Left islam X Muslim: कई मीडिया रिपोर्ट में यह पढ़ने में आया कि भारत ही नहीं बल्कि इस्लामिक देशों में भी बड़ी संख्या में मुसमान लोग इस्लाम छोड़ रहे हैं। हालांकि इसकी पुष्टी करना मुश्किल है कि कितनी संख्या में लोग इस्लाम छोड़ रहे हैं लेकिन हर तरह की मीडिया प्लेटफॉर्म की खबरों में यह पढ़ा जा सकता। हालांकि अब यह जानना जरूरी हो गया है कि क्या है एक्स मुस्लिम मूवमेंट, क्यों छोड़ रहे हैं मोमिन लोग इस्लाम?
प्यू रिसर्च सेंटर का कहना है कि हर साल अमेरिका में ही 1 लाख से ज्यादा लोग आधिकारिक रूप से इस्लाम छोड़ रहे हैं। 2017 की प्यू रिसर्च सेंटर की रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका में 35 लाख मुसलमान हैं। प्यू रिसर्च सेंटर का यह भी कहना है कि जनसंख्या के मामले में इस्लाम 10 साल में सभी को पीछे कर देगा। 2035 तक दुनिया में सबसे ज्यादा मुसलमान होंगे।
इन लोगों का मानना है कि हम मानते हैं कि इस्लाम की कुछ चीजें ठीक नहीं हैं और ऐसे में हम उस मजहब का पालन नहीं कर सकते। कई लोगों का यह भी मानना है कि इस्लाम जीवन को सीमित कर देता है, भेदाभव सिखता है और यह व्यक्तिगत स्वतंत्रता को पूरी तरह से खत्म करता है। इस्लाम से दूरी बनाने वाले लोगों में एक वर्ग उनका भी है, जो किसी और धर्म से इसमें आए थे। इस्लाम से दूरी बनाने वाले लोगों में एक वर्ग उनका भी है, जो किसी और धर्म से इसमें आए थे। यहां यह बताना जरूरी है कि केवल इस्लाम ही नहीं अन्य धर्मों के लोग भी अपना धर्म छोड़कर नास्तिक बन रहे हैं लेकिन इस्लाम छोड़ने वाले लोगों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। ये लोग खुद को एक्स मुस्लिम कहते हैं और दुनियाभर में एक्स मुस्लिमों के सैंकड़ों संगठन भी बन चुके हैं।
टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत करते हुए इस्लाम को छोड़ने वालीं केरल की 48 साल की नूरजहां ने भी कुछ ऐसे ही कारण बताए थे। नूरजहां ने कहा था, 'बीते कुछ सालों में मैंने इस्लाम से नाता तोड़ लिया है। ऐसा इसलिए क्योंकि इसकी कुछ बातें मुझे अतार्किक लगती हैं। इसमें महिलाओं से भेदभाव होता है और उन्हें दोयम दर्जे का माना जाता है।' वह कहती हैं कि मेरी बेटियां हैं और मैं उन्हें किसी भी धर्म की शिक्षा नहीं दे रही हूं।
इंटरनेट और सोशल मीडिया से आ रही है क्रांति:
जहां तक एक्स मुस्लिम होने का सवाल है तो यह तो सोवियत संघ के दौर से ही जारी है परंतु इंटरनेट के युग के चलते यह अब तेजी से बढ़ने लगा है। ईरानी मूल के लेखक और राइट्स ऐक्टिविस्ट मरियम नमाजी कहते हैं कि इसकी वजह इंटरनेट के जरिए तेजी से सूचनाओं का पहुंचना भी है। वह तो कहते हैं कि जैसे प्रिंटिंग प्रेस आने से ईसाईयत पर असर पड़ा था। उसी तरह इंटरनेट का असर इस्लाम पर होगा।
एक्स मुस्लिम ग्रुप एंड मूवमेंट:
खबरों के अनुसार साल 2016 में इसपर एक डॉक्युमेंट्री भी बनी- इस्लाम्स नॉन-बिलीवर्स। नॉर्वे में बनी इस फिल्म में एक्स-मुस्लिमों के डर और खतरों पर बात की गई कि किस तरह उन्हें कट्टरपंथियों की धमकियां मिलती हैं। ऐसे में एक्स-मुस्लिम्स ने एक काम ये किया कि वे अपने जैसी सोच वालों को जोड़ने लगे। इस तरह एक्स मुस्लिम मूवमेंट प्रारंभ हुआ और अब ये लोग यूट्यूब, इंस्टाग्राम और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से लोगों को बता रहे हैं कि हमने इस्लाम क्यों छोड़ा। साल 2007 में जर्मनी में सेंट्रल काउंसिल ऑफ एक्स मुस्लिम बना, जो यूरोप का सबसे बड़ा प्लेटफॉर्म था। इसके बाद ऐसे ग्रुप बनने लगे।
