कोलकाता। नोबेल पुरस्कार से सम्मानित ऑस्ट्रेलिया के रोग प्रतिरक्षा वैज्ञानिक पीटर चार्ल्स डोहर्टी ने भी कोविड-19 के रूसी टीके का आपात स्थिति में उपयोग शुरू किए जाने पर वैज्ञानिक समुदाय के संशय से सहमति जताई है। उन्होंने कहा कि बड़ी चिंता यह है कि यदि इस टीके के सुरक्षित होने को लेकर संदेह सच साबित होता है, तो फिर अन्य टीकों की विश्वसनीयता पर भी इसका असर देखने को मिल सकता है।
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पिछले हफ्ते यह घोषणा की थी कि उनके देश ने कोविड-19 का विश्व का पहला टीका विकसित किया है, जो कारगर है और रोग के खिलाफ स्थिर प्रतिरक्षा प्रदान करता है। उन्होंने यह भी खुलासा किया था कि उनकी एक बेटी को स्पूतनिक-V नाम का टीका लगाया गया है।
डोहर्टी ने मेलबर्न से एक ई-मेल साक्षात्कार में कहा, मुख्य चिंता यह है कि यदि सुरक्षा का कोई बड़ा मुद्दा उभरता है, तो मेरा दावा है कि बड़ी चिंता यह होगी कि यह अलग प्रक्रिया के तहत विकसित किए जा रहे अन्य टीकों के लिए टीकाकरण को कहीं अधिक खारिज कर सकता है। रूसी टीके का तीसरे चरण का व्यापक क्लीनिकल परीक्षण नहीं हुआ है।
मेलबर्न विश्वविद्यालय के डोहर्टी इंस्टीट्यूट में सूक्ष्म जीव विज्ञान एवं प्रतिरक्षा विभाग से संबद्ध वैज्ञानिक डोहर्टी का यह भी मानना है कि कम कीमत वाली दवा बनाने का बेहतरीन रिकॉर्ड रखने वाला भारत इस सिलसिले में एक बड़ी भूमिका निभा सकता है।
उन्होंने कहा, कम कीमत वाली दवा और टीका निर्माण में भारत की शानदार पृष्ठभूमि को देखते हुए हम उम्मीद करते हैं कि भारत इसमें एक बड़ी भूमिका निभाएगा। आखिरकार, यह वैश्विक आर्थिक गतिविधि को पटरी पर लाने का सबसे तेज माध्यम है।
डोहर्टी ने यह खोज की थी कि शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली सामान्य कोशिकाओं और वायरस संक्रमित कोशिकाओं के बीच कैसे विभेद करती है। इसके लिए उन्हें स्विट्जरलैंड के एक वैज्ञानिक के साथ संयुक्त रूप से 1996 का मेडिसीन का नोबेल पुरस्कार मिला था।
उन्होंने कहा,रूस एक क्लीनिकल परीक्षण करने की प्रक्रिया में है, इसलिए यह देखा जाना बाकी है कि वे इससे कैसे आगे बढ़ते हैं। रूसी टीके, किसी भी सार्स-कोवी-2 टीके के साथ मुख्य मुद्दा यह है कि वह कितना सुरक्षित और कारगर है।
यह पूछे जाने पर कि क्या विश्व को कोविड-19 का टीका विकसित करने के बजाय इस रोग की औषधि की खोज करने की जरूरत है, डोहर्टी ने कहा, टीका कहीं अधिक सस्ता और शीघ्रता से हासिल किए जाने वाली चीज है, लेकिन यदि ऐसा नहीं होता है तो लोगों के इलाज के लिए हमें कहीं अधिक विशेष एंटीवायरस दवा की जरूरत होगी।(भाषा)