ईसा मसीह किस भाषा में बोलते थे यह सवाल आज भी बरकरार हो सकता है। बाइबल सबसे पहले ग्रीक भाषा में लिखी गई थी, लेकिन उसके पहले प्रेरितों के सुसमाचारों की किताबें हिब्रू में थी और कुछ अन्य भाषाओं में। हालांकि इस पर भी विद्वानों में मतभेद हैं। यह जानना बहुत दिलचस्प है कि ईसा मसीह कौन सी भाषा जानते थे या किस भाषा में बोलते थे?
यह बात 2014 की है। टॉम डी कास्टेला कहते हैं कि ईसा मसीह जिन स्थानों पर रहे, वहां कई भाषाएं बोली जाती हैं इसलिए यह सवाल मौजूं है कि वे कौन सी भाषा जानते थे?
इसराइल के पीएम बेंजामिन नेतन्याहु और पोप फ्रांसिस के बीच इस मसले पर एक बार तकरार भी हो चुकी है। नेतन्याहु ने येरुशलम में एक सार्वजनिक बैठक में पोप से कहा था, "ईसा मसीह यहां रहते थे और वे हिब्रू बोलते थे। पोप ने उन्हें टोकते हुए कहा, 'अरामीक'। नेतन्याहु ने इस पर जवाब देते हुए कहा, "वे अरामीक बोलते थे, लेकिन हिब्रू जानते थे।"
हिब्रू विद्वानों और धर्मग्रंथों की भाषा थी, लेकिन ईसा मसीह की रोजमर्रा की भाषा अरामीक रही होगी। अधिकतर बाइबिल के विद्वानों का कहना है कि बाइबिल में ईसा मसीह ने अरामीक भाषा में बोला है। ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में क्लासिक्स के व्याख्याता जोनाथन काट्ज के अनुसार इसकी कम संभावना है कि वे लैटिन जानते थे लेकिन हो सकता है कि वे थोड़ी बहुत ग्रीक जानते हो।