हिंदी अर्थ:- जल में अमृत है, जल में औषधि है.. हे ऋषि जनों, ऐसे श्रेष्ठ जल की प्रशंसा अर्थात् स्तुति करने में शीघ्रता बरतें।
पानी, जल, नीर. .. वॉटर.... कभी हथेली पर रखकर देखिए एक बूंद जल, महसूस कीजिए प्रकृति का चमत्कार, कीजिए कुछ सवाल... पानी क्या है? कहां से आया? कहां जाएगा? क्यों है कमी, कैसे करें पूरी....?
आज पानी कहां नहीं है, पानी हर जगह है, हर कहीं है, हमारे शरीर में है, बादलों में है, आकाश में है, जमीन के भीतर है... जब हर कहीं पानी है तो फिर पानी को लेकर परेशानी क्यों है? पानी को लेकर संघर्ष क्यों है? इसकी वजह है जल प्रदूषण, विषमय प्रदूषित जल आज हमारी सबसे बड़ी समस्या है।
पानी क्या है?
पानी प्रकृति का चमत्कार है। ऐसा तरल, द्रव्य जो जीवन के लिए अति आवश्यक है। जल ही जीवन है। जीवन के लिए जल जरूरी है। हम भोजन के बिना एक महीने से ज्यादा जीवित रह सकते हैं, लेकिन जल के बिना एक सप्ताह से अधिक जीवित नहीं रह सकते। कुछ जीवों (जैसे जैली फिश) में उनका 90 प्रतिशत से अधिक शरीर का भार जल से होता है। मानव शरीर में लगभग 60 प्रतिशत जल होता है- मस्तिष्क में 85 प्रतिशत जल है, रक्त में 79 प्रतिशत जल है तथा फेफड़ों में लगभग 80 प्रतिशत जल होता है। हाइड्रोजन और ऑक्सीजन के संयोग से पानी का जन्म हुआ। निश्चय ही यह प्रक्रिया धरती के ठंडे होने तथा वायुमण्डल के अस्तित्व में आने के बाद ही सम्पन्न हुई होगी।
जल प्रदूषण क्या है?
जब हमारी सुंदर झीलों, चमकीली नहरों, पवित्र नदियों, विशाल समुद्र तथा अन्य जल निकायों में विषैले पदार्थ घुल जाते है अथवा पानी में पड़े रहते हैं या नीचे एकत्र हो जाते हैं तब जल प्रदूषित हो जाता है और इससे जल की गुणवत्ता में कमी आ जाती है तथा जलीय पारिस्थितिकी प्रणाली प्रभावित होती है।
पानी की खोज कब हुई है?
पानी की खोज कब हुई थी? वैज्ञानिकों का अनुमान है कि धरती पर पानी का आगमन लगभग 400 करोड़़ साल पहले हुआ होगा।
पृथ्वी पर कितना जल है?
पृथ्वी की सतह लगभग 75 प्रतिशत जल से आप्लावित है। लेकिन इसका 97 प्रतिशत समुद्रों में है तथा पृथ्वी का केवल 3 प्रतिशत जल ही पीने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। वहीं, इसका अधिकतर हिस्सा या तो धुवीय हिम के रूप में जम जाता है या मृदा में मिल जाता है। अतः हम जो पानी इस्तेमाल करते हैं वह पृथ्वी के सतही जल की कुल मात्रा का केवल 0.5 प्रतिशत है।
पृथ्वी का जल कहां है?
पृथ्वी का पानी (लगभग) हर जगह है। पृथ्वी के ऊपर हवा और बादलों में, पृथ्वी की सतह पर नदियों, महासागरों, बर्फ, पौधों में, जीवित जीवों में, और पृथ्वी के अंदर जमीन के शीर्ष कुछ मील में।
दुनिया का सबसे शुद्ध पानी कौन सा है?
वर्षा का पानी पानी का सबसे शुद्ध रूप है क्योंकि सूर्य द्वारा पानी के वाष्पीकरण के दौरान सभी अशुद्धियों और लवणों को समुद्र में पीछे छोड़ दिया जाता है।
मानव शरीर में जल
मानव शरीर में लगभग 60 प्रतिशत जल होता है- मस्तिष्क में 85 प्रतिशत जल है, रक्त में 79 प्रतिशत जल है तथा फेफड़ों में लगभग 80 प्रतिशत जल होता है।
क्या पानी बनाया जा सकता है?
सैद्धांतिक रूप से यह संभव है, लेकिन यह एक अत्यंत खतरनाक प्रक्रिया सिद्ध होगी। पानी बनाने के लिए ऑक्सीजन और हाइड्रोजन परमाणु मौजूद होने चाहिए। उन्हें एक साथ मिलाने भर से पानी बनाने में मदद नहीं मिलती। अगर पानी और विशेषकर शुद्ध पानी बनाया जाना इतना आसान होता तो आज जल संरक्षण दिवस मनाए जाने की जरूरत नहीं होती...
सबसे अच्छा पानी किस देश का है?
स्विट्ज़रलैंड : सख्त उपचार मानकों और बेहतर प्राकृतिक संसाधनों के साथ, स्विट्ज़रलैंड सर्वश्रेष्ठ ईपीआई के लिए नंबर एक स्थान पर है। वास्तव में, स्विस नल का पानी अपने बोतलबंद पानी जितना शुद्ध है - लेकिन 500 गुना सस्ता है।
ऐसा कौन सा देश है जहां पानी की कमी है?
