नई दिल्ली। दिल्ली में कोविड-19 के मामलों में वृद्धि के बीच विशेषज्ञों ने मंगलवार को कहा कि घबराने की कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि कोरोनावायरस से संक्रमित मरीजों के अस्पतालों में भर्ती होने की दर अब भी कम है। हालांकि उन्होंने हर व्यक्ति के सतर्क रहने और सभी सुरक्षा उपायों का पालन करने पर जोर दिया।
दिल्ली में सोमवार को कोविड-19 के 1,060 नए मामले दर्ज किए गए थे जबकि संक्रमण से 6 मरीजों की मौत हुई थी, जो बीते लगभग 4 महीनों में सर्वाधिक है। राष्ट्रीय राजधानी में संक्रमण दर 10.09 फीसदी दर्ज की गई थी, जो 24 जनवरी के बाद सर्वाधिक है, जब यह 11.8 प्रतिशत थी। पिछले शुक्रवार को शहर में कोरोनावायरस संक्रमण के 1,797 नए मामले सामने आए थे, जो बीते लगभग 4 महीनों में सर्वाधिक हैं और संक्रमण दर 8.18 फीसदी दर्ज की गई थी।
दिल्ली के प्रमुख सरकारी और निजी अस्पतालों के डॉक्टरों ने माना कि हालांकि अभी 'घबराने वाली स्थिति' नहीं है, लेकिन उन्होंने सुरक्षा उपायों की अनदेखी के प्रति आगाह करते कहा कि कई लोगों ने टीकाकरण के बाद आत्मसंतोष का भाव आने या डर खत्म होने के कारण मास्क पहनना या सार्वजनिक जगहों पर उसे ठीक तरीके से लगाना बंद कर दिया है।
अपोलो हॉस्पिटल में वरिष्ठ सलाहकार डॉ. सुरनजीत चटर्जी ने कहा कि पिछले 1 हफ्ते में कोविड-19 के मामलों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, लेकिन इस समय घबराने की कोई बात नहीं है, क्योंकि मरीजों के अस्पतालों में भर्ती होने की दर अब भी बहुत कम है। यही नहीं, कोरोनावायरस संक्रमण की चपेट में आए अधिकांश लोगों में ज्यादा तीव्र लक्षण भी नहीं उभरे हैं और ज्यादातर बुजुर्ग, बीमार और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोग ही अस्पतालों में भर्ती हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि इसके अलावा पूर्व में कोविड-19 का शिकार होने और टीकाकरण करवाने के कारण भी लोगों में प्रतिरक्षा विकसित हुई है, जो संक्रमण को हल्के स्तर पर रखने में भी काफी हद तक मददगार साबित हो रहा है।
यह पूछे जाने पर कि क्या प्रतिबंधों को वापस लाया जाना चाहिए? डॉ. चटर्जी जो खुद कोविड-19 का शिकार रह चुके हैं, ने कहा कि अर्थव्यवस्था को हमेशा के लिए 'लॉकडाउन' में नहीं रखा जा सकता है और हमें इस महामारी के साथ जीने की जरूरत है। लेकिन सुनिश्चित करें कि सभी आवश्यक सावधानी बरती जाएं, खासकर मास्क पहनना न छोड़ें। जिन लोगों में कोई भी लक्षण उभरे, वे खुद को पृथक कर लें ताकि संक्रमण औरों में न फैले। डॉ. चटर्जी के मुताबिक इन दिनों बड़ी संख्या में लोग या तो रैपिड एंटीजन जांच करवा रहे हैं या फिर घर पर उपयोग के लिए बनाई गई किट से परीक्षण कर रहे हैं।
एलएनजेपी अस्पताल में उपचिकित्सा अधीक्षक डॉ. रितु सक्सेना ने भी समान राय जाहिर करते उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि अगर उनमें कोविड-19 से मिलते-जुलते कोई लक्षण उभरें, मसलन बुखार, गले में खराश, दस्त और शरीर में दर्द तो वे खुद को तुरंत पृथक कर लें।
