प्रभाकर मणि तिवारी ,बीबीसी हिंदी के लिए, कोलकाता से
'राजनीति और मैं एक-दूसरे के लिए नहीं बने हैं। मैंने अपनी पार्टी तो दूर विपक्षी पार्टी के ख़िलाफ़ भी कभी कड़वी टिप्पणी नहीं की है। बावजूद इसके मुझे तरह-तरह की टिप्पणियां सुननी पड़ती हैं।'
बांग्ला फ़िल्मों की मशहूर अभिनेत्री और कोलकाता की जादवपुर सीट से तृणमूल कांग्रेस की सांसद मिमी चक्रवर्ती ने गुरुवार को विधानसभा में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मुलाक़ात के बाद पत्रकारों से यह बात कही।
मिमी का कहना था कि उन्होंने 'दीदी' यानी ममता को अपना 'इस्तीफ़ा सौंप दिया है।' अब वे चुनाव नहीं लड़ना चाहती हैं। उन्होंने अपनी शिकायतों और आरोपों से भी मुख्यमंत्री को अवगत करा दिया है। मिमी ने साफ़ कहा है कि वे इस साल होने वाले लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार नहीं बनना चाहती हैं।
उन्होंने कहा, ''मैं राजनीति नहीं समझती और अपने काम का प्रचार करना भी नहीं जानती। यह मेरे राजनीति छोड़ने की एक प्रमुख वजह है।''
मिमी के मुताबिक़, उन्होंने 2022 में भी लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफ़ा देने की इच्छा जताई थी। लेकिन तब ममता ने इसकी अनुमति नहीं दी थी।
क्यों नाराज़ हैं मिमी चक्रवर्ती
दरअसल, मिमी चक्रवर्ती के असंतोष की ख़बरें तो हाल के कुछ महीनों से आ रही थीं। लेकिन बीते सप्ताह संसद की दो स्थायी समितियों से उनके इस्तीफे़ के बाद संसद से उनके इस्तीफे़ की अफ़वाहों को बल मिला था।
दरअसल, मिमी चक्रवर्ती के असंतोष की ख़बरें तो हाल के कुछ महीनों से आ रही थीं। लेकिन बीते सप्ताह संसद की दो स्थायी समितियों से उनके इस्तीफे़ के बाद संसद से उनके इस्तीफे़ की अफ़वाहों को बल मिला था।
अब ख़ुद मिमी ने इसकी पुष्टि कर दी है। हालांकि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अब तक इस मुद्दे पर कोई सार्वजनिक टिप्पणी नहीं की है। लेकिन 2019 में उन्होंने भाजपा के मुक़ाबले के लिए जो सितारे मैदान में उतारे थे, उनकी चमक अब फीकी पड़ती जा रही है।
पहले पश्चिम मेदिनीपुर ज़िले में घाटाल से सांसद और शीर्ष अभिनेता देव ने सरकार की कई समितियों से इस्तीफ़ा देते हुए आगे सक्रिय राजनीति से संन्यास का संकेत दिया था और अब मिमी ने सक्रिय राजनीति से नाता तोड़ने की बात कही है।
हालांकि ममता और अभिषेक बनर्जी के साथ बैठक के बाद देव ने अपने सुर कुछ नरम ज़रूर किए हैं। उन्होंने कहा है, "मैं भले राजनीति छोड़ दूं, राजनीति मुझे नहीं छोड़ेगी।"
दूसरी ओर, संदेशखाली में हुए बवाल के बाद एक अन्य अभिनेत्री और बशीरहाट से तृणमूल कांग्रेस सांसद नुसरत जहां की सोशल मीडिया पर वायरल तस्वीरों के कारण भी उनकी आलोचना की जा रही है।
मिमी का कहना था, "मैंने पार्टी के भीतर से पैदा होने वाली बाधाओं और समस्याओं के बारे में दीदी को बताते हुए उनको इस्तीफ़ा सौंप दिया है। उनकी हरी झंडी मिलने के बाद इसे लोकसभा अध्यक्ष को भेज दूंगी। मैंने अभिनय के ज़रिए लोगों का जो प्यार हासिल किया है, राजनीति के चलते उस पर बट्टा लग रहा है।"
ममता बनर्जी ने 2019 में मिमी चक्रवर्ती और नुसरत जहां को लोकसभा चुनाव में उतार कर सबको चौंका दिया था।
उस समय जादवपुर सीट से उम्मीदवार मिमी ने कहा था, "युवा तबके के लिए राजनीति में आने का यही सही समय है। अगर इस तबके के लोग राजनीति में नहीं आएंगे तो कौन आएगा?"
क्या ग्लैमर की बदौलत जीता चुनाव?
