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मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
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पाकिस्तान का क्या है ऑपरेशन टोपेक प्लान?

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अनिरुद्ध जोशी

1971 में भारतीय सेना के हाथों हुई पाकिस्तान की करारी हार के उपरांत पाकिस्तान के तत्कालीन पाक प्रधानमंत्री जुल्फीकार अली भुट्टो ने कहा था कि पाकिस्तान कश्मीर को पाने के लिए भारत से 1,000 साल तक लड़ सकता है। लेकिन पाकिस्तानी सेना भड़की हुई थी। उसने भुट्टो का तख्तापलट कर उन्हें 1979 में फांसी दे दी और खुद ताकत में आ गई और तत्कालीन सेना अध्यक्ष जनरल जिया-उल-हक ने भारत में छायायुद्ध छेड़ने के इरादों से 'ऑपरेशन टोपाक' को जन्म दिया था।
 
भारत के खिलाफ इस छद्म युद्ध का कार्यान्वय 1988 में में शुरू हुआ। यहां इस संबंध में संक्षिप्त जानकारी ही दी जारी है जो विभिन्न इंटरनेट मीडिया सोर्स पर आधारित है। ऑपरेशन टोपेक के मूलत: कुल छह चरण बताए जाते हैं जिन्हें क्यों अब तक सफलतापूर्वक जारी रखा गया, किस तरह यह कश्मीर में चलता रहा और किस तरह केंद्र और राज्य की सरकारों ने इस और ध्यान दिया या नहीं दिया यह एक अलग विषय है। फिलहाल दुश्मन क्यों अपनी चाल में सफल होता गया यह भी सोचे जाने की जरूरत है।
 
 
1. दीर्घकालिक रणनीति को दिमाग में रखते हुए इस योजना के अंतर्गत पहले चरण में पाकिस्तानी सेना और आईएसआई ने मिलकर कश्मीरी युवकों को सर्वप्रथम बरगलाकर जेहाद के लिए तैयार करना, घुसपैठ के माध्यम से आतंकवादी घटनाओं को अंजाम देना और सुन्नी मदरसे और मस्जिदों की तादाद बढ़ाना था।
 
2. दूसरे चरण में कश्मीर के गैर-मुस्लिमों के खिलाफ हिंसा को अंजाम देना था। इस षड्‍यंत्र के अंतर्गत राज्य में सांप्रदायिक तनाव तथा दंगों को बढ़ावा देना ताकि भारत समर्थक तत्वों को अपने घरों से पलायन कर देश के अन्य भागों में शरण लेनी पड़े।
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3. तीसरे चरण में गैर-सुन्नी मुसलमानों को भी पलायन के लिए मजबूर करना और बगावत के लिए जनता को तैयार करना। इसके लिए उन्होंने 1988 से पंडितों और सिखों का नरसंहार करना प्रारंभ किया।
 
4. चौथे चरण में राज्य में बड़े पैमाने पर लोगों को पुलिस बल के खिलाफ भड़का कर हिंसा फैलाना, सरेआम भारत विरोधी नारे लगाकर भारत की खिलाफत करना आदि।
 
5. पांचवें चरण में राज्य पुलिस के सिपाहियों की हत्या करना और उन्हें पुलिस की नौकरी छोड़ने पर मजबूर करना। पत्थरबाजी उसी का एक हिस्सा है।
 
6. इसके बाद अंतिम तथा निर्णायक चरण के तहत आंतरिक गड़बड़ पैदा करने के उपरांत सीमाओं पर बड़े पैमाने पर हमले करने की योजना को अंजाम देना ताकि एक ओर से भारतीय सेनाओं पर पाक सेना हमले करे तो दूसरी ओर से घुसपैठ में सफल होने वाले आतंकवादी और स्थानीय अलगावावादी।
 
 
7. विश्वस्त सूत्रों तथा अधिकारियों द्वारा एकत्र किए जाने वाले दस्तावेजों के अनुसार वर्तमान में कश्मीर में छेड़े गए तथाकथित जेहाद की सफलता के लिए पाकिस्तानी सेना ने 'ऑपरेशन टोपाक' के अंतिम, निर्णायक तथा चौथे चरण को लागू कर दिया गया है।
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8. पाकिस्तान निकट भविष्य में अपनी नियमित सेना के जवानों को जम्मू-कश्मीर में बड़ी संख्या में धकेल सकता है, क्योंकि कश्मीर में छेड़े गए जेहाद के लिए उतनी संख्या में न ही स्थानीय आतंकवादी तथा न ही विदेशी आतंकवादी उपलब्ध हो रहे हैं।
 
 
9. अफगानिस्तान में ताबिलबान के सक्रिय होने के बाद अब दुश्मन का इरादा सिर्फ कश्मीर को ही अशांत रखना नहीं रहा, वे जम्मू और लद्दाख में भी सक्रिय होने लगे। घाटी में मस्जिदों की तादाद बढ़ाना, गैर मुस्लिमों और शियाओं को भगाना और बगावत के लिए जनता को तैयार करना 'ऑपरेशन टोपाक' के ही चरण हैं। इसी के तहत कश्मीर में सरेआम पाकिस्तानी झंडे लहराए जाते हैं और भारत की खिलाफत की जाती है। पत्थरबाजी और आतंकियों की घुसपैठ भी इसी का हिस्सा है।

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