Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

Corona का कहर, 18000 केश शिल्पी परिवारों पर रोजी-रोटी का संकट

हमें फॉलो करें Corona का कहर, 18000 केश शिल्पी परिवारों पर रोजी-रोटी का संकट
webdunia

कुंवर राजेन्द्रपालसिंह सेंगर

, बुधवार, 27 मई 2020 (09:54 IST)
बागली (देवास)। सोशल मीडिया पर क्रिकेट लीजेंड सचिन तेंदुलकर का अपने पुत्र अर्जुन के बाल काटते हुए वीडियो खूब धूम मचा रहा है। कई और सेलेब्रिटी ने भी इस प्रकार के वीडियो अपलोड किए हैं। कोई अपने बच्चों के तो कोई पत्नी अपने पति के तो कोई बच्चा अपने पिता की हजामत बना रहा है। लोग इसे शौक से देख भी रहे हैं, लेकिन क्या केश शिल्पियों (नाइयों) की जर्जर हालत पर किसी का ध्यान गया है। शायद नहीं, अन्यथा उनकी स्थिति भोपाल के विजय की तरह नहीं होती।
  
भोपाल निवासी विजय पेशे से केश शिल्पी हैं और अपनी दैनिक कमाई से अपना घर खर्च चलाते हैं। लेकिन, जनता कर्फ्यू के बाद से ही वे घर बैठे हैं। उनसे चर्चा हुई तो उन्होंने बड़े ही दुखी मन से कहा कि भाई साहब 1 जून तक और देख लेता हूं अन्यथा अपनी किराए की दुकान खाली कर दूंगा। सोच रहा हूं कि अपने घर शहडोल चला जाऊं वहां पर बाजार खुला है। काका की दुकान भी है, कम से से कम वहां काम करके फांके तो नहीं करने पड़ेंगे।
 
वास्तव में चाहे गांव हो या शहर हर केश शिल्पी की कहानी यही है। देवास जिले की दो विधानसभा क्षेत्रों बागली व हाटपिपल्या के 18 हजार केश शिल्पी परिवारों के भी यही हाल हैं। 
 
कटिंग करते हैं तो सोशल मीडिया पर वायरल : तालाबंदी में बेचारे केश शिल्पियों की हालत इतनी अधिक खराब थी कि यदि वे किसी के बुलावे पर कटिंग करवाने चले जाते हैं तो उनका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो जाता है। पिछले दिनों इंदौर में ड्रोन से पकड़े गए केश शिल्पी की भी यही स्थिति थी। इसी प्रकार की एक घटना चापड़ा क्षेत्र के ग्राम अमरपुरा के एक केश शिल्पी के साथ भी हुई। दरअसल, इनकी हालात जानने का प्रयास ही नहीं हुआ। 
 
देश में इस महामारी के मध्य भी सियासत में कहीं कोई कमी नहीं आई। किसी ने प्रवासी श्रमिकों की घरवापसी की बात की तो किसी ने पैदल घर को निकले मजदूरों को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म तक पहुंचाया। मध्यप्रदेश में तो उन खाद्यान्न पर्ची धारकों को भी अतिरिक्त राशन मिला, जिन्हें मार्च माह की शुरुआत में तीन माह का गेहूं मिल गया था। हर स्थान पर हर वर्ग की बात हुई, लेकिन अछूता रह गया केवल केश शिल्पी वर्ग।
 
18 हजार केश शिल्पी परिवार हैं : देवास जिले के बागली और हाटपिपल्या विधानसभा क्षेत्रों में क्रमशः 8 हजार और 10 हजार केश शिल्पी परिवार हैं। इनमें से अधिकांश परिवारों ने ही यह जातिगत धंधा अपनाया है। ये वर्ग अधिकतर ही किराए की दुकानों में अपनी दुकान संचालित करते हैं। इसमें वे नॉमिनल धनराशि में अपनी सेवाएं देते हैं।
 
परेशानियों के चलते ही इन परिवारों ने मुख्यमंत्री के नाम एक ज्ञापन तहसीलदार दीपाली जाधव को सौंपा है, जिसमें कहा गया कि विगत दो महीनों से हमारी दुकानें बंद पड़ी हुई हैं। परिवार भुखमरी के शिकार हो रहे हैं। लगभग सभी लोग किराए की दुकानों में दुकान संचालित करते हैं। एक ओर तो काम बंद पड़ा हुआ है, दूसरी और दुकानों के बिजली बिल भी आ रहे हैं। साथ ही दुकान मालिक भी किराया भी मांग रहे हैं।
 
हम उधार लेकर अपने परिवार का पालन कर रहे हैं। अब बिल और किराया कैसे चुकाएं। जबकि, शासन ने लॉकडाउन में ढील दी है। बाजार में आवश्यक वस्तुओं के साथ-साथ अन्य दुकानें भी खुल रही हैं, लेकिन हमारे लिए कोई निर्देश नहीं आया है। अतः दो माह की तालाबंदी में हमारा जो भी नुकसान हुआ है उसकी क्षतिपूर्ति करें और हमारे बिजली बिल भी माफ किए जाएं। हमें काम करने की अनुमति दी जाए, हम सभी नियमों का गंभीरता से पालन करेंगे। 
 
केश शिल्पी समुदाय को दें क्षतिपूर्ति : पूर्व ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष राजेन्द्रकुमार ईनाणी, युवक कांग्रेस महासचिव दिलीप गुर्जर व कांग्रेस के ज़िला उपाध्यक्ष कमल सोनी ने मुख्यमंत्री से मांग करते हुए कहा कि केश शिल्पी समुदाय वास्तविक हर्जाने का अधिकारी है। क्योंकि उनकी दुकान बंद रही और उन्हें घर जाकर भी काम करने की अनुमति नहीं मिली। उनके परिवार के समक्ष भरण-पोषण का संकट खड़ा हो गया। इसलिए उनकी यथायोग्य त्वरित सहायता की जाए। (फाइल फोटो)

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

मेघालय में सामने आए Corona के 5 और मामले, दिल्ली व हरियाणा से लौटे थे संक्रमित