चैट जीपीटी के जमाने में पत्रकारिता और नैतिकता का भविष्य

संदीपसिंह सिसोदिया
World Press Freedom Day 3 May: 'पत्रकारिता का मूल उद्देश्य सेवा भाव होना चाहिए। समाचार-पत्रों में महान शक्ति होती है, लेकिन जिस तरह जल की एक मुक्त धारा देश के पूरे तटीय क्षेत्र को जलमग्न कर देती है और फसलों को बर्बाद कर देती है, उसी प्रकार एक अनियंत्रित कलम भी नष्ट करने का कार्य करती है :  महात्मा गांधी
 
एक स्वतंत्र न्यूज़ मीडिया जिसमें समाचार पत्र, पत्रिका, टेलीविज़न रेडियो, ऑनलाइन समाचार पोर्टल एवं डिजिटल समाचार प्लेटफॉर्म जैसे नए मीडिया शामिल हैं, लोकतंत्र की लंबी और कठिन यात्रा के अभिन्न अंग रहे हैं परंतु मीडिया जिस तेजी से न्यू मीडिया बनकर हमारे समक्ष आकार ले रहा है उसका विकास और विस्तार उसे विकराल भी बना रहा है और विकृति का शिकार भी बना रहा है। 
 
पत्रकारिता के 6 प्रमुख सिद्धांतों (Canons of Journalism-1922), उत्तरदायित्त्व, प्रेस की स्वतंत्रता, स्वतंत्रता, सच्चाई और सटीकता, निष्पक्षता एवं उचित व्यवहार (Fair Play) का प्रतिपादन, पत्रकारिता को पेशेवर बनाने और पत्रकारिता के कार्य तथा इसकी सामग्री की निगरानी व मूल्यांकन करने के नैतिक मानकों को निर्धारित करने के लिए किया गया था।
 
परंतु वर्तमान समय में प्रिंट से लेकर डिजिटल मीडिया की अद्भुत तकनीक और असीम प्रसारण क्षमता के साथ ही वैश्विक स्तर पर इसमें नैतिकता का घोर संकट उत्पन्न हो गया है। भारत सहित संपूर्ण विश्व में नैतिक मानदंडों और सिद्धांतों के उल्लंघन के मामलों जैसे- पेड न्यूज़ से लेकर, फेक न्यूज़ का प्रसार, सनसनीखेज खबरें बनाना, सामान्य प्रकृति की खबरों को अतिशयोक्तिपूर्ण रूप से पेश करना, पूर्वाग्रहपूर्ण रिपोर्टिंग, प्रोपेगेंडा और त्रुटिपूर्ण सूचनाओं के प्रसार, भ्रामक सुर्खियां बनाना, निजता का उल्लंघन, तथ्यों का विरूपण आदि में कई गुना वृद्धि हुई है।
 
एक तरफ अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर मीडिया, पत्रकार जहां अपने अधिकारों का भरपूर दोहन कर रहा है, वहीं अक्सर वह निरंकुश और लापरवाह होकर अपनी जिम्मेदारियों और उद्देश्यों से भटक रहा है। आज की सबसे बड़ी चिंता यही है कि आखिर क्यों मीडिया अपने जन सरोकारी दायित्वों से मुंह मोड़ रहा है, क्यों सामाजिक उत्तरदायित्त्व के विचार को अनसुना कर रहा है। 
 
इस समय हम संचार युग की सबसे बड़ी क्रांति आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस-आधारित चैटबॉट, चैट जीपीटी के बारे में देख-सुन रहे हैं। यह सूचना और संचार को बेहद उच्च स्तर पर ले जाने में सक्षम है।
 
बहुत से पत्रकारों को तो अभी एआई की संभावनाओं से परिचित कराया जा रहा है, लेकिन क्या आपको पता है कि पिछले काफी समय से व्यावसायिक समाचार उद्योग जमकर इसका इस्तेमाल कर रहा है। जब आप किसी बड़ी वेबसाइट पर जाते हैं, तो संभावना है कि आपके द्वारा देखे जाने वाले कम से कम कुछ लेख विशेष रूप से आपके लिए चुने गए हों।
 
अब वेबसाइटें आपकी पढ़ने की आदतों को ट्रैक करती हैं और फिर यह पता लगाने के लिए मशीन लर्निंग लागू करती हैं कि आपको कौन से लेख दिखाए जाएं ताकि आप उसी वेबसाइट पर बने रहें। जनरेटिव एआई के उपयोग से आधुनिक पत्रकारिता के नए रूपों, जैसे व्यक्तिगत समाचार फ़ीड और व्यक्तिगत पसंदों के अनुसार बनाया गया एल्गोरिदम अब किसी भी समाचार या कंटेट को तुरंत वायरल कर रहा है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के पास तो विज्ञापनों को दिखाने के लिए आपकी पसंद-नापसंद, लिखी-शेयर की हुई पोस्ट या देखी गई सभी सामग्री की जानकारी होती ही है।
 
