लखनऊ। उत्तरप्रदेश की राजधानी लखनऊ स्थित संजय गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (SGPGI) के मॉलीक्यूलर मेडिसिन एंड बॉयोटेक्नोलाजी विभाग के वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस के संक्रमण का पता लगाने के लिए विशेष तकनीक विकसित की है जिसमें 30 मिनट में ही जांच संभव होगी और इस पर खर्च भी कम आएगा।
विभाग की प्रमुख प्रो. स्वास्ति तिवारी ने सोमवार को बताया कि इस आरएनए आधारित त्वरित जांच किट पर 500 रुपए से ज्यादा का खर्च नहीं होगा। तकनीक के पेटेंट के लिए आवेदन कर दिया है और अगर एसजीपीजीआई तथा भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) से हरी झंडी मिल गई तो 3 से 4 माह में यह सुविधा उपलब्ध हो जाएगी।
उन्होंने बताया कि यह तकनीक आरएनए आधारित है यानी मरीज के नमूने से आरएनए निकालकर उसमें ही संक्रमण देखा जाएगा। अभी तक विदेश से आयातित किट पर जांच चल रही है जिसमें 4 से 5 हजार का खर्च आता है और 3 से 4 घंटे का समय लगता है, लेकिन इस तकनीक में जांच का खर्च भी कम आएगा और समय भी कम लगेगा।
उन्होंने बताया कि आरएनए आधारित यह पहली किट है और इसमें भी मुंह या नाक के स्वॉब से ही जांच होगी और डायग्नॉस्टिक लैब में मौजूद सामान्य मशीनों से ही जांच की जा सकेगी।
तिवारी का कहना है कि किट को बड़े पैमाने पर बनाने के लिए व्यावसायिक कंपनियां संपर्क में हैं और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण करते ही किट की वैधता की जांच के साथ भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) को अनुमोदन के लिए भेजा जाएगा जिसके बाद कंपनियां किट का निर्माण करेंगी और तमाम परीक्षण केंद्र इस किट का इस्तेमाल कर सकेंगे। लेकिन यह तभी संभव है, जब इस प्रोजेक्ट को जल्द से जल्द हरी झंडी मिल जाए। (भाषा)