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छठ पूजा 2021 : पहला अर्घ्य आज, सूर्य को अर्घ्य देने का कौनसा है सबसे शुभ समय

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हमें फॉलो करें Chhath Puja Sandhya And Usha Arghya 2021
, बुधवार, 10 नवंबर 2021 (11:56 IST)
Chhath Puja Sandhya Arghya 2021 : छठ पूजा में षष्ठी तिथि को सांध्य और सप्तमी को उषा काल के सूर्य को अर्घ्य देने का खास महत्व है। 10 तारीख को सांध्या का अर्घ्‍य दिया जाएगा और इसके बाद 11 नवंबर 2021 को सुबह के सूर्य को अर्ध्य दिया जाएगा। आओ जानते हैं कि संध्या को सूर्य को किसी समय और कैसे अर्घ्‍य दें।
 
 
छठ पूजा: संध्या अर्घ्य समय ( Chhath Puja Sandhya Arghya Time 2021 ) :
 
1. सूर्यास्त एकदम से नहीं होता है। धीरे धीरे सूर्य अस्त हो जाता है।
 
2. 10 नवंबर (संध्या अर्घ्य) सूर्यास्त का समय : शाम 05 बजकर 30 मिनट पर है। हालांकि सूर्य अस्त प्रारंभ होगा 05 बजकर 03 मिनट से और कई जगहों पर 5 बजकर 44 मिनट पर अस्त हो जाएगा। अस्त होने के बाद भी बहुत देर तक आकाश में उजाला छाया रहता है। भारत के पश्‍चिमी राज्यों में सूर्य अस्त देर से होगा जबकि पूर्वी राज्यों में 5 बजकर 02 मिनट से ही सूर्य अस्त प्रारंभ हो जाएगा।
 
3. उपरोक्त मान से सूर्य को अर्घ्‍य देने का समय उत्तम समय शाम 05 बजकर 30 मिनट पर है।
 
नोट : स्थानीय समय के अनुसार सूर्य के अस्त और उदय होने के समय में घट-बढ़ रहती है।
Chhath Puja Sandhya And Usha Arghya 2021
इस तरह दें सूर्य को अर्घ्‍य : 
 
1. अर्घ्य देने के लिए बांस की 3 बड़ी टोकरी या पीतल का सूप लें, जिसमें चावल, लाल सिंदूर, गन्ना, हल्दी, सुथनी, सब्जी, शकरकंदी, नाशपाती, शहद, पान, बड़ा नींबू, सुपारी, कैराव, कपूर, मिठाई, चंदन, ठेकुआ, मालपुआ, खीर, सूजी का हलवा, पूरी, चावल से बने लड्डू आदि सभी सजा लें। साथ में थाली, दूध और गिलास ले लें। सूर्य को अर्घ्य देते समय सारा प्रसाद टोकरी में रखें और एक दीपक भी जला लें। इसके बाद नदी में उतरकर सूर्यदेव को तांबे के लौटे में भरे जल से अर्घ्य दें। इसके बाद सभी सामग्री से पूजा करें। 
 
अर्घ्य देते समय इस मंत्र का उच्चारण करें।
ऊं एहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजोराशे जगत्पते।
अनुकम्पया मां भवत्या गृहाणार्ध्य नमोअस्तुते॥
 
अर्घ्य देते समय निम्न मंत्र का पाठ करें -
 
'ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजोराशे जगत्पते। 
अनुकंपये माम भक्त्या गृहणार्घ्यं दिवाकर:।।' (11 बार) 
 
11. ' ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय, सहस्त्रकिरणाय। 
मनोवांछित फलं देहि देहि स्वाहा: ।।' (3 बार) 
 
तत्पश्चात सीधे हाथ की अंजूरी में जल लेकर अपने चारों ओर छिड़कें। अपने स्थान पर ही तीन बार घुम कर परिक्रमा करें। 

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