कोरोना की दूसरी लहर से जूझ रहा देश अब कोरोना की तीसरी लहर आने की आंशकाओं से घिर गया है। भारत में संयुक्त राष्ट्र की रैजिडेंट को-ऑर्डिनेटर रेनाटा डेजालिएन ने भारत में तीसरी लहर आने की आंशका जताई है। उन्होंने कहा कि भारत में कोरोना की दूसरी लहर की रफ्तार बेहद हैरान करने वाली है इसको देखते हुए महामारी की तीसरी लहर को लेकर सरकार को अपनी पुख्ता तैयारी करनी चाहिए।
कोरोना की तीसरी लहर से निपटने के लिए सरकारों का किस रोडमैप पर आगे बढ़ना चाहिए इसको लेकर वेबदुनिया ने भोपाल एम्स के डायरेक्टर प्रोफेसर सरमन सिंह से खास बातचीत की। प्रोफेसर सरमन सिंह कहते हैं कि कोरोना की दूसरी लहर से हम लोगों को बहुत कुछ सीखने को मिल चुका है और सरकारों को भी बहुत कुछ पता चल चुका है उनको क्या करना चाहिए। कोरोना की तीसरी लहर से निपटने के हमें अपने हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर को और मजबूत कर व्यवस्थाओं को सुधारना होगा।
डॉक्टर सरमन सिंह आगे कहते हैं कि कोरोना की दूसरी लहर में हम देख रहे कि कोरोना गांवों तक पहुंच गया है और इसी तरह कोरोना की तीसरी लहर में भी कोरोना गांवों तक पहुंच सकता है इसलिए गांव में प्राइमरी हेल्थ सेंटर और स्वास्थ्य सुविधाओं को और सुदृढ़ करना होगा। डॉक्टरों,नर्सिंग और पैरामेडिकल स्टॉफ को भर्ती कर उनको दी जारी सुविधाओं की और बढ़ोत्तरी करना होगी। गांवों में नियुक्ति होने वाले डॉक्टर और स्टॉफ को और अधिक सुविधाएं देनी होगी जोकि अभी नहीं मिल पा रही है। अगर डॉक्टर और नर्स को बेहतर सुविधाएं मिलेंगी तो निश्चित तौर पर वह गांव में जाएंगे।
गांव में जब महामारी फैलती है तो इसलिए समस्या अधिक होती है क्योंकि हर आदमी शहर की ओर भागता है क्योंकि गांव में स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं है। अगर हमारे देश में गांव-गांव में ही स्वास्थ्य सुविधाएं हो जाए तो लोग शहर की ओर नहीं भागेंगे और उनका इलाज वहीं हो सकेगा। इसका सीधा असर यह होगा कि एम्स और ऐसे इंस्टीट्यूट उन पर लोड कम होगा और वह जिस काम के लिए बने है वह कर सकेंगे।
गांवों में कोरोना रोकने का MP मॉ़डल-कोरोना की दूसरी लहर झेलने वाले राज्य मध्यप्रदेश ने अब कोरोना की तीसरी लहर को रोकने के लिए तैयारियां शुरु कर दी है। कोरोना की दूसरी लहर का गांव में पहुंचने के लिए बड़ा कारण महामारी को लेकर ग्रामीण इलाकों में भ्रम भी रहा है।
महामारी और उसको रोकने के सबसे बड़े हथियार वैक्सीन को लेकर गांव में जिस तरह अफवाह और भ्रम का माहौल बना उसको खत्म करने के लिए मध्यप्रदेश सरकार ने गांव और ब्लॉक स्तर पर क्राइसिस मैनेजमेंट कमेटी का गठन किया जिन्होंने संक्रमण फैलने से रोकने में प्रभावी भूमिका निभाई। सरकार के आंकड़ों के मुताबिक मध्यप्रदेश में 22 हजार 813 ग्राम पंचायतों में से अब 20 हजार 565 ग्राम पंचायत कोरोना से मुक्त हो गई है।
गांवों में कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए सरकार की ओर से लगातार किल-कोरोना अभियान चला रहा है जिसमें गांवों में बड़े पैमाने पर सर्वे कर अधिक से अधिक टेस्ट कर कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग करने के साथ माइक्रो कंटेनमेंट क्षेत्र बनाए जा रहे है। किल कोरोना अभियान में एक-एक मरीज की पहचान कर उन्हें मुफ्त मेडिकल किट दिए जा रहे है।
गांवों को कोरोना की तीसरी लहर से बचाने और जागरुकता फैलाने के लिए अब सरकार गांव में जागरुकता अभियान चलाने जा रही है। जन जागरुकता करने के लिए सरकार स्थानीय लोक कलाकारों की मदद लेने के साथ स्थानीय भाषा में जागरुकता अभियान चलाना शुरु कर दिया है।
वेबदुनिया से बातचीत में काउंसलर सत्यकांत त्रिवेदी कहते हैं कि गांवों में कोरोना को खत्म करने के साथ गांवों को कोरोना की तीसरी लहर से सुरक्षित रखना है तो गांव के लोगों को जागरूक करना होगा जिससे कि वह कोरोना अनुकूल व्यवहार का पालन करने के साथ वैक्सीनेशन के लिए आगे आए।
गांव के लोगों को जागरुक करने के लिए पटवारी से लेकर ग्राम प्रधान के साथ गांव के प्रबुद्ध लोगों को आगे आकर जनजागरण करना होगा। वह कहते हैं कि मध्यप्रदेश सरकार ने जिस तरह गांवों में वैक्सीनेशन के लिए ऑनसाइट रजिस्ट्रेशन के सुविधा के साथ पहले आओ-पहले वैक्सीन लगवाओ की रणनीति अपनाई है वह बुहत अच्छी है।