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हरिवंश राय बच्चन की पुण्यतिथि, पढ़ें उनकी अमर रचना 'मधुशाला'

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हमें फॉलो करें Harivansh Rai Bachchan

WD Feature Desk

, शनिवार, 18 जनवरी 2025 (14:21 IST)
Harivansh Rai Bachchan: आज, 18 जनवरी को हिन्दी के प्रसिद्ध साहित्यकार और प्रमुख कवि डॉ. हरिवंश राय बच्चन की पुण्यतिथि है। उनका निधन 18 जनवरी 2003 को मुंबई में 95 वर्ष की उम्र में हुआ था। वे काफी लंबे समय तक बीमार रहे थे। उनका जन्म इलाहाबाद के एक मध्यमवर्गीय परिवार में 27 नवंबर 1907 को हुआ था। उन्हें 'मधुशाला' के रचयिता के रूप में जाना जाता है। उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार, अफ्रीका-एशिया लेखक संघ कॉन्फ्रेंस का लोटस पुरस्कार, प्रथम सरस्वती सम्मान, साहित्य वाचस्पति तथा पद्म भूषण आदि सम्मानों तथा उपाधि से नवाजा जा चुका है।ALSO READ: Maharana Pratap: महाराणा प्रताप सिंह की पुण्यतिथि, जानें एक महान वीर योद्धा के बारे में
 
आइए पुण्यतिथि के अवसर पर आज पढ़ें हरिवंश राय बच्चन सबसे अधिक लोकप्रिय कविता 'मधुशाला' : 
 
'मधुशाला' 
 
मदिरालय जाने को घर से 
चलता है पीनेवाला, 
'किस पथ से जाऊं?' 
असमंजस में है वह भोलाभाला; 
अलग-अलग पथ बतलाते सब 
पर मैं यह बतलाता हूं-
'राह पकड़ तू एक चला चल, 
पा जाएगा मधुशाला'।
 
पौधे आज बने हैं साकी 
ले-ले फूलों का प्याला, 
भरी हुई है जिनके अंदर 
परिमल-मधु-सुरभित हाला, 
मांग-मांगकर भ्रमरों के दल 
रस की मदिरा पीते हैं, 
झूम-झपक मद-झंपित होते, 
उपवन क्या है मधुशाला!
 
एक तरह से सबका स्वागत 
करती है साकीबाला, 
अज्ञ-विज्ञ में है क्या अंतर 
हो जाने पर मतवाला, 
रंक-राव में भेद हुआ है 
कभी नहीं मदिरालय में, 
साम्यवाद की प्रथम प्रचारक 
है यह मेरी मधुशाला।
 
छोटे-से जीवन में कितना 
प्यार करूं, पी लूं हाला, 
आने के ही साथ जगत में 
कहलाया 'जानेवाला', 
स्वागत के ही साथ विदा की 
होती देखी तैयारी, 
बंद लगी होने खुलते ही 
मेरी जीवन-मधुशाला!
 
अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, जो विभिन्न सोर्स से लिए जाते हैं। इनसे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। सेहत या ज्योतिष संबंधी किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। इस कंटेंट को जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है जिसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।


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