दक्षिण अफ़्रीका का केपटाउन शहर जल्द ही आधुनिक दुनिया का पहला ऐसा बड़ा शहर बनने जा रहा है जहां पीने के पानी की भारी कमी होने वाली है।
जल संरक्षण के लिए आप क्या कर सकते हैं?
-घर में पानी के बेकार में टपकने या रिसने के रोकें।
-जितनी आवश्यकता हो उतने ही जल का उपयोग करें ।
-पानी के नलों को इस्तेमाल करने के बाद बंद रखें ।
-मंजन करते समय नल को बंद रखें तथा आवश्यकता होने पर ही खोलें।
-नहाने के लिए अधिक जल को व्यर्थ न करें।
-ऐसी वाशिंग मशीन का इस्तेमाल करें जिससे अधिक जल की खपत न हो।
-खाद्य सामग्री तथा कपड़ों को धोते समय नलों का खुला न छोड़ें।
-जल को कदापि नाली में न बहाएं बल्कि इसे पौधों अथवा बगीचे को सींचने अथवा सफाई इत्यादि में लाएं।
-सब्जियों तथा फलों को धोने में उपयोग किए गए जल को फूलों तथा सजावटी पौधों के गमलों को सींचने में किया जा सकता है।
-पानी की बोतल में अंततः बचे हुए जल को फेंके नही बल्कि इसका पौधों को सींचने में उपयोग करें।
-पानी के हौज को खुला न छोड़ें।
-तालाबों, नदियों अथवा समुद्र में कूड़ा न फेंकें। (साभार: केंद्रीय जल आयोग)
22 मार्च को विश्व जल संरक्षण दिवस (World Water Saving Day)
पूरा विश्व हर साल जल संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से इस दिन को मनाता है। प्रतिदिन पानी का व्यर्थ बहाव इस बात की ओर इशारा करता है कि हमें इस दिवस को मनाने की अतिआवश्यकता है।
विश्व जल संरक्षण दिवस मनाने की शुरुआत 1993 में संयुक्त राष्ट्र की सामान्य सभा द्वारा हुई, इस दिन को मनाए जाने की घोषणा की गई। इसका प्रमुख उद्देश्य समाज में जल की आवश्यकता, उसके महत्व और संरक्षण के प्रति जागरुकता पैदा करना था। इसके बाद 22 मार्च का दिन तय कर इसे विश्व जल संरक्षण के रूप में मनाए जाने का निर्णय लिया गया, जो आज तक पूरे विश्व में मनाया जाता है।
1992 में ब्राजील के रियो डी जेनेरियो में पर्यावरण और विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन की अनुसूची 21 में इसे आधिकारिक रूप से शामिल किया गया था। लेकिन बाद में 1993 से ही इसे एक उत्सव के तौर पर मनाया गया।
विश्व जल दिवस 2023 की थीम क्या है
हर साल UN द्वारा जल दिवस के आस-पास जल सम्मलेन का आयोजन भी किया जाता है। इस साल संयुक्त राष्ट्र 2023 जल सम्मलेन 22 से 24 मार्च ,न्यूयॉर्क में किया जायेगा। साल 2010 में United Nations ने “सुरक्षित और स्वच्छ पेयजल एवं स्वच्छता के अधिकार” को मानव अधिकार के रूप में मान्यता दी थी।इस साल विश्व जल दिवस 2023 की थीम (World Water Day theme) अक्सेलरेटिंग चेंज (Accelerating Change) यानी परिवर्तन में तेजी रखी गई है। इस वर्ष 2023 में Water Day को Be the change अभियान के तहत मनाया जाएगा।
वेदों में जल और जल देवी की महिमा
वेदों में कहा गया है कि जल की स्तुति में ऋषि मुनियों, यज्ञ-पुरोहित और मानव को विलंब नहीं करना चाहिए।
हिंदी अर्थ:- जिस जल का पान हमारी गायें करती हैं उस जलदेवी का मैं आह्वान (नमस्कार) करता हूं। सिंधुओं (नदियों) को आहुति समर्पित करना हमारा कर्तव्य है।यहां सिंधु का अर्थ नदी है
हिंदी अर्थ:जल मेरे शरीर के लिए रोगनिवारक औषध की पूर्ति करे। हम चिरकाल तक सूर्य को देखें।
हिंदी अर्थ:- प्रभु से मेरी प्रार्थना है की जल मेरे शरीर के लिए एक रोगनिवारक औषधि की तरह कार्य करे और मैं चिरंजीवी होकर लम्बे समय तक सूर्य को देखता रहूं...
यासु राजा वरुणो यासु सोमो विश्वेदेवा या सूर्जं मदन्ति।।
हिंदी अर्थ:राजा वरुण औऱ सोम जिस जल में निवास करते हैं। जिसमें विद्यमान सभी देवी देवता अन्न से आनन्दित होते हैं, जिसमे अग्निदेव स्वयं निवास करते हैं, वे दिव्य जलदेव हमारी रक्षा करें।
विशेष- जल देवियां या जलमातृकाएं ये हैं- मत्सी कूर्मी, वाराही, दर्दुरी, मकरी, जलूका और जन्तुका।