यह दक्षिण अफ्रीका का सबसे खतरनाक इलाका है, क्योंकि यहां ड्रग सप्लाय का धंधा होता है, बस्तियों पर कब्जे के लिए आए दिन गैंगवार होती है। अब तक यहां कई हत्याएं हो चुकी हैं और इन्हीं अपराधों की वजह से कई गैंगस्टर जेलों में बंद हैं।
ड्रग माफियाओं और उनके गुर्गों का मकसद सिर्फ एक ही है, अफ्रीका के इन गलियों में ड्रग का अपना धंधा और ज्यादा से ज्यादा मजबूत करना और फैलाना। यानी बस्तियों के ज्यादा से ज्यादा लोगों के हाथों में नशा बांटना, उन्हें उसकी लत लगाना।
इंटरनेशनल मीडिया रिपोर्ट के मुताबकि दक्षिण अफ्रीका के इस धंधे को यहां की पुलिस और मिलिट्री फोर्स भी अब तक नियंत्रित नहीं कर पाई है।
लेकिन दुनिया की सबसे खतरनाक इन सडकों पर अब तस्वीर कुछ बदली-बदली सी नजर आ रही है। मानवीयता का एक नया चेहरा उजागर हो रहा है। जो सबको हैरान करने वाला और एक नई उम्मीद जगाने वाला दृश्य है।
दरअसल, जो काम सरकार, पुलिस और मिलिट्री नहीं कर पाई, वो काम कोरोना वायरस ने कर दिखाया है।
दरअसल, इन दिनों लॉकडाउन में लोग भूखों मर रहे हैं, ऐसे में ये गैंगस्टर भी भूख से परेशान हो गए। कई माफियाओं ने दूसरे लोगों को फोन कर बताया कि वे भूख से मरे जा रहे हैं। बस यहीं से गैंगस्टर की जिंदगी में बदलाव आना शुरू हो गए। उन माफियाओं का मीडिया को कहना था कि जब वे भूख से इतने परेशान हैं तो बाकी आम लोगों का क्या हाल होगा। बस, यही सोचकर जो लोग पहले नशा बांटते थे, उन्होंने यहां भोजन के पैकेट बांटना शुरू कर दिया है।
दक्षिण अफ्रीका में जो गलियां पहले नशे के लिए बदनाम थी अब वहां वही ड्रग डिस्ट्रीब्यूटर भोजन बांटने का परोपकार का काम कर रहे हैं।
बीबीसी ने ऐसे माफियाओं से बात भी की जिसमें उन्होंने स्वीकार किया कि बाद में क्या होगा यह तो नहीं पता, भगवान ही आगे भी कोई रास्ता निकालेगा, फिलहाल यहां संघर्ष विराम है और वे लोगों को खाना भेज रहे हैं।
आमतौर पर गैंगवार और नशे का कारोबार देखने वाले यहां के स्थानीय लोग यह बदला हुआ नजारा देखकर फिलहाल खुश हैं। उनका कहना है कि ये लोग दुनिया के सबसे अच्छे डिस्ट्रीब्यूटर हैं, पहले नशा बांटते थे, लेकिन अब कोराना की वजह से लॉकडाउन में भोजन और जरुरी सामान सप्लाय कर रहे हैं।