Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

पाकिस्तान चुनाव: क्या ऐसे ही नतीजों की उम्मीद थी और अब आगे क्या होगा?

हमें फॉलो करें पाकिस्तान चुनाव: क्या ऐसे ही नतीजों की उम्मीद थी और अब आगे क्या होगा?

BBC Hindi

, रविवार, 11 फ़रवरी 2024 (07:55 IST)
अहमद एजाज, पत्रकार
पाकिस्तान में 8 फरवरी को हुए बारहवें आम चुनाव में पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ़ (पीटीआई) समर्थित निर्दलीय उम्मीदवारों ने दोनों बड़े राजनीतिक दलों पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज) और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) पर बढ़त प्राप्त कर ली है।
 
दोनों बड़े दल इस स्थिति में नहीं हैं कि केंद्र में बिना गठबंधन के सरकार बना सकें। यही वजह है कि शुक्रवार की शाम मुस्लिम लीग (नवाज) के प्रमुख मियां नवाज शरीफ ने दूसरे दलों को सरकार बनाने में भागीदारी का निमंत्रण दिया।
 
अगर पीटीआई राजनीतिक दल के रूप में चुनाव में उतरती तो निश्चित रूप से सरकार बनाने के लिए राजनीतिक दलों के पास कई विकल्प होते। लेकिन अब सवाल यह है कि अगला परिदृश्य क्या होगा?
 
केंद्र सरकार के साथ-साथ राज्य सरकारें किस तरह बनेंगी? आज़ाद उम्मीदवारों की हैसियत क्या होगी? क्या पीटीआई अपने समर्थित उम्मीदवारों के साथ किसी छोटे राजनीतिक दल में शामिल हो जाएगी?
 
जोड़-तोड़ की राजनीति किस ओर जाएगी और गठबंधन सरकार बनाने के लिए राजनीतिक दल एक दूसरे को कैसे ब्लैकमेल करेंगे? इसके अलावा चुनाव की साख पर किस हद तक गंभीर सवाल खड़े हुए हैं? जिस तरह के चुनाव परिणाम आए हैं, क्या ऐसे ही नतीजों की उम्मीद की जा रही थी? यहां इन पहलुओं की चर्चा करते हैं।
 
क्या चुनावों के नतीजे अप्रत्याशित हैं?
चुनाव के नतीजे एक हद तक अप्रत्याशित भी बताए जा सकते हैं और नहीं भी। ये नतीजे पीटीआई और उसके समर्थकों के लिए बिल्कुल उम्मीद के अनुसार हैं। पीटीआई की आख़िदरी उम्मीद उनके मतदाता ही थे। पीटीआई के नेतृत्व को विश्वास था कि उनके वोटर्स बड़ी संख्या में घरों से निकलेंगे और नतीजा बदलने की स्थिति में पार्टी की मुश्किलों में कमी आएगी।
 
ये नतीजे मुस्लिम लीग (नवाज) और उसके समर्थकों के लिए अप्रत्याशित हैं क्योंकि ऐसा समझा जा रहा था कि मुस्लिम लीग (नवाज) इतनी सीटें ले पाएगी कि उसे सरकार बनाने के लिए किसी दूसरे बड़े राजनीतिक दल से गठजोड़ करने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी।
 
मुस्लिम लीग (नवाज) की राय थी कि मियां नवाज शरीफ की वापसी से पंजाब में पार्टी की स्थिति मज़बूत हो जाएगी और चुनावी नतीजे भी अलग आएंगे मगर यह राय पूरी तरह सही साबित न हो सकी।
 
राजनीतिक विश्लेषक डॉक्टर रसूल बख़्श रईस कहते हैं कि पीटीआई के लिए नतीजे उम्मीद से भी अधिक बेहतर आए हैं। हालांकि नवाज लीग को यह बिल्कुल अंदाजा नहीं था कि इस तरह के नतीजे आएंगे।
 
राजनीतिक विश्लेषक प्रोफेसर फारूक हसनात भी समझते हैं कि नतीजे बिल्कुल उम्मीदों के अनुसार आए हैं। उनके अनुसार यह नजर आ रहा था कि पीटीआई समर्थित उम्मीदवार बड़ी संख्या में कामयाब होंगे और पीटीआई के युवा और महिला वोटर्स घरों से निकलकर पोलिंग स्टेशन पहुंचेंगे।
 
