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वैक्सीन है सुरक्षा कवच : भारत में कोरोना की कितनी वैक्सीन है? जानिए एक क्लिक पर

हमें फॉलो करें वैक्सीन है सुरक्षा  कवच : भारत में कोरोना की कितनी वैक्सीन है? जानिए एक क्लिक पर
कोरोना वायरस की दूसरी लहर इतनी भयावह होगी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी। यह अदृश्य वायरस न जाने और कितने लोगों की जान लेगा। अभी तक इस बीमारी का सटीक उपचार नहीं मिला है। लेकिन वैक्सीनेशन के माध्यम से इस वायरस का प्रकोप जरूर कम किया जा रहा है। लोग संक्रमित हो रहे हैं लेकिन जल्द ठीक भी हो रहे हैं।

भारत में अभी तक जनता को कोवैक्सीन और कोविशील्ड दी जा रही थी। अब रूस की स्पुतनिक-वी वैक्सीन भी भारतवासियों को दी जाएगी। हालांकि इन तीनों वैक्सीन में क्या अंतर है? एफीकेसी रेट क्या है? आइए जानते हैं- 
 
कोविशील्ड वैक्सीन-
 
कोविशील्ड वैक्सीन को सबसे पहले ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राजेनेका ने तैयार किया है। अब इसे भारत में पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया द्वारा बनाया जा रहा है। कोविशील्ड दुनिया की सबसे लोकप्रिय वैक्सीन में शुमार है। यह वैक्सीन चिम्पैंजी में पाए जाने वाले एडेनोवायरस से तैयार किया गया है।

यह वैक्सीन म्यूटेंट स्ट्रेंनस के खिलाफ भी असरदार साबित हुआ। इस वैक्सीन का रखरखाव बेहद आसान है। इस वैक्सीन को 2 डिग्री से 8 डिग्री के टेम्प्रेचर पर रखा जा सकता है।  
 
प्रभावी- यह वैक्सीन 70 फीसदी तक प्रभावी है।
 
दोनों डोज में अंतर- अभी तक कोविशील्ड वैक्सीन के पहले और दूसरे डोज में करीब 4 से 6 हफ्ते का अंतर रखा जा रहा है। लेकिन अब इसे बढ़ा दिया गया है। वैज्ञानिकों द्वारा किए जा रहे अध्ययन में सामने आया कि पहली डोज के 8 हफ्ते बाद दूसरी डोज लेना फायदेमंद है। दोनों डोज के अंतर को बढ़ाकर 12 से 16 हफ्ते कर दिया है। अन्य दूसरे देशों में भी 12 सप्ताह का अंतर कर दिया है। कनाडा में 16 सप्ताह का अंतर कर दिया है। 
 
कोवैक्सीन-
 
इस वैक्सीन को आईसीएमआर और हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक द्वारा तैयार किया गया है। इस वैक्सीन को इनएक्टिवेटेड प्लेटफार्म पर बनाया गया है यानी डेड वायरस को शरीर में डाला जाता है। इससे एंटीबाडी पैदा होती है और यही वायरस को शरीर में मारती है। यह वैक्सीन करीब 78 फीसदी तक प्रभावी है। लगातार जारी शोध में सामने आया है कि कोवैक्सीन कोरोना के सभी वैरिएंटस के खिलाफ लड़ने में सहायक पूर्ण है।
 
दोनों डोज में अंतर- अभी तक दोनों डोज में 28 दिन का अंतर रखा जा रहा है। हालांकि कोवैक्सिन के दूसरे डोज को लेकर किसी भी तरह की चर्चा सामने नहीं आई है।
 
स्पुतनिक-वी वैक्सीन- 
 
स्पुतनिक-वी रूस की वैक्सीन है। भारत में इसे डॉ. रेड्डी लैब में तैयार किया जा रहा है। जब संपूर्ण देश में कोरोना को लेकर असमंजस की स्थिति बन रही थी। नियमों में लगातार बदलाव हो रहे थे, तब इस वैक्सीन का ट्रायल चल रहा था। जी हां, शुरुआत में स्पुतनिक-वी पर भी काफी सवाल उठाए गए है। लेकिन आज यह सबसे असरदार दवा में गिनी जा रही है। स्पुतनिक-वी एक वायरल वैक्टर वैक्सीन है। यह दो वायरस से मिलकर तैयार की गई है।


भारत में यह सबसे अधिक प्रभावी पाई गई है। यह वैक्सीन इतनी प्रभावी है कि बॉडी में जाते ही इम्यून सिस्टम एक्टिव हो जाता है। शरीर में एंटीबॉडी पैदा करती है। इस वैक्सीन की पहली डोज भारत में डॉ. रेड्डीज लेबोरेटरीज के कस्टम फार्मा सर्विसेज के ग्लोबल हेड दीपक सापरा को दी गई। इस वैक्सीन की कीमत 948 रुपए है। 5 फीसदी जीएसटी के बाद इसकी कीमत 995 रुपए हो जाएगी। स्पुतनिक-वी की पहली खेप 1 मई को भारत में पहुंची है। 
 
दोनों डोज में अंतर- एक तरफ जहां कोविशील्ड और कोवैक्सीन में कम से कम 28 दिनों का अंतर रखा गया। अध्ययन के बाद कोविशील्ड का अंतराल बढ़ाकर 12 से 16 सप्ताह कर दिया गया है। लेकिन स्पुतनिक-वी का अंतराल इन दोनों वैक्सीन से कम है। मात्र 21 दिन का ही अंतर है। कोरोना वायरस से बुरी तरह से प्रभावित भारत में स्पुतनिक-वी तीसरे हथियार के रूप में काम करेगा। यह वैक्सीन दुनिया के 59 देशों में प्रयोग किया जा रहा है। 


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