How to do Diwali Puja at home: दीपावली का त्योहार हर साल कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है। लक्ष्मी पूजन का सबसे शुभ समय प्रदोष काल (सूर्यास्त के बाद का समय) और स्थिर लग्न में माना जाता है, जब मां लक्ष्मी पृथ्वी पर विचरण करती हैं। चूंकि हर वर्ष की तिथि और मुहूर्त बदल जाते हैं, इसलिए आपको अपनी तिथि के अनुसार मुहूर्त देखना चाहिए। लक्ष्मी पूजन के सही मुहूर्त और विधि की जानकारी हर साधक के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। आपको बता दें कि मुहूर्त और चौघड़िया के समय में 2 से 5 मिनट की घट-बढ़ रह सकती है।
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वर्ष 2025 में लक्ष्मी पूजन कब किया जाएगा, इसका शुभ समय क्या है, और पूजा की सरल विधि क्या है, यहां जानें।
दीपावली/दिवाली लक्ष्मी पूजा का सही समय और शुभ मुहूर्त : Laxmi Puja Shubh Muhurat Timing 2025
20 अक्टूबर 2025 दिवाली के दिन लक्ष्मी पूजा के शुभ मुहूर्त, कार्तिक अमावस्या तिथि:
कार्तिक कृष्ण अमावस्या तिथि का प्रारम्भ- 20 अक्टूबर 2025 को दोपहर 03:44 बजे से प्रारंभ।
अमावस्या तिथि समाप्त- 21 अक्टूबर 2025 को शाम 05:54 बजे समाप्त।
दिनभर के मुहूर्त:
अभिजीत मुहूर्त: सुबह 11:48 से 12:34 तक।
विजयी मुहूर्त: दोपहर 02:07 से 02:53 तक।
गोधूली मुहूर्त: शाम 05:57 से 06:22 तक।
संध्या पूजा: शाम 05:57 से 07:12 तक।
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त- शाम 07:23 से रात्रि 08:27 के बीच।
प्रदोष काल- शाम 05:57 से 08:27 के बीच।
वृषभ काल- रात्रि 07:23 से 09:22 के बीच।
निशीथ काल पूजा : रात्रि 11:47 से 12:36 तक।
20 अक्टूबर 2025 के चौघड़िया मुहूर्त:
अमृत: प्रात: 06:25 से 07:52 तक।
शुभ: सुबह 09:18 से 10:45 तक।
लाभ: दोपहर बाद 03:04 से 04:31 तक।
अमृत: शाम 04:31 से 05:57 तक।
चर: शाम 05:57 से रात्रि 07:31 तक।
लाभ: मध्यरात्रि 10:38 से 12:11 तक।
दिवाली पर लक्ष्मी पूजन करने की सही विधि: Ganesh Laxmi Puja Steps, Method
1. तैयारी:
* पूजा स्थान (ईशान कोण या उत्तर दिशा) को साफ करें और गंगाजल छिड़ककर पवित्र करें।
* एक चौकी (पटरी) पर लाल या गुलाबी वस्त्र बिछाएं।
* चौकी पर गणेश जी की मूर्ति/तस्वीर रखें, और उनके दाहिने ओर लक्ष्मी जी की मूर्ति/तस्वीर स्थापित करें।
* अनाज के ढेर पर कलश (जल से भरा) स्थापित करें।
* पूजा सामग्री (रोली, चावल, हल्दी, कुमकुम, सुपारी, पान, लौंग, इलायची, फल, मिठाई, खील, बताशे, धूप, दीप, अगरबत्ती, कपूर, घी) एकत्रित करें।
* धन (रुपये, सिक्के), बहीखाते (यदि हों) और आभूषण भी पूजा में रखें।
* स्वयं स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
2. संकल्प:
* हाथ में थोड़ा जल, चावल और फूल लेकर अपनी मनोकामना बोलते हुए पूजा का संकल्प लें।
3. पवित्रीकरण और दीपक प्रज्वलित करना:
* पवित्री मंत्र बोलते हुए जल से स्वयं पर और पूजा सामग्री पर छींटे दें।
* सबसे पहले घी का दीपक जलाएं।
4. गणेश पूजन:
* सर्वप्रथम भगवान गणेश का ध्यान करें और उन्हें रोली और चावल तिलक लगाकर पुष्प, दूर्वा/ घास और प्रसाद में लड्डू या मोदक अर्पित करें।
5. लक्ष्मी पूजन:
* माँ लक्ष्मी का ध्यान करते हुए आवाहन करें।
* माँ लक्ष्मी को पंचामृत से स्नान कराएं (यदि संभव हो, अन्यथा जल के छींटे दें)।
* उन्हें नए वस्त्र, आभूषण, पुष्पमाला और लाल रंग के फूल (जैसे कमल) अर्पित करें।
* रोली और चावल से तिलक करें।
* श्री सूक्त या लक्ष्मी मंत्रों का जाप करें।
* उन्हें खील, बताशे, मिठाई (केसर भात, खीर आदि) और फल का भोग लगाएं।
6. अन्य देवताओं की पूजा:
* कुबेर जी, सरस्वती जी और तिजोरी/दुकान की भी विधिपूर्वक पूजा करें।
7. आरती:
* अंत में भगवान गणेश और माँ लक्ष्मी की आरती करें।
* आरती के बाद कर्पूर जलाएं।
8. प्रणाम और प्रसाद वितरण:
* सभी को प्रसाद बांटें और बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद लें।
दिवाली के दिन महालक्ष्मी पूजन के बाद इन मंत्रों का जाप अवश्य करें।
- 'ॐ ऐं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नम:।'
- 'ॐ ऐं क्लीं महालक्ष्म्यै नम:।'
- 'ॐ ऐं क्लीं सौ:।'
- 'ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्री महालक्ष्म्यै नम:'।
- 'ॐ श्रीं च विद्महे अष्ट ह्रीं च धीमहि तन्नो लक्ष्मी-विष्णु प्रचोद्यात।'
नोट: क्षेत्र और परिवार की परंपरा के अनुसार लक्ष्मी पूजन की विधि में भिन्नता हो सकती है। किसी भी शुभ कार्य से पहले अपने पंडित या ज्योतिषाचार्य से सही मुहूर्त और विधि की पुष्टि करना सबसे अच्छा होता है।
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