डॉ. सक्सेना ने कहा कि बहुत से लोग जिनमें कोविड के लक्षण हैं या जिनमें लक्षण नहीं हैं, वे आराम से घूम रहे हैं, दफ्तर जा रहे हैं, बाजारों व सिनेमाघरों जैसे सार्वजनिक स्थानों का दौरा कर रहे हैं और इस तरह वे संक्रमण फैला रहे हैं। इसके अलावा लोग घर पर या तो आरएटी (रैपिड एंटीजन टेस्ट) किट या सेल्फ-यूज किट के साथ परीक्षण कर रहे हैं या फिर बिलकुल भी जांच नहीं करवा रहे हैं।
दोनों डॉक्टरों ने कहा कि उनके अस्पतालों में कोविड से मिलते-जुलते लक्षण उभरने के बाद भर्ती होने या परामर्श लेने वाले मरीजों की संख्या बढ़ रही है। डॉ. सक्सेना के मुताबिक एलएनजेपी अस्पताल में फिलहाल 27 कोविड रोगी भर्ती हैं और इनमें से 3 वेंटिलेटर पर हैं।
संक्रमण दर में वृद्धि के बावजूद दिल्ली सरकार ने दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा तैयार किए गए ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (जीआरएपी) को लागू नहीं किया है, क्योंकि अस्पतालों में भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या कम है। जीआरएपी पिछले साल अगस्त से प्रभाव में आया था जिसके तहत सरकार द्वारा विभिन्न गतिविधियों को 'लॉक' और 'अनलॉक' करने का फैसला संक्रमण दर और मरीजों के भर्ती होने की दर के आधार पर किए जाने की व्यवस्था है।
सोमवार को प्रकाशित स्वास्थ्य बुलेटिन के अनुसार अस्पतालों में उपलब्ध 9,506 बिस्तरों में से 241 पर मरीज मौजूद हैं। हालांकि यह संख्या रविवार (249) से कम है जबकि कोविड देखभाल केंद्रों और कोविड स्वास्थ्य केंद्रों के सभी बेड खाली हैं।
राष्ट्रीय राजधानी में सोमवार को 4,095 मरीज घर में पृथक रह रहे थे, जो रविवार के मुकाबले कम हैं, वहीं शहर में कंटेनमेंट जोन की संख्या 265 थी। विशेषज्ञों ने कहा कि दिल्ली में कोरोनावायरस संक्रमण के मामलों में हालिया वृद्धि के लिए लोगों का एहतियाती उपायों की अनदेखी करना और छुट्टियों के मौसम में घूमना-फिरना मुख्य रूप से जिम्मेदार है।
फोर्टिस अस्पताल में पल्मोनोलॉजी की सलाहकार डॉ. ऋचा सरीन ने कहा कि पिछले कुछ दिनों में मामलों में वृद्धि देखी गई है, लेकिन अभी घबराने वाली स्थिति नहीं है। हालांकि सभी का सार्वजनिक जगहों पर मास्क पहनना और कोविड अनुकूल व्यवहार का पालन करना जरूरी है।
उन्होंने कहा कि दफ्तर, स्कूल और बाजार हर समय बंद नहीं रखे जा सकते हैं, इसलिए हमें सतर्क रहना होगा और सावधानी बरतनी पड़ेगी। जब मामलों में बहुत तेजी से वृद्धि होगी या अस्पतालों में भर्ती मरीजों की संख्या बहुत तेजी से बढ़ेगी, तब अधिकारी खुद जरूरी कार्रवाई करेंगे। डॉ. सरीन ने कहा कि ज्यादातर संक्रमितों में हल्के लक्षण ही उभर रहे हैं, ऐसे में लगता है कि ओमिक्रॉन का एक उप-स्वरूप ही फिलहाल लोगों के बीच फैल रहा है।