चैटजीपीटी जैसा चैटबॉट पत्रकारिता को कैसे प्रभावित करेगा? इस सवाल का जवाब मैंने इसी एआई चैटबोट से पूछा तो जवाब मिला कि इसका उपयोग 'सरल समाचार लेख' उत्पन्न करने के लिए किया जा सकता है, इस प्रकार पत्रकारों को अधिक गहन और अनुसंधान परख रिपोर्टिंग और समाचारों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए समय मिलेगा।
 
लेकिन, इसने एक चेतावनी भी दी कि इस पर भरोसा नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि यह 'पक्षपाती या गलत जानकारी' दे सकता है। यह एक दार्शनिक नोट पर समाप्त हुआ कि आखिरकार, पत्रकारिता पर भाषा मॉडल का प्रभाव इस बात पर निर्भर करेगा कि उनका उपयोग कैसे किया जाता है और समाचार तैयार करने की प्रक्रिया में किस उद्देश्य के लिए इसे एकीकृत किया जाता है। 
 
(हाल ही में विश्व का पहला AI आधारित न्यूज चैनल भी लॉन्च किया गया है जिसे न्यूजजीपीटी के नाम से जाना जा रहा है। इसके सीईओ एलन लेवी ने बताया कि न्यूजजीपीटी दुनिया भर के पाठकों-दर्शकों को निष्पक्ष और तथ्य-आधारित समाचार प्रदान करेगा और अन्य समाचार चैनलों की तरह न्यूजजीपीटी समाचार विज्ञापनदाताओं, राजनीतिक जुड़ाव या व्यक्तिगत राय से प्रभावित नहीं होगा, लेकिन आने वाले समय में यह दावा कितना सही सिद्ध होता है इसका जवाब अभी नहीं दिया जा सकता।)
 
जेनरेटिव एआई का उपयोग मशीनों द्वारा उत्पन्न की गई सामग्री की विश्वसनीयता और जवाबदेही के संबंध में भी चिंताएं उठाता है, खासतौर पर फेक न्यूज और डीपफेक्स (वीडियो मॉर्फिंग) के संदर्भ में। इसलिए, पत्रकारिता में एआई के उपयोग के लिए नैतिक और व्यावसायिक मानकों को स्थापित करना बेहद महत्वपूर्ण और आवश्यक है, ताकि पत्रकारिता के नैतिक मूल्यों को खतरे में न डालते हुए तकनीक के लाभ हासिल किए जा सकें।
 
तो अब आगे के लिए समाधान क्या है? सबसे पहले हमें खुद को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी नई तकनीक को अपनाने और सीखने के लिए तत्पर होना होगा, तभी हम इसके फायदे-नुकसान को समझ कर जरूरी दिशा-निर्देश बना सकेंगे। इसी तरह नए जमाने के साथ अब हमें पत्रकारिता के मूल सिद्धांत, नीतिशास्त्रीय और नैतिक मानकों के निरंतर पालन के लिए उत्तरदायी, रचनात्मक, सकारात्मक और समाधानपरक पत्रकारिता पर अधिक जोर देना चाहिए। 
 
AI बेस्ड न्यूज, सिटीजन जर्नलिज्म, कटेंट क्रिएटर्स से भरे यूट्युब, फेसबुक और नए सोशल मीडिया प्लेट्फॉर्म्स का मुकाबला कर रही भारतीय मीडिया को अब उत्तरदायित्त्व और परिपक्वता की भावना का गंभीर आत्मनिरीक्षण और विकास करना चाहिए, साथ ही पत्रकारों को यह समझना होगा कि सार्वजनिक विश्वास बनाए रखने के लिए नैतिक मानदंडों का पालन करना उनके हित में है। 
 
सबसे महत्वपूर्ण बात, सभी प्रकार की स्वतंत्रता 'उचित प्रतिबंधों' के अधीन है और इनके साथ ही आवश्यक उत्तरदायित्त्व भी जुड़े होते हैं। लोकतंत्र में हर कोई जनता के प्रति जवाबदेह है। अत: पत्रकार, मीडिया संस्थान भी लोगों के प्रति जवाबदेह हैं और यह ऐसे ही रहना चाहिए।

Related News

Show comments
सभी देखें

जरूर पढ़ें

मेघालय में जल संकट से निपटने में होगा एआई का इस्तेमाल

भारत: क्या है परिसीमन जिसे लेकर हो रहा है विवाद

जर्मनी: हर 2 दिन में पार्टनर के हाथों मरती है एक महिला

ज्यादा बच्चे क्यों पैदा करवाना चाहते हैं भारत के ये राज्य?

बिहार के सरकारी स्कूलों में अब होगी बच्चों की डिजिटल हाजिरी

सभी देखें

समाचार

महाराष्ट्र में कौन बनेगा मुख्यमंत्री, सस्पेंस बरकरार, क्या BJP फिर लेगी कोई चौंकाने वाला फैसला

संभल हिंसा पर कांग्रेस का बयान, बताया BJP-RSS और योगी आदित्यनाथ की साजिश

Delhi Pollution : दिल्ली में प्रदूषण घटा, 412 से 318 पर पहुंचा AQI

अगला लेख
More