
 
‘वेबदुनिया’ से बातचीत में डॉक्टर सत्यकांत त्रिवेदी  कोरोनाकाल में अब तक हुए अपने अनुभवों के आधार पर कहते हैं कि अगर कोरोना की तीसरी लहर आती है तो डॉक्टरों की बहुत बड़ी भूमिका होगी इसलिए हमको डॉक्टरों को बहुत संभाल कर रखना होगा। अपनी जान की परवाह किए बिना लोगों को महामारी से बचाने वाले डॉक्टर के प्रति  लोगों का जो संकुचित व्यवहार है उसे बदलना होगा। 
 
वह मध्यप्रदेश के साथ देश के कई स्थानों पर डॉक्टरों पर हुए हमले और डॉक्टरों पर हुई छींटाकशी का जिक्र करते हुए कहते हैं कि यह समझना होगा कि एक डॉक्टर को असली खुशी तभी मिलती है जब उसका मरीज स्वस्थ होता है। वह कहते हैं कि डॉक्टर भी पहले इंसान है फिर डॉक्टर है इसलिए उसे भले ही डॉक्टर को भगवान का दर्जा न दीजिए लेकिन इंसान का दर्जा तो हर किसी को देना चाहिए। 
 
कोरोनाकाल में परिवार की सुरक्षा को लेकर आने वाली चुनौतियों के बारे में चर्चा करते हुए  डॉक्टर सत्यकांत त्रिवेदी कहते हैं कि महामारी के खिलाफ लड़ाई एक सौ मीटर की रेस नहीं मैराथन थी और जिसमें हमको अपने परिवार वालों की सुरक्षा भी सुरक्षित करने थी। ऐसे में बहुत सी चुनौतियों से जूझते हुए परिवार का ध्यान रखते हुए पूरी कोशिश की कि लोगों की सेवा भी कर सकूं।    
 
Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

शिशु को ब्रेस्ट फीड कराते समय एक ब्रेस्ट से दूसरे पर कब करना चाहिए शिफ्ट?

प्रेग्नेंसी के दौरान पोहा खाने से सेहत को मिलेंगे ये 5 फायदे, जानिए गर्भवती महिलाओं के लिए कैसे फायदेमंद है पोहा

Health : इन 7 चीजों को अपनी डाइट में शामिल करने से दूर होगी हॉर्मोनल इम्बैलेंस की समस्या

सर्दियों में नहाने से लगता है डर, ये हैं एब्लूटोफोबिया के लक्षण

घी में मिलाकर लगा लें ये 3 चीजें, छूमंतर हो जाएंगी चेहरे की झुर्रियां और फाइन लाइंस

सभी देखें

नवीनतम

महाराष्ट्र में क्यों घटा पवार का पावर, क्या शिंदे हैं शिवसेना के असली वारिस?

विवाह के बाद गृह प्रवेश के दौरान नई दुल्हन पैर से क्यों गिराती है चावल से भरा कलश? जानिए क्या है इस रस्म के पीछे का कारण

क्या होता है ग्रे डिवोर्स जिसके जरिए ए आर रहमान और उनकी पत्नी सायरा बानो हुए अलग, कैसे है ये आम तलाक से अलग?

Sathya Sai Baba: सत्य साईं बाबा का जन्मदिन आज, पढ़ें रोचक जानकारी

सावधान! धीरे धीरे आपको मार रहे हैं ये 6 फूड्स, तुरंत जानें कैसे बचें

अगला लेख
More