साजिद-वाजिद हिंदी सिनेमा की एक मशहूर संगीतकार जोड़ी रही है। दोनों ने साथ मिलकर कई फिल्मों में संगीत दिया है। अब भले ही वाजिद इस दुनिया में नहीं रहे, लेकिन साजिद अपने नाम के साथ वाजिद का नाम हमेशा जोड़े रखना चाहते हैं और अब उन्होंने अपने भाई के नाम को अपना सरनेम बनाने का फैसला किया है।
एक इंटरव्यू के दौरान साजिद ने कहा, मैं नहीं चाहता कि लोग मुझे साजिद खान कहें, इसलिए मैंने वाजिद को अपना सरनेम मान लिया है। अब मेरा नाम साजिद-वाजिद है और यह अंत तक ऐसे ही रहेगा।
उन्होंने कहा, मैंने ऐसी धुनों की रचना शुरू कर दी है, जिसके बारे में मैंने कभी नहीं सोचा था और मुझे लगता है कि यह वाजिद की वजह से ही है। वाजिद उस समय में मेरे साथ होता है। वाजिद भले ही शारीरिक रूप से मौजूद नहीं है, पर मैं हर समय उसकी मौजूदगी को महसूस करता हूं। मैं वाजिद के इतना करीब था कि सबके मना करने पर भी पीपीई किट पहनकर उससे मिलने अस्पताल के आईसीयू में जाया करता था।
उन्होंने कहा, एक समय ऐसा भी आया था, जब मैंने सोचा कि मैं उसके साथ ही जाऊंगा, लेकिन उसे देखे बिना नहीं रह सकता। उसकी कमी वास्तव में कोई पूरी नहीं कर सकता। भाई को खोने के बाद मैंने सलमान भाई से कहा था कि मुझे लगता है कि मेरे अंदर अब आग नहीं बची है। मेरा अब काम खत्म हो चुका है। तभी से सलमान भाई मेरे सपोर्ट सिस्टम बन गए हैं।
साजिद ने कहा, सलमान ने मुझे मेरे मुश्किल दौर में संभाला है। आज मुझे जो आत्मविश्वास महसूस हो रहा है और मेरे अंदर की आग और भी ज्यादा हो गई है, उसकी वजह सलमान भाई ही हैं।
बता दें कि बीते साल म्यूजिक निर्देशक वाजिद ने 42 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया था। वैसे तो वाजिद किडनी की समस्या से जूझ रहे थे, वहीं किडनी के इलाज के दौरान जब उनका कोरोना टेस्ट किया गया तो उनकी रिपोर्ट भी पॉजिटिव आई थी।
हालांकि उनकी मौत की वजह हार्ट अटैक बताई गई। वाजिद पिछले कई सालों से किडनी के अलावा हार्ट की समस्या से भी जूझ रहे थे। बता दें कि संगीतकार जोड़ी साजिद खान और वाजिद खान दो अलग-अलग व्यक्ति हैं, लेकिन साजिद-वाजिद के रूप में उनकी एक ही पहचान रही है।