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Dhanteras 2025: धनत्रयोदशी या धनतेरस कैसे मनाएं, जानें किस पहर में क्या करें?

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पं. हेमन्त रिछारिया

, शुक्रवार, 17 अक्टूबर 2025 (11:21 IST)
Dhanteras in Hindi: धनत्रयोदशी से दीपावली पर्व का प्रारम्भ हो जाता है। ऐसी मान्यता है कि समुद्र मन्थन के उपरान्त धनत्रयोदशी के दिन ही भगवान धन्वन्तरि अपने हाथों में अमृत-कलश लिए प्रकट हुए थे। धन्वन्तरि भगवान विष्णु के अंशांश अवतार माने जाते हैं। भगवान धन्वन्तरि आयुर्वेद के जनक कहे जाते हैं। इस वर्ष धनत्रयोदशी 18 अक्टूबर 2025 दिन शनिवार को मनाई जाएगी।ALSO READ: Dhanteras 2025: धनतेरस पर शनि प्रदोष का महासंयोग, शिव कृपा से ये उपाय दिलाएंगे दोगुना लाभ
 
प्रात:काल क्या करें-
 
धनतेरस के दिन किसी पवित्र नदी में स्नान करने के उपरान्त भगवान धन्वन्तरि की पंचोपचार पद्धति से पूजा करें। सर्वप्रथम एक चौकी पर भगवान धन्वन्तरि का चित्र जिसमें वे अमृत-कलश लिए हों, स्थापित करें तत्पश्चात् उस चित्र की धूप, दीप, पुष्प, नैवेद्य, आरती से पूजा करें। इस प्रकार धनत्रयोदशी के दिन भगवान धन्वन्तरि की पूजा करने से आरोग्य एवं लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।
 
मध्यान्ह काल-
 
भगवान धन्वन्तरि की पूजा के उपरान्त अपरान्ह (दोपहर) में नवीन वस्तुओं का क्रय करें। नवीन वस्तुओं क्रय करते समय ध्यान रखें कि खरीददारी में चांदी की कोई वस्तु अवश्य हो। धनत्रयोदशी के दिन चांदी खरीदने से वर्षभर सुख-समृद्धि बनी रहती है।ALSO READ: Dhanteras 2025: कौन हैं धन्वंतरि जिनकी होती है धनतेरस पर पूजा, जानें भगवान धन्वंतरि का रहस्य
 
सायंकाल (प्रदोषकाल)-
 
धनत्रयोदशी के दिन सायंकाल यमराज के निमित्त दीपदान करें, इसे 'यम-दीपदान' कहा जाता है। घर के मुख्य द्वार के बाहर गोबर का लेपन करें तत्पश्चात् मिट्टी के दो दीयों में तेल डालकर प्रज्वलित करें। दीये प्रज्वलित करते समय 'दीपज्योति नमोस्तुते' मन्त्र का जाप करते रहे एवं अपना मुख दक्षिण दिशा की ओर रखें। धनत्रयोदशी के दिन 'यम-दीपदान' करने से घर-परिवार में किसी सदस्य की अकाल-मृत्यु नहीं होती है।
 
प्रदोषकाल समय: शास्त्रानुसार प्रदोषकाल सूर्यास्त से दो घड़ी अर्थात् 48 मिनट तक रहता है। मतान्तर से कुछ विद्वान इसे 1 घड़ी (24 मिनट) सूर्यास्त से पूर्व तथा 1 घड़ी (24 मिनट) सूर्यास्त के पश्चात तक का भी मानते हैं।
 
-ज्योतिर्विद् पं. हेमन्त रिछारिया
प्रारब्ध ज्योतिष परामर्श केन्द्र

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