Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

Diwali muhurat 2024 : दिवाली पर लक्ष्मी पूजा के शुभ मुहूर्त और सामग्री सहित पूजा विधि

हमें फॉलो करें Diwali muhurat 2024 : दिवाली पर लक्ष्मी पूजा के शुभ मुहूर्त और सामग्री सहित पूजा विधि

WD Feature Desk

, बुधवार, 30 अक्टूबर 2024 (08:06 IST)
Diwali ka shubh muhurat kab hai 2024: सूर्यास्त के बाद के तीन मुहूर्त तक प्रदोष काल रहता है। देवी लक्ष्मी का पूजन प्रदोष काल में किया जाना चाहिए। 31 अक्टूबर 2024 गुरुवार को प्रदोष काल के साथ ही संपूर्ण रात्रि में अमावस्या रहेगी। इसलिए लक्ष्मी पूजा इसी दिन किया जाना शास्त्र सम्मत माना गया है। अधिकांश विद्वान 31 अक्टूबर को ही दिवाली मनाए जाने की सलाह दे रहे हैं। इस मान से जानिए इस दिन की पूजा के शुभ मुहूर्त, सामग्री और पूजा विधि।
webdunia
अमावस्या तिथि प्रारम्भ- 31 अक्टूबर 2024 को दोपहर 03:52 बजे से।
अमावस्या तिथि समाप्त- 01 नवम्बर 2024 को शाम 06:16 बजे तक।
 
31 अक्टूबर 2024 दिवाली के दिन लक्ष्मी पूजा के शुभ मुहूर्त:-
ब्रह्म मुहूर्त: प्रात: 04:49 से 05:41 तक।
प्रात: संध्या: प्रात: 05:15 से 06:32 तक।
अभिजीत मुहूर्त: सुबह 11:42 से 12:27 तक।
विजयी मुहूर्त: दोपहर 01:55 से 02:39 तक।
गोधुली मुहूर्त: शाम 05:36 से 06:02 तक।
संध्या पूजा : शाम 05:36 से 06:54 तक।
अमृत काल : शाम 05:32 से 07:20 तक।
निशिथ पूजा काल : रात्रि 11:39 से 12:31 तक।
 
लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त : शाम 05:32 से 08:51 के बीच।
 
31 अक्टूबर 2024 दिवाली के दिन का चौघड़िया:- 
लाभ : दोपहर 12:04 से 01:27 के बीच।
अमृत : दोपहर 01:27 से 02:50 के बीच।
शुभ : अपराह्न काल 04:13 से 05:36 के बीच।
अमृत : शाम 05:36 से 07:14 के बीच।
चर : रात्र‍ि 07:14 से 08:51 के बीच।
webdunia
लक्ष्मी पूजा की सामग्री Lakshmi pujan ki samagri : धूप बत्ती (अगरबत्ती), चंदन, कपूर, केसर, यज्ञोपवीत 5, कुंकु, चावल, अबीर, गुलाल, अभ्रक, हल्दी, सौभाग्य द्रव्य- (मेहंदी, चूड़ी, काजल, पायजेब, बिछुड़ी आदि आभूषण), नाड़ा, रुई, रोली, सिंदूर, सुपारी, पान के पत्ते, पुष्पमाला, कमलगट्टे, धनिया खड़ा, सप्तमृत्तिका, सप्तधान्य, कुशा व दूर्वा, पंच मेवा, गंगाजल, शहद (मधु), शकर, घृत (शुद्ध घी), दही, दूध, ऋतुफल (गन्ना, सीताफल, सिंघाड़े इत्यादि), नैवेद्य या मिष्ठान्न (पेड़ा, मालपुए इत्यादि), इलायची (छोटी), लौंग, मौली, इत्र की शीशी, तुलसी दल, सिंहासन (चौकी, आसन), पंच पल्लव (बड़, गूलर, पीपल, आम और पाकर के पत्ते), औषधि (जटामॉसी, शिलाजीत आदि।
 
इसके अलावा लक्ष्मीजी का पाना (अथवा मूर्ति), गणेशजी की मूर्ति, सरस्वती का चित्र, लक्ष्मीजी को अर्पित करने हेतु वस्त्र, गणेशजी को अर्पित करने हेतु वस्त्र, अम्बिका को अर्पित करने हेतु वस्त्र, सफेद कपड़ा (आधा मीटर), लाल कपड़ा (आधा मीटर), चांदी का सिक्का, जल कलश (तांबे या मिट्टी का), पंच रत्न (सामर्थ्य अनुसार), दीपक, बड़े दीपक के लिए तेल, ताम्बूल (लौंग लगा पान का बीड़ा),  खील-बताशे, अर्घ्य पात्र सहित अन्य सभी पात्र, स्याही की दवात, तुला (तराजू), पुष्प (गुलाब एवं लाल कमल), श्रीफल (नारियल), धान्य (चावल, गेहूं), लेखनी (कलम), बही-खाता, एक नई थैली में हल्दी की गांठ, खड़ा धनिया व दूर्वा आदि।
 
लक्ष्मी पूजन की सरल विधि | Lakshmi puja ki saral vidhi:
1. पवित्र होकर पूजा स्थल को साफ सुधरा करके वहां गंगाजल छिड़कें। पूजन में शुद्धता व सात्विकता का विशेष महत्व है।
2. अब उस स्थल पर स्वस्तिक बनाएं और उसके ऊपर एक मुठ्ठी चावल रखें। 
3. इसके बाद माता लक्ष्मी, श्रीगणेश और कुबेरजी को विराजमान करने के लिए लकड़ी का पाट रखें।
4. पाट के ऊपर लाल या पीला वस्त्र बिछाकर उस पर माता लक्ष्मी की मूर्ति या चित्र को रखें। 
5. चित्र या मूर्ति को साफ करने या गंगाजल छिड़कने के बाद अब उनके समक्ष अगरब्ती, धूप, दीप आदि प्रज्वलित करें।
6. अब माता के चित्र के आसपास केले के पत्ते रखें और गन्ना रखें।
7. अब माता की सभी प्रिय वस्तुएं उन्हें अर्पित करें। जैसे कमल का फूल, सिंघाड़ा, पीली मिठाई, कमलगट्टा आदि।
8. फिर मां लक्ष्मी की षोडशोपचार पूजा करें। उन्हें सबसे पहले फूल की माला पहनाएं और हल्दी, कुंकू एवं चावल लगाएं।
9. अनामिका अंगुली (छोटी उंगली के पास वाली यानी रिंग फिंगर) से गंध (चंदन, कुमकुम, अबीर, गुलाल, हल्दी, मेहंदी) लगाना चाहिए।
10. सभी सामग्री अर्पित करने के बाद माता की आरती उतारें। आरती में घर के सभी सदस्य सम्मलित हों।
11. पूजा और आरती के बाद प्रसाद या नैवेद्य (भोग) चढ़ाएं। ध्यान रखें कि नमक, मिर्च और तेल का प्रयोग नैवेद्य में नहीं किया जाता है। प्रत्येक पकवान पर तुलसी का एक पत्ता रखा जाता है।
ALSO READ: दिवाली से पहले बन रहा गुरु पुष्य योग, जानिए इस बार क्यों माना जा रहा है सबसे शुभ मुहूर्त

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

जानिए सबसे पहले किसने की थी छठ पूजा, क्या है माता सीता का छठ पूजा से सम्बन्ध