3 विश्वकप में कप्तान रहे अज़हर, भारत का प्रदर्शन रहा बदतर
3 विश्वकप के 23 में से सिर्फ 10 मैच जीत पायी टीम
मुंबई। नब्बे के दशक में भारतीय टीम इसलिए कमजोर दिख रही थी क्योंकि बाकी की टीमें हमसे तेज गति से आग बढ़ रही थी। ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड ,दक्षिण अफ्रीका,वेस्टइंडी़ज के अलावा श्रीलंका, पाकिस्तान भी अपना नजरिया बदल रही थी।
अजहरुद्दीन की कप्तानी में टीम इंडिया यह करने में नाकामयाब रही। कुल 3 विश्वकप में अजहर ने कप्तानी की जो अब तक किसी भी भारतीय कप्तान के लिए रिकॉर्ड है। लेकिन कोई खास सफलता नहीं मिली।
1992 के विश्वकप में मिली सिर्फ 2 जीत
ऑस्ट्रेलिया न्यूजीलैंड में खेला गए इस विश्वकप में अजहर के अलावा कपिल देव, रवि शास्त्री, संजय मांजरेकर तो थे ही, लेकिन सबका ध्यान बहुचर्चित युवा सितारा सचिन तेंदुल्कर पर था। भारत का सफर इस विश्वकप में बेहद निराशाजनक रहा।
वेस्टइंडीज, न्यूजीलैंड और दक्षिण अफ्रीका से भारत क्रमश 5,4 और 6 विकेट से हारी। इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया ने भारत को 9 और 1 रन से हराया। लंका से मैच बारिश के कारण धुल गया। कमजोर जिम्बाब्वे से भारत 55 रनों से जीत गया।
इस विश्वकप में पहली बार भारत पाकिस्तान का मैच हुआ और भारत 43 रनों से जीत गया।
1996 में सेमीफाइनल तक का सफर
1996 विश्वकप में शुरुआत कमोबेश बेहतर रही। केन्या और वेस्टइंडी़ज से भारत 7 और 5 विकेट से जीत गया। हालांकि फिर ऑस्ट्रेलिया से 16 रनों से हारा और श्रीलंका से 6 विकेट से। जिम्बाब्वे से भारत 40 रनों से जीतकर क्वार्टर फाइनल में पहुंच गया।
क्वार्टरफाइनल में हुए रोमांचक मुकाबले में भारत ने पाकिस्तान को 39 रनों से शिकस्त दी। सेमीफाइनल में पहुंचने के बाद असली विवाद शुरु हुआ। श्रीलंका ने भारत को फिर करारी शिकस्त दी , इस बार 120 रनों से। अजहरुद्दीन ने टॉस जीतकर कोटला की धीमी पिच पर लंका को बल्लेबाजी के लिए आमंत्रित करने का फैसला आज भी सवालों के घेरे में है।
1999 बमुशकिल पहुंच पाए सुपर सिक्स में
इस विश्वकप का पहला मैच भारत दक्षिण अफ्रीका से 4 विकेट से हारा। इसके बाद सचिन के पिताजी का देहांत हो गया और वह भारत निकल गए। सचिन की गैरमौजूदगी में जिम्मबाब्वे ने बड़ा उलटफेर कर भारत को 3 रन से हरा दिया।
अगल मैच में सचिन वापस आए और केन्या के खिलाफ शतक लगया जिससे भारत 94 रनों से जीता। श्रीलंका को विश्वकप में भारत पहली बार 157 रनों से हरा पाया। इसके बाद मेजबान इंग्लैंड को 63 रनों से हराकर भारत सुपरसिक्स में पहुंचा।
सुपरसिक्स में ऑस्ट्रेलिया से भारत 77 रनों से हार गया। दूसरे मैच में भारत ने चिर प्रतिद्वंदी पाकिस्तान को 47 रनों से हराया। हालांकि न्यूजीलैंड से तीसरे मैच में 5 विकेट से हारने के बाद भारत का सफर समाप्त हो गया।
90 के दशक में अजहरुद्दीन के अलावा सचिन को भी कप्तानी मिली जिससे टीम में गुटबाजी को हवा मिली। टीम कभी भी एकता में नहीं दिखी, अजहर का रक्षात्मक रवैया टीम के अन्य खिलाड़ियों में भी दिखा। 1999 के विश्वकप के खराब प्रदर्श के बाद आखिरकार बोर्ड ने उन्हें कप्तानी से हटा दिया गया। बाद में वह मैच फिक्सिंग विवाद में भी फंसे।