ईरान की जिद से विश्व शांति पर मंडराते खतरे

शरद सिंगी
यूरोप और मध्य पूर्व में ग्रीष्म ऋतु अपने उफान पर है और वहीं होर्मुज की खाड़ी में भी राजनीतिक तापमान अपनी सीमाएं लांघ चुका है। होर्मुज की खाड़ी पश्चिम एशिया की एक महत्वपूर्ण जल संधि है जो ईरान के दक्षिण में फ़ारस की खाड़ी को हिन्द महासागर के साथ जोड़ती है या यूं भी कह सकते हैं कि पश्चिम एशिया में फारस की खाड़ी, जलडमरूमध्य होर्मुज के माध्यम से हिन्द महासागर का एक विस्तार है, जो ईरान को अरब प्रायद्वीप से अलग करता है।  
 
अरब देशों से होने वाले तेल के निर्यात की दृष्टि से यह जलडमरुमध्य बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि सऊदी अरब, इराक़, कुवैत, क़तर तथा ईरान जैसे देशों के तेल और गैस का निर्यात यहीं से होकर गुजरता है। होर्मुज जल संधि के दोनों तटों (ईरान और यूएई) के बीच अपने सबसे कम चौड़े स्थान पर मात्र 33 किलोमीटर की दूरी है और जो जल मार्ग है वह तो मात्र 3 किमी ही चौड़ा है। इसी मार्ग से दुनिया को उसके कच्चे तेल की मांग के पांचवें भाग की आपूर्ति होती है। पहले जब भी कभी अरब देशों में कहीं भी युद्ध छिड़ा तो सबसे पहले फारस की खाड़ी प्रभावित होती थी। सन् 1980-1988 के ईरान इराक युद्ध के दौरान इसी खाड़ी में दोनों पक्षों ने एक-दूसरे के तेल के जहाजों (तेल टैंकरों) पर आक्रमण किया था। सन् 1991 में जब इराक ने कुवैत पर हमला किया था तब यह खाड़ी पुनः चर्चा में आई थी, किंतु बाद में इराक को वापस पीछे ढकेल दिया गया था।
 
आज यही खाड़ी पुनः चर्चा में है और वह भी उन्हीं गलत कारणों से। ईरान इस खाड़ी को अपना अधिकार क्षेत्र समझता है। ईरान को लगता है कि अमेरिका ने उसके विरुद्ध जो आर्थिक और सामरिक प्रतिबंध लगा रखे हैं, उसका मुंहतोड़ जवाब वह इस खाड़ी में जल पोतों का परिवहन बंद करके या उसमें खलल डालकर दे सकता है और दुनिया को घुटने टेकने पर मज़बूर कर सकता है, इसीलिए चेतावनी स्वरूप सबसे पहले यूएई के समुद्र तट से कुछ दूरी पर सऊदी अरब के 4 तेल टैंकरों पर रहस्यमय तरीके से आक्रमण कर उन्हें नुकसान पहुंचाया था। उसके बाद तेल के 2 टैंकरों को होर्मुज की खाड़ी में विस्फोट कर उन्हें नुकसान पहुंचाया। चालक और कर्मी दल को ताबड़तोड़ बाहर निकलना पड़ा। शुक्र है कि कुछ जनहानि नहीं हुई।
 
यद्यपि ईरान ने इन विस्फोटों में अपना हाथ होने से इंकार किया है, किंतु शक की सुई उसी की ओर है यानी ईरान ने अपने इरादे साफ कर दिए हैं कि वह अमेरिका के दबाव की चिंता करने वाला नहीं। अमेरिका ने ताबड़तोड़ चालक रहित गश्ती विमानों (ड्रोन) को तेल टैंकरों के परिवहन की सुरक्षा और निगरानी रखने के लिए उड़ा दिए तो ईरान ने मिसाइल से एक ड्रोन को भी गिरा दिया। ऐसे में अमेरिका का भड़कना स्वाभाविक था।   
 
