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1983 की विश्वकप विजेता टीम ने सुनाए कई रोचक क्रिकेट किस्से

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समय ताम्रकर

27 सितंबर को मुंबई में '83 फिल्म बनाने की घोषणा हुई। 1983 का वर्ष भारतीय क्रिकेट इतिहास के लिए यादगार रहा। इस वर्ष भारतीय क्रिकेट टीम ने विश्व कप जीता और इसके बाद क्रिकेट की लोकप्रियता भारत में चरम पर पहुंच गई। इस ऐतिहासिक जीत पर फिल्म निर्देशक कबीर खान ने फिल्म बनाने की घोषणा की है जिसमें कपिल देव का रोल रणवीर सिंह निभाएंगे। 
 
जेडब्ल्यू मेरियट होटल में फिल्म की घोषणा का अद्‍भुत नजारा था। विश्व कप क्रिकेट जीतने वाली टीम के सदस्य (सुनील गावस्कर, सैयद किरमानी और रवि शास्त्री को छोड़ कर) मौजूद थे। हीरो रणवीर सिंह की लोकप्रियता इन क्रिकेट के हीरो के आगे पानी भर रही थी। सभी खिलाड़ियों का उत्साह देखते ही बन रहा था। जैसे ही इनके हाथ माइक लगा इन्होंने ऐसी-ऐसी बातें बताईं जो कभी सामने नहीं आई। ऐसा लग रहा था कि वे बस बोलते जाए और उपस्थित लोग सुनते जाए। कबीर खान को तो यह कहना पड़ा कि यदि वे इन बातों की वीडियो रिकॉर्डिंग ही रिलीज कर दे तो ब्लॉकबस्टर हो जाए। 
 
उस मैच में ओपनिंग बल्लेबाजी के. श्रीकांत ने की थी। यहां भी उन्होंने पहले बात की। श्रीकांत ने बताया- हमारी टीम को कोई दावेदार नहीं मान रहा था। इस विश्व कप के पहले हम दो बार विश्व कप खेल थे और एकमात्र विजय हमने ईस्ट अफ्रीका टीम पर पाई थी। सभी इसे लंदन में छुट्टियां बिताने का अवसर मान रहे थे। मेरी तो नई-नई शादी हुई थी और मैं इसे शॉर्ट हनीमून मान रहा था। इसके बाद मेरा अमेरिका जाकर हनीमून मनाने का प्लान था और हमने टिकट बुक भी करा लिए थे। विश्व कप शुरू होने के पहले एक सीरिज में हमने वेस्ट इंडीज जैसी धाकड़ टीम को हरा दिया था। हमारे कप्तान कपिल देव ने कहा कि हमें विश्व कप के मैच में वेस्ट इंडीज को फिर हराना है तो मैं समझ गया कि कप्तान साहब पागल हो गए हैं। जिस टीम में ग्रीनिज, हैंस, रिचडर्स, गोम्स, लॉयड जैसे धाकड़ बल्लेबाज हों और उन गेंदबाजों के तो मैं क्या कोई भी बल्लेबाज नाम याद रखना नहीं चाहेगा उसे भला दोबारा कैसे हराया जा सकता है, लेकिन कपिल को बहुत विश्वास था। उसके इसी विश्वास के सहारे हम कप जीतने में सफल रहे। 
 
मोहिंदर अमरनाथ ने बताया जब हमारा सिलेक्शन वर्ल्ड कप के लिए हुआ तो इसे जीतने के बारे में किसी खिलाड़ी ने नहीं सोचा। हम तो इंग्लैंड गोरियों को निहारने के लिए गए थे जिनकी लंबी और खूबसूरत टांगें होती हैं। मोहिंदर अमरनाथ ने सेमी फाइनल का जिक्र किया जब भारत के कुछ विकेट जल्दी गिर गए। मोहिंदर और यशपाल शर्मा ने धीमे-धीमे खेलने का निश्चय किया। टी-ब्रेक में जब वे ड्रेसिंग रूम पहुंचे तो वहां पर शांति छाई हुई थी। किसी ने पानी का भी नहीं पूछा। ऐसा लगा कि उनके धीमे खेल से सभी खिलाड़ी नाराज थे। पिच पर पहुंचने के बाद मोहिंदर ने यशपाल से कहा कि वे जोखिम उठाएंगे और यशपाल धीमे खेलेगा। मोहिंदर ने जब एक चौका मारा तो यशपाल में प्रतिस्पर्धा की भावना जाग गई। उन्होंने अगले ओवर में तीनों स्टंप्स छोड़ कर बॉब विलिस को छक्का मार दिया। मोहिंदर ने जब बताया कि यशपाल जोखिम क्यों ले रहा है तो उन्होंने कहा कि मद्रास मैच का बदला लेना था। 
 
कप्तान तो कपिल थे, लेकिन शाम का कप्तान संदीप पाटिल को कहा जाता था जो यह फैसला करते थे कि शाम और रात में कहा जाना है। संदीप पाटिल को जब माइक मिला तो उन्होंने कप्तान की खिंचाई कर डाली। संदीप ने कहा- हमारे कप्तान (कपिल देव) पर अंग्रेजी बोलने का फितूर सवार था और उनका हाथ अंग्रेजी के साथ-साथ हिंदी में भी तंग था। इससे बड़ी हास्यास्पद स्थितियां बन जाती थी। उस समय टीम मीटिंग आज जैसी नहीं होती थी। आज तो पिच से लेकर खिलाड़ियों के खेलने की शैली पर भी गौर किया जाता था। कपिल मीटिंग में आए और उन्होंने कहा सुनील (गावस्कर) तुम बैटिंग करोगे। श्रीकांत तुमको तेज खेलना है। यशपाल तुम तगड़े हो। संदीप तुमको टाइगर बनना पड़ेगा। किरमानी तुम कीपिंग करोगे। यह कह कर कपिल चल दिए। कपिल के जाने के बाद हम यही सोचते रहे कि कप्तान का मतलब क्या था? हम यही तो करते हैं।' 

