अहमदाबाद। गुजरात उच्च न्यायालय ने भारतीय वायुसेना को जामनगर में तैनात उसके एक कर्मी की ओर से दायर याचिका पर नोटिस जारी किया है। वायुसेना कर्मी ने कोरोनावायरस (Coronavirus) कोविड-19 रोधी टीका लगाने के प्रति अनिच्छा व्यक्त करने के बाद उसकी सेवा समाप्त करने के लिए जारी कारण बताओ नोटिस को चुनौती दी है।
न्यायमूर्ति एजे देसाई और न्यायमूर्ति एपी थाकेर की खंड पीठ ने मंगलवार को पारित एक आदेश में भारतीय वायुसेना और केंद्र सरकार को नोटिस जारी किए और वायुसेना को एक जुलाई तक याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई भी दंडात्मक कार्रवाई नहीं करने का भी निर्देश दिया।
भारतीय वायुसेना (आईएएफ) में कॉर्पोरल, याचिकाकर्ता योगेंद्र कुमार ने उन्हें 10 मई,2021 को जारी कारण बताओ नोटिस रद्द करने का निर्देश देने के अनुरोध के साथ उच्च न्यायालय में याचिका दायर की है। याचिका के अनुसार इस नोटिस में वायुसेना ने कहा है कि टीकाकरण के खिलाफ उनका रुख घोर अनुशासनहीनता है और उनका सेवारत रहना अन्य वायु योद्धाओं तथा वायुसेना से जुड़े असैन्य नागरिकों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है।
याचिकाकर्ता ने उन्हें जारी नोटिस के हवाले से कहा, आईएएफ के मुताबिक भारतीय वायुसेना जैसे अनुशासित बल में आपकी सेवा अवांछनीय है और आपको सेवा से हटाने की जरूरत है। याचिका में कहा गया कि प्रतिवादी संख्या एक (वायुसेना) का याचिकाकर्ता को टीका नहीं लेने की वजह से सेवा से हटाना न सिर्फ भारतीय संघ के दिशा-निर्देशों के उलट है, बल्कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 का भी उल्लंघन है।
कुमार ने अपनी याचिका में कहा, कोविड-19 टीका लेने के प्रति अनिच्छा जताने के कारण नौकरी से निकालना पूरी तरह गैरकानूनी, असंवैधानिक और प्रतिवादी संख्या एक की तरफ से मनमाना है। उन्होंने अदालत से अनुरोध किया कि वह नोटिस को रद्द करने का निर्देश दे और भारतीय वायुसेना से उन्हें टीका लगाने के लिए मजबूर न करने को कहे। याचिकाकर्ता ने 26 फरवरी, 2021 को अपने स्क्वाड्रन के कमांडिंग ऑफिसर को पत्र लिखकर कोविड-19 के खिलाफ अनिच्छा जाहिर की थी।
कुमार ने अपने आवेदन में भारतीय वायुसेना को बताया था कि वह कोविड-19 के खिलाफ अपनी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए आयुर्वेदिक दवाओं का इस्तेमाल कर रहे हैं। उन्होंने यह भी बताया कि वह केवल आपातकालीन स्थिति में एलोपैथिक दवाओं का इस्तेमाल करते हैं या जब समाधान आयुर्वेद में संभव न हो।(भाषा)