चुनाव की साख पर उठने वाले सवाल
चुनाव आयोग ने चुनाव से पहले समय पर नतीजे घोषित करने के बारे में कई दावे किए थे। चुनाव आयोग को अपने इलेक्शन मैनेजमेंट सिस्टम (ईएमएस) पर भी पूरा भरोसा था।
 
लेकिन चुनाव की प्रक्रिया ख़त्म होने के बाद गिनती शुरू हुई और नतीजे सामने आने लगे तो ऐसा लगा कि पीटीआई समर्थित आज़ाद उम्मीदवार मैदान मार रहे हैं लेकिन इसके बाद नतीजे आने की रफ़्तार धीमी पड़ती चली गई।
 
9 फ़रवरी की सुबह चार बजे चुनाव आयोग की ओर से पहले नतीजे की घोषणा की गई। उसके बाद भी चुनाव परिणाम आने में समय लग रहा था। यहां तक कि मियां नवाज शरीफ और पीटीआई समर्थित उम्मीदवार डॉक्टर यासमीन राशिद के बीच हुए मुक़ाबले का नतीजा 9 फ़रवरी की सुबह साढ़े दस बजे के आसपास आया।
 
जब रात को नतीजे आने में देरी होने लगी तो उस समय मीडिया रिपोर्टों के अनुसार यासमीन राशिद की मियां नवाज शरीफ पर बढ़त बताई जा रही थी लेकिन देरी का 'शिकार' होने के बाद जब अंतिम नतीजा आया तो मियां नवाज शरीफ भारी बहुमत से जीत गए।
 
इस चुनाव परिणाम और बाक़ी चुनाव परिणामों में देरी के कारण चुनाव आयोग की तीखी आलोचना हुई। मगर मुस्लिम लीग (नवाज), जो देश की सबसे बड़ी पार्टी होने का दावा करती है, की ओर से चुनाव आयोग की आलोचना नहीं की गई।
 
इस बात ने चुनाव परिणाम की पारदर्शिता पर कई आशंकाओं को जन्म दिया।
 
सवाल उठने लगे कि जब दूसरे दल चुनाव आयोग की आलोचना कर रहे हैं तो मुस्लिम लीग (नवाज) की ओर से चुप्पी क्यों है?
 
इससे यह राय बनी कि चुनाव परिणाम में देरी से मुस्लिम लीग (नवाज) को फ़ायदा हो रहा है। देरी का शिकार होने वाले अधिकतर नतीजे कराची और पंजाब के थे।
 
डॉक्टर रसूल बख़्श रईस कहते हैं कि चुनाव किस हद तक पारदर्शी होंगे, यह तो पहले ही पता चल रहा था। "रही सही कसर नतीजों की धीमी गति ने निकाल दी।"
 
ध्यान रहे कि मतदान के दिन इंटरनेट और मोबाइल फ़ोन सेवाओं पर पाबंदी ने भी कई अफ़वाहों को जन्म दिया। देर रात तक दोनों सेवाएं बंद रही थीं।
 
अब आगे क्या होगा?
सबसे महत्वपूर्ण सवाल यह है कि अब आगे क्या होने जा रहा है? केंद्र और चारों राज्य असेंबलियों में संभावित तौर पर किस तरह का परिदृश्य बनने जा रहा है?
 
पीटीआई समर्थित उम्मीदवारों की बढ़त ने केंद्र सरकार बनाने में मुश्किल पैदा कर दी है। मुस्लिम लीग (नवाज) और पीपुल्स पार्टी मिलकर केंद्र सरकार बना सकती हैं लेकिन दूसरे दलों से गठबंधन की ज़रूरत भी पड़ सकती है।
 
मगर ऐसी स्थिति में जोड़-तोड़ के साथ एक दूसरे को ब्लैकमेल भी किया जाएगा। पीपीपी के बिलावल भुट्टो ज़रदारी कई बार मुस्लिम लीग (नवाज) से गठबंधन न करने की बात कह चुके हैं।
 
बिलावल अपनी भविष्य की राजनीति को मुस्लिम लीग (नवाज) विरोधी नैरेटिव के साथ आगे बढ़ाना चाहते हैं। ऐसा कर वह उस पीढ़ी के वोटर्स को अपनी ओर खींचना चाहते हैं जो मुस्लिम लीग से ख़ुश नहीं हैं।
 
मगर उनके पिता आसिफ़ अली ज़रदारी का राजनीतिक रवैया अलग है, हालांकि वह बिलावल को अगला प्रधानमंत्री भी बनते देखना चाहते हैं।
 
पीपीपी और मुस्लिम लीग के बीच समझौते के आसार
इन दोनों पार्टियों के बीच संभावित तौर पर किस हद तक समझौता हो सकता है?
 
