Diwali 2023: दीपावली के पांच दिनी उत्सव में पहले दिन धनतेरस, दूसरे दिन नरक चतुर्दशी यानी छोटी दिवाली, तीसरे दिन दिवाली, चौथे दिन अन्नकूट महोत्सव गोवर्धन पूजा और पांचवें दिन भाई दूज का त्योहार मनाया जाता है। कार्तिक माह की कृष्ण चतुर्दशी को छोटी दिवाली, अमावस्या को बड़ी दिवाली और पूर्णिमा को देव दिवाली मनाई जाती है। आओ जानते हैं तीनों में अंतर।
1. छोटी दिवाली : कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को यह दिवाली मनाते हैं। इस दिन श्रीकृष्ण ने नरकासुर का वध किया था करके 16 हजार महिलाओं को उसकी कैद से मुक्त कराकर देवलोक को भी आजाद कराया था। इसी की खुशी में सभी ओर दीपक जलाकर उत्सव मनाया जाता है। इस दिवाली पर अभ्यंग स्नान से रूप निखरने की मान्यता भी है और यम के नाम का दीपक जलाने से व्यक्ति मृत्यु के बाद नरक नहीं जाता है।
2. बड़ी दिवाली : कार्तिक माह की अमावस्या को बड़ी दिवाली मनाते हैं। इस दिन रात्रि में माता लक्ष्मी और कालिका की पूजा होती है। मान्यता है कि अमावस्या की रात्रि को माता लक्ष्मी धरती पर आती हैं इसलिए माता के स्वागत में इस दिन दीये जलाते हैं। इसी के साथ श्रीराम के इसी दिन अयोध्या आगमन हुआ था। यह भी कहते हैं कि इसी दिन माता कालिका प्रकट हुई थी। इस अमावस्या को बाकी की अमावस्या से सबसे घनेरी अमावस्या माना जाता है।
3. देव दिवाली : भगवान शिव ने त्रिपुरासुर का वध करके देवताओं को भय से मुक्ति कर पुन: स्वर्ग का राज्य सौंप दिया था। इसी की खुशी में देवता लोग गंगा के तट पर एकत्रित होकर स्नान करते हैं और खुशी में दिवाली मनाते हैं। इस दिन घरों को दिवाली की तरह सजाकर दीप जलाते हैं और नदी के तट पर दीपदान करते हैं। इसी के साथ श्रीहरि विष्णु, तुलसी, श्री लक्ष्मी, भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है। इस दिन मीठे पकवान बनाकर खाए जाते हैं।