मलेशिया, मॉरीशस और सिंगापुर में हिन्दुओं का अस्तित्व संकट में...
खतरे में है हिन्दू धर्म का अस्तित्व? भाग-4
गतांग से आगे...
एक जानकारी के मुताबिक पूरी दुनिया में अब मात्र 13.95 प्रतिशत हिन्दू ही बचे हैं। नेपाल कभी एक हिन्दू राष्ट्र हुआ करता था लेकिन वामपंथ के वर्चस्व के बाद अब वह भी धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है। कभी दुनिया के आधे हिस्से पर हिन्दुओं का शासन हुआ करता था, लेकिन आज कहीं भी उनका शासन नहीं है। अब वे एक ऐसे देश में रहते हैं, जहां के कई हिस्सों से ही उन्हें बेदखल किए जाने का क्रम जारी है, साथ ही उन्हीं के उप संप्रदायों को गैरहिन्दू घोषित कर उन्हें आपस में बांटे जाने की साजिश भी जारी है। अब भारत में भी हिन्दू जाति कई क्षेत्रों में अपना अस्तित्व बचाने में लगी हुई है। इसके कई कारण हैं क्योंकि जरूरी नहीं है कि यह एक धार्मिक समस्या ही हो, लेकिन इससे इनकार भी नहीं किया जा सकता। आप तर्क द्वारा इसे धार्मिक समस्या से अलग कर सकते हैं।
मलेशिया में हिन्दू :
मलेशिया वर्तमान में एक मुस्लिम राष्ट्र है लेकिन पहले ये एक हिन्दू राष्ट्र था। मलय प्रायद्वीप का दक्षिणी भाग मलेशिया देश के नाम से जाना जाता है। इसके उत्तर में थाइलैण्ड, पूर्व में चीन का सागर तथा दक्षिण और पश्चिम में मलाक्का का जलडमरूमध्य है।
मलेशिया कभी हिन्दू राष्ट्र हुआ करता था। बाद में यहां बौद्धों का वर्चस्व बढ़ा और फिर यहां इस्लाम का प्रवेश हो गया। वर्तमान में मलेशिया एक मुस्लिम बाहुल्य देश है लेकिन यहां हिन्दुओं की जनसंख्या अब करीब 6.5 प्रतिशत ही रह गई है जबकि कुछ वर्ष पहले तक ये 13 प्रतिशत होते थे।
मलेशिया की जनसंख्या ढाई करोड़ से अधिक है। यहां मलय वंश के लोगों की संख्या लगभग 55 प्रतिशत है। यह सभी मुस्लिम मजहब के अनुयायी हैं। बौद्धों की संख्या 33 प्रतिशत और हिन्दू 13 से घटकर 6.5 ही बचे हैं जबकि अन्य भारतीयों को मिलाकर यह 9 प्रतिशत हैं।
उत्तर मलेशिया में बुजांग घाटी तथा मरबाक के समुद्री किनारे के पास पुराने समय के अनेक हिन्दू तथा बौद्ध मंदिर आज भी हैं। अंग्रेजों की गुलामी से 1957 में मुक्त हुआ। वहां पहाड़ी पर बटुकेश्वर का मंदिर है जिसे बातू गुफा मन्दिर कहते हैं। वहां पहुंचने के लिए लगभग 276 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। पहाड़ी पर कुछ प्राचीन गुफाएं भी हैं। पहाड़ी के पास स्थित एक बड़े मंदिर देखने में हनुमानजी की भी एक भीमकाय मूर्ति लगी है।
सिंगापुर में हिन्दू :
सिंगापुर एक छोटा सा राष्ट्र है। यह ब्राईंदेश दक्षिण में मलय महाद्वीप के दक्षिण सिरे के पास छोटा-सा द्वीप है। इसके उत्तर में मलेशिया का किनारा, पूर्व की ओर चीन का समुद्र और दक्षिण-पश्चिम की ओर मलक्का का जलडमरू- मध्य है। 14वीं सदी तक सिंगापुर टेमासेक नाम से जाना जाता था।
सुमात्रा के पॉलेमबग का राजपुत्र संगनीला ने इसे बासाया था तब इसका नाम सिंहपुर था। यहां इस बात के चिन्ह मिलते हैं कि उनका कभी हिन्दू धर्म से भी निकट का संबंध था। 1930 तक उनकी भाषा में संस्कृत भाषा के शब्दों का समावेश है। उनके नाम हिन्दुओं जैसे होते थे और कुछ नाम आज भी अपभ्रंश रूप में हिन्दू नाम ही हैं। सिंगापुर में हिन्दुओं की बड़ी आबादी बसती है। इस देश में 18 हिंदू मंदिर हैं। यहां सेरंगूं नाम की रोड दीवाली के लिए मशहूर है। यहां सभी भारतीय एकत्रित होकर बिना पट्टाखों के दीवाली मनाते हैं।
आकार में मुंबई से थोड़े छोटे इस देश में बसने वाली करीब 35 लाख की आबादी में चीनी, मलय व 8 प्रतिशत भारतीय लोग रहते हैं। वर्तमान में सिंगापुर में भारतीय वंश के लोगों की संख्या 40,000 के आसपास होगी।
मॉरीशस में हिन्दू :
भारत, नेपाल के बाद मॉरीशस में हिन्दुओं की आबादी सबसे ज्यादा है, लेकिन उक्त तीनों ही देशों में उनकी आबादी कई कारणों से घटती जा रही है। मॉरीशस में हिन्दुओं की आबादी कुल आबादी का 56.4% ही रह गए है। कभी वहां हिन्दू 70 प्रतिशत से ज्यादा होते थे। वर्तमान में वहां 16.7% मुसलमान और 25.3% ईसाई हैं। अन्य 1.6 प्रतिशत हैं।
मॉरीशस को अंग्रेजों की पराधीनता से मुक्ति 1968 में मिली थी। इससे पहले वहां मिशनरियों ने हिन्दुओं के मतांतरण की प्रक्रिया जोरों से चलाई जिसके चलते 25.3% आबादी ईसाइयों की हो गई। चूंकि ये सभी ईसाई हिन्दू हैं इसीलिए ये आपस में मिल-जुलकर ही रहते हैं। यहां किसी भी प्रकार का धार्मिक झगड़ा नहीं है। मॉरीशस में हिन्दू और मुसलमान भारत से जाकर बसे थे। इसके अलावा वहां अफ्रीकी मूल के कुछ लोग हैं। 19वीं सदी में मजदूरों के रूप में भारत से गए इन मजदूरों के वंशज आज मॉरीशस, फिजी, सूरीनाम, गयाना तथा अन्य कैरिबियाई द्वीपों में रह रहे हैं और वहां उनके देश को मजबूत बना रहे हैं।