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पूर्व तेज गेंदबाज मदनलाल ने बताया कि हम तीन अभ्यास मैच भी हार चुके थे और दु:खी थे। मैं एक बार में गया। वहां पर बेचो नामक वेस्टइंडियन आदमी बैठा हुआ था। वो नशे में धुत्त था और बड़बड़ा रहा था कि भारत विश्वकप जीतेगा। यह सुन कर गोरे हंस रहे थे और मुझे शर्मिंदगी महसूस होने लगी और मैं वहां से निकल पड़ा। लेकिन जब हम कप जीत गए तब मुझे उसकी बात याद आई। नशे में की गई उसकी भविष्यवाणी सच साबित हुई और मुझे यह बात आज भी याद है। 
 
कीर्ति आजाद ने सेमी फाइनल में इंग्लैंड के महान आलराउंडर इयॉन बॉथम को आउट करने का किस्सा बताया। आजाद ने कहा, मैंने बॉथम को जो गेंद फेंकी वो नीची भी रही और टर्न भी हुई। बॉथम बोल्ड हो गए और मैच पर हमारी पकड़ मजबूत हो गई। बॉथम को मैंने जैसे ही आउट किया सभी बधाई देने आ गए। कपिल ने पूछा कि यह गेंद तुमने कैसे फेंकी। मैंने कहा कि पाजी यह सीक्रेट है। आज बताता हूं कि यह सब अपने आप हो गया था और मुझे बॉथम का विकेट मिल गया। 
 
बलविंदू संधू की बारी आई तो उन्होंने कहा- एक बाउंसर मेरे सिर पर लग गया था और उसके बाद मेरा दिमाग चलने लगा। जब हम 183 पर आल आउट हो गए तो उम्मीद छोड़ दी थी‍, लेकिन कपिल को विश्वास था कि हम मैच निकाल लेंगे। जब फील्डिंग के लिए हम पहुंचे तब कपिल के दिमाग में यह बात सेट हो गई थी कि कहां फील्डर रखने हैं। वे मेरे पास आए। गेंद हाथ में देते हुए कहा कि हम फील्डर रखेंगे, वहां, वहां और वहां। मेरी समझ में कुछ नहीं आया तो मैंने कहा कहां? इस पर कपिल नाराज हो गए और उन्होंने कहा कि संधू मजाक छोड़ो। बाद में मेरे समझ में आया कि कपिल ने सारी योजना दिमाग में बना रखी थी। संदीप पाटिल का क्षेत्ररक्षण कमजोर था। कपिल ने कहा कि सिंधू यदि संदीप थर्ड मैन पर हो तो गेंद को इन स्विंग रखना और यदि फाइन लेग पर हो तो आउट स्विंग डालना। यदि संदीप के पास गेंद गई तो हम मैच हार जाएंगे। 
 
संदीप पाटिल ने एक और किस्सा साझा किया। उन्होंने कहा कि जब हम 183 पर आउट हो गए और विवियन रिचर्ड्स ने हमारे गेंदबाजों की गेंदों की धुनाई करना शुरू कर दी तब मैं बाउंड्री लाइन पर खड़ा था। वहां गावस्कर की पत्नी स्टैंड्स में बैठी थी। उन्होंने मुझसे कहा कि सुनील को कह दो कि एक घंटे बाद मुझसे स्टेशन पर मिल ले ताकि हम शॉपिंग कर सके। 
 
कपिल की पत्नी रोमा ने बताया कि वे स्टेडियम में मैच देख रही थी। जब भारतीय टीम बहुत कम रन बना कर ढेर हो गई तो वेस्टइंडीज की महिलाएं उन्हें चिढ़ा रही थी। यह देख उन्हें रोना आ रहा था। उन्होंने तुरंत स्टेडियम छोड़ा और होटल रवाना हो गई। कमरे में जाकर खूब रोईं। फिर टीवी ऑन किया। देखा तो वेस्ट इंडीज की हालत खराब हो गई थी, लेकिन वे वापस मैच देखने स्टेडियम नहीं जा सकती थी क्योंकि टिकट नहीं था। 
 
कपिल देव ने कहा कि आप देख रहे हैं कि ये सब कितने मस्तीखोर थे। इनको मैंने कैसे कंट्रोल में रखा मैं ही जानता हूं। 
 
कपिल के नेतृत्व और जिम्बाब्वे के खिलाफ 175 रनों की सबने खूब प्रशंसा की। इस पारी के बारे में सुनील गावस्कर की पत्नी ने कहा था कि इसने क्रिकेट खेल को ही बदल डाला। इस पारी की कोई वीडियो रिकॉर्डिंग नहीं है। कबीर खान पर जिम्मेदारी रहेगी कि वे इस पारी को शानदार तरीके से परदे पर दिखाए। 
 
यह एक बेहतरीन कार्यक्रम था जिसमें ढेर सारे किस्से सुनाए गए। उम्मीद है कि '83 नामक फिल्म भी कार्यक्रम की तरह बेहतरीन साबित होगी। 

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