भारत में एक्स मुस्लिम :
विभिन्न मीडिया सूत्रों के अनुसार वर्तमान में पहले पाकिस्तान से इस्लाम को छोड़ने की हवा चली जो अब भारत में भी फैल गई है। हालांकि इसके पीछे के इतिहास की बात करें तो इसकी शुरुआत 2005 में जर्मन से हो गई थी। इसके बाद 2007 में जर्मनी, यूनाइटेड किंगडम, नीदरलैंड्स में एक्स-मुस्लिम के कई संगठन बन गए। तब से लेकर अब तक दुनियाभर में करीब 50 से ज्यादा एक्स-मुस्लिम संगठन है।
इसकी क्रम में भारत में भी एक्स-मुस्लिम्स ऑफ केरल (EMU) नामक ग्रुप भी सक्रिय है। इसके अलावा भी एक ग्रुप है, जिसका नाम नॉन-रिलीजियस सिटिजन्स है। एक्स मुस्लिम लोग यानी वे लोग जिन्होंने इस्लाम को छोड़ दिया है। साइंस के इस युग में धर्म पर अब कई तरह के सवाल खड़े किए जाने लगे हैं। यह सिर्फ इस्लाम में ही नहीं बल्कि हिन्दू, ईसाई सहित सभी धर्मों में होने लगा है।
भारत की बात करें तो कुछ वर्ष पहले 3 या 4 एक्स मुस्लिम होते थे, परंतु अब इनकी संख्या लाखों में है। भारतीय राज्य केरल से सबसे पहले एक्स मुस्लिम निकलकर आने लगे। हालांकि इससे पहले और भी राज्यों में यह हो रहा होगा लेकिन मीडिया में उनकी खबरें नहीं होती थी। केरल के एक्स-मुस्लिम संगठन ने 9 जनवरी को एक्स-मुस्लिम दिवस के रूप में मनाना शुरू किया तब से यह बहुत चर्चा में हो गया था। 'एक्स मुस्लिम ऑफ केरल' नाम के इस संगठन के प्रेसिडेंट डॉक्टर आरिफ हुसैन थेरुवथ हैं। इस संगठन का गठन 2021 में हुआ है। डॉक्टर आरिफ हुसैन थेरुवथ के अनुसार उनके संगठन से हजारों लोग जुड़े हुए हैं जो इस्लाम छोड़ चुके हैं।
वर्तमान में भारत में ऐसे कई एक्स मुस्लिम हैं जो अपने यूट्यूब चैनल चला रहे हैं। इनमें प्रमुख हैं- शकील प्रेम, जफर हेरेटिक, सचवाला, साहिल, एडम सीकर, एपोस्टेट इमाम, यास्मीन खान, फैज आलम आदि। इनके कई समर्थक हैं जो इनके समर्थन में चैनल चलाते हैं। ऐसे लोगों की संख्या निरंतर बढ़ रही हैं। ऐसा भी बताया जाता है कि पाकिस्तान मूल के एक्स मुस्लिम हैरिस सुल्तान और गालिब कमाल के कारण भी भारत के कई मुसलमानों ने इस्लाम से नाता तोड़ लिया है।
उल्लेखनीय है कि भारत में सबसे ज्यादा चर्चित एक्स मुस्लिम साहिल हैं जो कभी लोगों को इस्लाम की दावत दिया करते थे। लेकिन जब उनके मन में धर्म को लेकर सवाल उठे तो उन्होंने इनके मौलाना और आलीमों से जवाब जानना चाहे लेकिन वे उनके किसी भी जवाब से संतुष्ट नहीं हुए और तब उन्होंने यह खुद ही जाना की सच क्या है। यह साहिल का अपना परसेप्शन हो सकता है, जो गलत भी हो।
एक्स मुस्लिम साहिल का इंडिया टूटे में एक बयान प्रकाशित हुआ था जिसमें उन्होंने 2021 की प्यू रिसर्च सेंटर का हवाला देते हुए कहा था कि भारत में करीब 6 प्रतिशत मुसलमान 'ईश्वर में विश्वास नहीं करते'। इसका मतलब यह है कि यदि भारत में 20 करोड़ मुसलमानों रहते हैं तो उसमें से करीब 1.2 करोड़ मुसलमान अब एक्स मुस्लिम हैं।"
भारतीय एक्स मुस्लिमों को भारत के साथ-साथ बांग्लादेशी और पाकिस्तानी भी सुनते हैं और उनसे सवाल भी करते हैं। इन्हें अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और सऊदी अरब में हिंदू-उर्दू बोलने-समझने वाले भी सुनते हैं। इन लोगों को कई बार जान से मारने की धमकियां भी मिल चुकी है।
- मीडिया रिपोर्ट पर आधारित
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