मिमी और नुसरत राजनीति में बिल्कुल नई थीं लेकिन अपनी स्टार पावर के सहारे जादवपुर और बशीरहाट सीट से भारी मतों से जीत हासिल की। मिमी और नुसरत ने अभिनेता देव के साथ तृणमूल कांग्रेस में सितारों की तिकड़ी बनाई थी।
मिमी की लोकप्रियता का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने कोलकाता की जादवपुर सीट 2।95 लाख से अधिक वोटों के अंतर से जीती थी। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर जीत का अंतर 1।40 लाख से भी कम था।
तृणमूल कांग्रेस के एक नेता बताते हैं कि मिमी ने 13 फ़रवरी को ममता बनर्जी को भेजे एक पत्र में भी पार्टी के कुछ नेताओं की शिकायत की थी। उन्होंने पत्र में लिखा था कि अक्सर उनको 'न सिर्फ अपमानित किया जाता है' बल्कि पार्टी के कार्यक्रमों में उनकी 'उपेक्षा भी की जाती है।'
मिमी ने अपने पत्र में अपने संसदीय क्षेत्र में किए अपने कामकाज का विस्तृत ब्यौरा भी दिया था। लेकिन इसमें उन्होंने सीधे पार्टी के किसी नेता या गुट का नाम नहीं लिया था।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि मिमी की नाराज़गी कोई नई नहीं है। बीते कुछ समय से वे अक्सर किसी का नाम लिए बिना अपनी नाराज़गी जताती रही थीं।
उन्होंने इस बात के पर्याप्त संकेत भी दिए थे कि पार्टी के भीतर से ही उनकी राह में रोड़े खड़े किए जा रहे हैं। मिमी ने भी पत्रकारों से बातचीत में इसे स्वीकार किया।
उन्होंने कहा, ''मैं अगर संसद की बैठक में दिल्ली में रहूं तो कहा जाता है कि मैं तो दिल्ली में ही रहती हूं, अपने संसदीय क्षेत्र में नहीं। और अगर यहां रहूं तो लोग कहते हैं कि यह तो संसद में जाती ही नहीं। इसे सांसद बनाने से क्या फायदा। कुछ लोगों के लिए संसद में मेरी उपस्थिति ही सबसे बड़ा मुद्दा है।''
मिमी ने दावा किया कि उन्होंने सांसद निधि से अपने इलाके में जितना काम किया है उतना शायद किसी और ने नहीं किया है।
मिमी चक्रवर्ती का सफ़र
मिमी चक्रवर्ती का जन्म 11 फ़रवरी, 1989 को उत्तर बंगाल के जलपाईगुड़ी में हुआ था। उनका बचपन अरुणाचल प्रदेश में बीता। लेकिन उसके बाद उनकी स्कूली शिक्षा जलपाईगुड़ी के होली चाइल्ड स्कूल और बिन्नागुड़ी के सेंट जेम्स स्कूल में हुई।
उन्होंने कोलकाता के आशुतोष कॉलेज से बीए की डिग्री हासिल की है। अभिनय के क्षेत्र में करियर बनाने की शुरुआत मिमी ने मॉडलिंग से की थी। उन्होंने फेमिना मिस इंडिया में भी हिस्सा लिया था। उनका करियर 2008 में बांग्ला टीवी सीरियल चैम्पियन से शुरू हुआ था।
साल 2012 में उनकी पहली फिल्म बापी बाड़ी जा (पापा के घर जाओ) रिलीज हुई थी। उसके बाद उन्होंने पीछे मुड़ कर नहीं देखा था। आगे चल कर उन्होंने अपनी प्रोडक्शन कंपनी मिमी चक्रवर्ती प्रोडक्शन के बैनर तले भी कई फिल्में बनाईं।
तृणमूल कांग्रेस के एक नेता नाम नहीं छापने की शर्त पर बताते हैं, "पार्टी नेतृत्व इस बार वैसे भी लोकसभा के उम्मीदवारों की सूची से मिमी का टिकट काटने वाला था। पार्टी के स्थानीय नेताओं से उनके ख़िलाफ़ लगातार शिकायतें मिल रही थीं। इसके अलावा संसद में उनकी उपस्थिति भी बहुत कम (21 प्रतिशत) रही है।"
जादवपुर में पार्टी के एक नेता, जिनको मिमी के विरोधी गुट का माना जाता है, ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा, "मिमी चक्रवर्ती अपने ग्लैमर और पार्टी के समर्थन से चुनाव तो जीत गईं। लेकिन उसके बाद भी वे राजनेता की बजाय अभिनेत्री ही बनी रहीं। आम लोग तो दूर पार्टी के आम कार्यकर्ताओं का भी उन तक पहुंचना आसान नहीं था।"
इस आरोप पर मिमी का कहना है कि उनको जो कुछ कहना था, दीदी को बता चुकी हैं। अब वे दीदी के फैसले का इंतज़ार करेंगी। लेकिन मिमी के एक करीबी नेता दावा करते हैं कि कुछ पुराने नेता मिमी को पिछली बार टिकट मिलने से नाराज़ थे। ऐसे लोग कदम-कदम पर उनकी आलोचना करते रहते थे।
इससे तंग आकर ही मिमी ने राजनीति से नाता तोड़ कर पूरी तरह अपने पहले प्यार यानी अभिनय की ओर लौटने का फैसला किया है। राजनीति के कारण उनका करियर भी प्रभावित हो रहा था।
दूसरी ओर, ममता के करीबी एक नेता बताते हैं, "दीदी इस मामले को सुलझाने का प्रयास कर रही हैं। मिमी चुनाव लड़े या नहीं, आम लोगों में पार्टी के मतभेद के बारे में कोई ग़लत संदेश नहीं जाना चाहिए।"