यदि राष्ट्रपति ट्रंप के ट्वीट वाले बयान को सच मान लें तो उन्होंने ईरान पर बम गिराने के आदेश दे दिए थे, किंतु जब उन्हें बताया गया कि इन बमों को गिराने से लगभग 150 मौतें भी संभव हैं तो उन्होंने आक्रमण के कुछ मिनटों पूर्व ही अपना आदेश वापस ले लिया। यदि ये बम गिरा दिए जाते और ईरान भी अपने अड़ियल रवैए पर कायम रहता तो खाड़ी में एक बार पुनः युद्ध के हालात बनने में देर नहीं लगती।
 
सऊदी अरब और यूएई अब अपने तेल को ट्रांसपोर्ट करने के लिए वैकल्पिक मार्ग खोज रहे हैं, उनमें वे भूमि पर पाइप लाइन डालने की योजना को अंजाम दे रहे हैं जो कुछ हद तक पूरी भी हो चुकी है। प्रतिबंधों के चलते ईरान के तेल को यदि विश्व बाजार में बेचने नहीं दिया गया तो उसके पास 2 ही रास्ते हैं या तो वह अमेरिका के सामने घुटने टेक दे अथवा और अधिक आक्रामक हो जाए। 
 
अभी तक की स्थिति के अनुसार वह अभी घुटने टेकने के मूड में तो नहीं है। युद्ध से सबसे पहले तो तेल की कीमतों में बढ़ोतरी होगी। हिन्दुस्तान को तुरंत अपनी आपात व्यवस्था करनी होगी, क्योंकि यदि युद्ध से होर्मुज मार्ग बंद होता है तो सऊदी और यूएई से भी तेल की आवक बंद हो सकती है। ऐसे में अमेरिका ही भारत का सहारा रह जाता है, जहां से अब आयात शुरू हो चुका है। 
 
ईरान की कट्टरपंथी ताकतें अपने परमाणु कार्यक्रमों को लेकर जिद में हैं और उसने उसे प्रतिष्ठा का प्रश्न बना रखा है। कहते हैं कि वहां की जनता भी अपने शासन के इस अड़ियल रवैए से बिलकुल खुश नहीं है और अनेक बार विद्रोह भी कर चुकी है जिसे बेरहमी से कुचला जा चुका है। उधर वहां के उदारवादी नेताओं की सरकार पर पकड़ कमजोर है।
 
ज्ञात हो कि ईरान के पास अकूत प्राकृतिक संपदा है और उसका दोहन ईरान को एक विकसित राष्ट्र बना सकता है, किंतु परमाणु हथियार बनाने की उसकी जिद ने इस राष्ट्र की जनता को आधारभूत सुविधाओं और विकास की संभावनाओं से महरूम कर रखा है। पता नहीं विश्व ऐसी कट्टरपंथी ताकतों से कब मुक्त होगा। अभी तो स्थितियां भयावह हैं।

(इस लेख में व्यक्त विचार/विश्लेषण लेखक के निजी हैं। इसमें शामिल तथ्य तथा विचार/विश्लेषण वेबदुनिया के नहीं हैं और वेबदुनिया इसकी कोई ज़िम्मेदारी नहीं लेती है)

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

जरूर पढ़ें

साइबर फ्रॉड से रहें सावधान! कहीं digital arrest के न हों जाएं शिकार

भारत: समय पर जनगणना क्यों जरूरी है

भारत तेजी से बन रहा है हथियार निर्यातक

अफ्रीका को क्यों लुभाना चाहता है चीन

रूस-यूक्रेन युद्ध से भारतीय शहर में क्यों बढ़ी आत्महत्याएं

सभी देखें

समाचार

LIVE: विमान में बम की झूठी धमकी, एक गिरफ्तार

बहराइच हिंसा में UP पुलिस को मिली बड़ी कामयाबी, मुख्य साजिशकर्ता 5 साथियों के साथ गिरफ्तार

बाबा सिद्दीकी हत्याकांड में STF को बड़ी कामयाबी, शूटर शिवकुमार बहराइच से गिरफ्तार, 4 अन्य भी पकड़े गए

अगला लेख
More