अमेरिका पर छाया जानलेवा फंगल इंफेक्शन का खतरा, बताया गया ग्लोबल हेल्थ को खतरा

Webdunia
गुरुवार, 23 मार्च 2023 (16:24 IST)
वॉशिंगटन। कोरोना महामारी और H2N3 वायरस के तेजी से फैलने के बाद अब लोगों को 'Candida auris' नामक फंगस से सावधान रहना होगा। Candida auris एक प्रकार का yeast है, जो आमतौर पर स्वस्थ लोगों के लिए हानिकारक तो नहीं है, परंतु उन लोगों के लिए जरूर जानलेवा साबित हो सकता है जिनका इम्यून सिस्टम कमजोर है या जो लंबे समय से अस्पताल में भर्ती हैं।
 
ऐसे लोग ज्यादा खतरे में हैं जिन्हें दवा या रक्त उत्पाद के लिए सेंट्रल कैथेटर लाइन का इंसरशन दिया गया हो, हाल ही में ऑपरेशन हुआ है, इलाज के दौरान शरीर में ट्यूब लगाए गए हो या पहले कभी एंटीबायोटिक्स और एंटीफंगल दवाओं का सेवन किया हो। यह इंफेक्शन छोटे से छोटे बच्चे से लेकर बुज़र्गों को हो सकता है। 
 
Centres for Disease Control and Prevention की रिपोर्ट के मु‍ताबिक यह आसानी से फैलने वाला फंगस इंफेक्शन है, जो घावों, कान और खून के द्वारा श‍रीर के आंतरिक अंगों तक पहुंचने में सक्षम है। यह फंगस घातक इसलिए माना जा रहा है, क्योंकि Candida auris पर दूसरे प्रकार के फंगल इंफेक्शन का इलाज करने में आमतौर पर इस्तेमाल किए जाने वाले एंटीबायोटिक ड्रग्स बेअसर है। इसलिए इस फंगल इंफेक्शन का इलाज मुश्किल है। इस उभरते रोगाणु केंडिडा ऑरिस को अब ग्लोबल हेल्थ के लिए खतरा माना जा रहा है।
 
दरअसल, इस इंफेक्शन की सही रूप से पहचान करने के लिए स्पेशलाइज्ड लैबोरेटरी मेथड का इस्तेमाल करना जरूरी है। अक्सर पारंपरिक तौर पर इस्तेमाल की जाने वाली तकनीक से C.auris की गलत पहचान होने से इस इंफेक्शन के फैलाव को नियंत्रित करना मुश्किल है। 
 
माना जाता है कि यह सबसे पहले साल 2009 में जापान में पाया गया था। अमेरिका में सबसे पहले इस फंगस के मामले 2013 में पाए गए थे, परंतु 2016 तक इनके बारें में सूचना प्रदान नहीं की गई थी। मीडिया रिपोर्ट्स के मु‍ताबिक अमेरिका में Candida auris फंगस इंफेक्शन तेजी से फैल रहा है। अभी तक 53 नए मामले सामने आ चुके हैं। शोधकर्ताओं के अध्ययन में पाया गया कि साल 2019 में Candida auris के 476, 2020 में 756 और 2021 में 1,471 मामले मिले हैं।
 
C.auris कैसे फैलता है?: यह फंगल इंफेक्शन कंटेमिनेटेड सतह, उपकरणों एवं एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है। अध्ययन में पाया गया है कि C.auris अस्पतालों में मरीजों के कमरों, कुर्सी, बिस्तर, खिड़कियों, काउंटर्स, बल्ड प्रेशर कफ्स, इंफ्यूजन पंप और वेंटिलेटर में पाया जाता है। कई बार उपयोग में लिए गए उपकरणों जैसे तापमान की जांच, पल्स ऑक्सीमीटर इन फंगल इंफेक्शन का घर होते हैं। लैबोरेटरी स्टडी में यह भी पाया गया कि C.auris सूखी और नमी वाली सतहों पर 7 दिनों तक रह सकता है।
 
ट्रीटमेंट: हालांकि C.auris के इंफेक्शन का कोई पुख्ता चिकित्सकीय विक्लप मौजूद नहीं है। किसी इंफेक्शन डि‍सीज के स्पेशलिस्ट की सलाह लेना जरूरी है। अस्पतालों में सावधानियां बरतने की आवश्यकता है। चूंकि इस फंगल इंफेक्शन की पहचान इतनी आसानी से होती और यह इंफेक्शन इंसान की जान भी ले सकता है।(फ़ाइल चित्र)
 
Edited by: Ravindra Gupta

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