एक्ट्रेस प्रणिता पंडित और उनके पति शिवि पिछले साल अगस्त में एक बेटी के माता-पिता बने। वह मां बनने का नया अनुभव पसंद करती है पर यह उनके लिए चुनौतीपूर्ण भी है। वे कहती हैं, एक बच्चे की परवरिश करना पूरे वक्त का काम है। अपने बच्चे को वह पूरा समय देना है जो आप उसे देने में सक्षम हैं। ऐसे में संयुक्त परिवार में रहना फायदेमंद हैं। संयुक्त परिवार में लोग मदद करते हैं और आप आपके समय का प्रबंधन कर सकते हैं।
हालांकि, कोई मदद मिले या न मिले, किसी भी नई मां के लिए कुछ समय खुद के लिए महत्वपूर्ण है। अभिनेत्री ने कहा, एक नई मां के पास खुद के लिए समय निकालना बेहद जरूरी है। प्रारंभ में यह अत्यंत कठिन है। पहले कुछ महीने दूसरे स्तर तक कठिन हैं।
कवच 2 की अभिनेत्री का कहना है कि अपने आप को अलग करना और समय निकालना भी महत्वपूर्ण है फिर चाहें वो खुद एक कोने में बैठकर चाय पीना ही क्यों न हो। प्रणिता जमाई राजा के शो में नजर आ चुकी हैं। वे स्वीकार करती हैं कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि एक बच्चा होना चाहिए। जब तक कि उनका खुद का नहीं था।
प्रणिता बताती हैं, जब तक मैं गर्भवती नहीं हुई थी और मां नहीं बनी थी। तब तक मैं मां नहीं बनना चाहती थी। मुझे लगा कि इसकी जरूरत नहीं है। लगता था एक अच्छा साथी होना ही काफी है। अपने आप में पूर्ण महसूस करने के लिए बच्चे की ज़रूरत नहीं है। लेकिन मैं मां बनी तो मुझे महसूस हुआ कि यह आपके जीवन का सबसे खूबसूरत अनुभव है।
उन्होंने कहा, यह एहसास किसी भी चीज़ की तुलना नहीं कर सकता है। जब आप इस प्रक्रिया से गुजरते हैं, तो आप अलग ही महसूस करते हैं। भले ही यह थोड़ा कठिन और भारी हैं पर एक इंसान के लिए यह सबसे अच्छी बात हो सकती हैं।
वर्तमान परिस्थितियों में एक बच्चा होना कठिन है। प्रणिता और उनका परिवार सुरक्षा बनाए रखने के लिए सावधानी बरत रहें। कोविड 19 की स्थिति ने मेरी गर्भावस्था और उसके बाद वाले दिनों को भी काफी चुनौतीपूर्ण बना दिया। हम सावधानी बरत रहे हैं। हम बाहर कदम रखने के पहले भी 100 बार सोच रहे हैं।
उन्होंने कहा, मैं लगातार बाहर खाती थी। दोस्तों से मिल रही थी। इसलिए यह मेरे लिए और कठिन था। मैं एक बच्चे के साथ होमबाउंड हो गयी हूं। अब हम बहुत सावधान हो गए हैं। हमने यह सब बंद कर दिया हैं। मैं अपने कुछ करीबी दोस्तों से सिर्फ इसलिए नहीं मिली क्योंकि उनमें से कुछ शूटिंग कर रहे हैं। मैं अब लोगों से मिलने से बच रही हूं।
प्रणिता आगे कहती हैं, वास्तव में, जहां तक डॉक्टर से मिलने की बात है। मैं अपनी छोटी बच्ची को अस्पताल नहीं ले जाती। हम निजी क्लीनिक जाते हैं। वहां वे एक समय में एक बच्चे को देखते हैं। मां बनने के बाद उनका जीवन बदल गया हैं। मैं अब जीवन और प्रेम के मूल्य को समझ गई हूं और उसकी कद्र करती हूं।