नई दिल्ली। एस्ट्राजेनेका का कोविड-19 रोधी टीका 45 हफ्तों के लंबे अंतराल पर दिए जाने पर बेहतर प्रतिरक्षा क्षमता उत्पन्न करता है। वहीं, इसकी तीसरी खुराक एंटीबॉडी को और अधिक बढ़ा देगी। ब्रिटेन में किए गए एक अध्ययन में यह दावा किया गया है। अध्ययन के मुताबिक ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका टीका, जिसे भारत में कोविशील्ड के नाम से जाना जाता है, की एकमात्र खुराक के बाद भी कम से कम एक साल तक एंटीबॉडी स्तर बना रहता है।
भारत में इसकी दो खुराक के बीच 12 से 16 हफ्तों का अंतराल रखा गया है। अध्ययन के लेखकों ने इस बात का जिक्र किया कि एस्ट्राजेनेका टीके की पहली और दूसरी खुराक के बीच 45 हफ्तों या 11 महीने का विस्तारित अंतराल रखे जाने पर दूसरी खुराक के 28 दिन बाद मापे गए एंटीबॉडी स्तर में 18 गुना की वृद्धि दर्ज की गई। यह अध्ययन सोमवार को द लांसेट के प्री-प्रिंट सर्वर में पोस्ट किया गया है।
अध्ययन में 18 से 55 साल की आयु के स्वयंसेवियों को शामिल किया गया। उन्हें एस्ट्राजेनेका की एक खुराक या दो खुराक दी गई थी। ब्रिटेन में ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के अनुसंधानकर्ताओं ने यह अध्ययन किया। उन्होंने पहली और दूसरी खुराक के बीच विस्तारित अंतराल और बाद में एक खुराक देने के बाद प्रतिरक्षा क्षमता का आकलन किया।
अध्ययन के मुताबिक पहली और दूसरी खुराक के बीच 45 हफ्तों का अंतराल रखे जाने पर एंटीबॉडी का स्तर 12 हफ्तों के अंतराल पर दी गई खुराक से चार गुना अधिक था। अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि अध्ययन से यह प्रदर्शित होता है कि दो खुराक के बीच लंबा अंतराल रखने से मजबूत प्रतिरक्षा विकसित होती है।
ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के ऑक्सफोर्ड टीका समूह के निदेशक एंड्रीयू जे पोलार्ड ने कहा कि टीके की कम आपूर्ति वाले देशों के लिए यह एक आश्वस्त करने वाली खबर होनी चाहिए। पोलार्ड ने एक बयान में कहा कि पहली खुराक के 10 महीने के अंतराल पर दूसरी खुराक दिये जाने पर शानदार नतीजे देखने को मिले।
अनुसंधानकर्ताओं ने उल्लेख किया कि कुछ देश भविष्य में तीसरी बूस्टर खुराक देने पर विचार कर रहे हैं। अध्ययन के नतीजों के मुताबिक कोविड-19 के अल्फा, बीटा और डेल्टा स्वरूपों के खिलाफ तीसरी खुराक का अत्यधिक प्रभावकारी असर देखने को मिला है। (भाषा)