इंदौर। देश में कोविड-19 से सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों में शामिल इंदौर में महामारी का प्रकोप इस महीने अपने चरम पर पहुंचता दिखाई दे रहा है। हालांकि प्रशासन ने जिले में महामारी के 60 प्रतिशत नए मामलों के लिए आम लोगों की लापरवाही को जिम्मेदार ठहराया है जिसमें बातचीत के वक्त मास्क का ठीक तरह से इस्तेमाल नहीं किया जाना सबसे प्रमुख है। सार्वजनिक स्थानों और कार्यस्थलों पर ठीक तरह से मास्क नहीं पहनने वाले हर व्यक्ति से मौके पर ही 200 रुपए का जुर्माना वसूलने का प्रावधान किया गया है।
जिलाधिकारी मनीष सिंह ने कहा कि इन दिनों कोविड-19 के 60 प्रतिशत नए मामलों की वजह यह है कि लोग महामारी से बचाव के दिशा-निर्देशों के पालन में बड़ी लापरवाही बरत रहे हैं। वे सार्वजनिक स्थानों और कार्यस्थलों पर एक-दूसरे के करीब आकर बात कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि ज्यादातर लोग मास्क को अपनी नाक और मुंह से नीचे खिसकाकर बात करते देखे जा रहे हैं, जबकि इस वक्त सही तरीके से मास्क लगाया जाना सबसे जरूरी होता है। जिलाधिकारी ने बताया कि सार्वजनिक स्थानों और कार्यस्थलों पर ठीक तरह से मास्क नहीं पहनने वाले हर व्यक्ति से मौके पर ही 200 रुपए का जुर्माना वसूलने का प्रावधान किया गया है।
सरकारी आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि 35 लाख से ज्यादा आबादी वाले जिले में अगस्त के दौरान कोरोनावायरस संक्रमण की रफ्तार सबसे तेज है। जिले में 1 अगस्त से 29 अगस्त के बीच 5,272 रोगी मिले हैं। यह आंकड़ा जिले में पिछले पांच महीने के दौरान मिले महामारी के कुल 12,720 मरीजों का करीब 41.5 प्रतिशत है। इस अवधि में इनमें से 389 मरीजों की इलाज के दौरान मौत हो चुकी है, जबकि 8,847 लोग उपचार के बाद स्वस्थ हो चुके हैं।
सिंह ने बताया कि फिलहाल जिले के प्रमुख अस्पतालों के कोविड-19 वार्डों में करीब 90 प्रतिशत बिस्तरों पर मरीज भर्ती हैं। उन्होंने बताया कि हाल ही में लोकार्पित सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में महामारी के मरीजों के लिए 550 बिस्तरों का इंतजाम किया जा रहा है।
गौरतलब है कि शहर के कुछ निजी अस्पतालों द्वारा कोविड-19 के मरीजों से मनमानी फीस वसूले जाने की शिकायतों के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रशासन को दो दिन पहले निर्देश दिए थे कि महामारी के इलाज की वाजिब दरें तय की जाएं।
कलेक्टर ने कहा कि फिलहाल शहर की निजी प्रयोगशालाओं में कोविड-19 की हरेक जांच के बदले 3,500 से 4,500 रुपए का शुल्क वसूला जा रहा है। मुख्यमंत्री के निर्देशों के पालन के पहले चरण में तय किया गया है कि महामारी की प्रत्येक जांच के लिए 2,500 से ज्यादा नहीं वसूले जा सकेंगे। इसमें जांच कराने वाले व्यक्ति के घर से नमूना लिए जाने का शुल्क भी शामिल होगा। महामारी के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए प्रशासन ने जिले में पाबंदियों में ढील के सिलसिले को भी रोक दिया है।
कलेक्टर ने बताया कि कोविड-19 के मौजूदा हालात के मद्देनजर हम फिलहाल होटल-रेस्तरांओं में ग्राहकों को बैठाकर उन्हें खाने-पीने की चीजें परोसे जाने की अनुमति नहीं देंगे। जिले में कोविड-19 के प्रकोप की शुरुआत 24 मार्च से हुई जब पहले 4 मरीजों में इस महामारी की पुष्टि हुई थी।(भाषा)