Abdul Hamid Biopic Film: आज जिन अनुकूल परिस्थितियों में लोग अपना सुखी जीवन गुजर-बसर कर रहे है वो वीर- सपूतों की कुर्बानी की देन हैं और फिल्मी इतिहास में भी इनकी शहादत की अमर गाथा को सलाम किया जाता हैं। ऐसे अनछुए वीर योद्धाओं के योगदान को देश की जनता तक पहुंचाना बहुत बड़ा धर्म हैं।
ऐसी ही एक नेक कोशिश वरिष्ठ पत्रकार और फिल्ममेकर रामाचंद्रन ने की है, जिनकी हाल ही में रिलीज हुई किताब 'मेरे पापा परमवीर' के जरिए 1965 जंग के हीरो अब्दुल हमीद के जीवन पर फिल्म बनने जा रही है। आज से करीब 60 साल पहले अब्दुल हमीद की शहादत हुई थी।
परमवीर चक्र से सम्मनित अब्दुल हमीद की फ़िल्म का नाम 'परमवीर' से अच्छा कोई हो ही नही सकता। 'मेरे पापा परमवीर' किताब के लेखक यस रामाचंद्रन ने काफी सालों की मेहनत- लगन, तत्परता और गहरे अध्ययन के आधार पर इस किताब के सारे तथ्य और असल घटनाओं को अपने किताब में उतारा है। इसके जरिए फिल्म को एक सही दिशा देने में सहायता मिलेगा।
फ़िल्म की सह मेकर अनुषा श्रीनिवासन अय्यर ने बताया कि 60 साल का वक्त इस फिल्म को बनाने में लग गया। हालांकि परमवीर चक्र के जीवन पर फिल्म बनने में इतना वक्त नहीं लगना चाहिए। इसके साथ ही सैन्य सेवाओं को लेकर के लोगों के मन में जुनून पैदा हो ऐसा कुछ वह फिल्म में दिखाना चाहते है। उन्होंने बताया कि गर्व की बात है कि फिल्म डॉ रामचंद्र के लिखे पुस्तक पर आधारित है। देश के हर नागरिक को सैनिकों को धन्यवाद बोलना चाहिए। सरहद पर वह रक्षा करते हैं, जिसके कारण हम सुरक्षित रहते हैं।
निर्माता विक्रम खाखर ने बताया कि ये फिल्म में एक सामाजिक संदेश देने को उजागर भी करेगी। जहां ये संदेश होगा कि लोग जाति, धर्म से ऊपर उठकर अपने राष्ट्र को प्राथमिकता दें। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि हिंदुस्तान में पहली बार एक ऐसी फिल्म बनाई जो कि हॉलीवुड की नई टेक्नोलॉजी के साथ शूट हो रही है। साथ ही फिल्म का कुछ हिस्सा वीर अब्दुल हमीद के पैतृक गांव धामपुर में भी शूट होगा। अभी इस फिल्म के स्टारकास्ट का चयन होना बाकी हैं।