डॉक्टर रसूल बख़्श रईस कहते हैं कि निश्चित तौर पर पीडीएम (पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट) की तर्ज़ की सरकार बनेगी और पीपुल्स पार्टी अच्छे ढंग से सत्ता में अपना हिस्सा लेगी। "अध्यक्षता पीपुल्स पार्टी को मिल सकती है।"
 
डॉक्टर रसूल बख़्श की राय पर विचार किया जाए तो जेयूआई (जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम) और एमक्यूएम समेत सभी छोटे बड़े दलों को केंद्र सरकार बनाने के लिए राजनीतिक गठबंधन करना पड़ेगा।
 
राज्य सरकारों के निर्माण के बारे में विचार किया जाए तो ख़ैबर पख़्तूनख़्वाह और सिंध में स्थिति काफ़ी हद तक साफ़ है।
 
सिंध में पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी एक बार फिर सरकार बनाएगी। इसी तरह ख़ैबर पख़्तूनख़्वाह में पीटीआई की सरकार बनने देना होगा।
 
मगर यहां थोड़ा शक है क्योंकि पीटीआई के कामयाब उम्मीदवार आज़ाद हैं? क्या आज़ाद उम्मीदवारों की सरकार बनेगी? विशेष सीटों का क्या होगा? इन सवालों का जवाब बाद में मिल पाएगा।
 
बलूचिस्तान में राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दल मिलकर ही सरकार बनाएंगे। लेकिन असल मामला पंजाब का है।
 
पंजाब में मुस्लिम लीग (नवाज) ने अधिकतर सीटें जीती हैं मगर आज़ाद उम्मीदवार भी बड़ी संख्या में जीतकर आए हैं।
 
डॉक्टर रसूल बख़्श रईस के अनुसार पंजाब में मुस्लिम लीग (नवाज) ही सरकार बनाएगी। पंजाब में सरकार बनाए बिना वह केंद्र में सरकार नहीं बनाएगी।
 
आज़ाद उम्मीदवारों की स्थिति और अगला प्रधानमंत्री कौन?
इस बार कामयाब होने वाले आज़ाद उम्मीदवार दो तरह के हैं। एक पीटीआई समर्थित और दूसरे बिना पीटीआई के समर्थन वाले। मगर बिना पीटीआई समर्थन वाले आज़ाद उम्मीदवारों की संख्या एक दर्जन से अधिक नहीं है। आज़ाद सदस्य अगर किसी दल में शामिल नहीं होते तो उनकी स्थिति फिर आज़ाद ही रहेगी।
 
मगर पीटीआई अपने समर्थित उम्मीदवारों के बारे में यह नहीं चाहेगी कि वह पांच साल आज़ाद ही रहें। अगर ऐसा ही है तो फिर क्या होगा?
 
दोनों बड़े राजनीतिक दल यानी मुस्लिम लीग (नवाज) और पीपुल्स पार्टी अधिक से अधिक आज़ा उम्मीदवारों को अपने-अपने दल में शामिल करने की कोशिश कर रहे हैं।
 
क्या पीटीआई समर्थित आज़ाद उम्मीदवारों को तोड़ा जा सकेगा?
प्रोफ़ेसर फ़ारूक़ हसनात कहते हैं कि आज़ाद सदस्यों को तीन दिन के अंदर किसी दल में शामिल होना होगा वरना उनकी हैसियत आज़ाद ही रह जाएगी। मगर पीटीआई अपने सदस्यों को पांच साल आज़ाद रखने की नीति नहीं अपनाएगी।
 
वह कहते हैं कि जहां तक पीटीआई के आज़ाद सदस्यों के दूसरे दल में शामिल होने का मामला है तो इसका सवाल ही पैदा नहीं होता।
 
इसकी वजह यह है कि इन उम्मीदवारों को मालूम है कि अगर उन्होंने वफ़ादारी बदली तो उनका नतीजा भी वही होगा जो उनसे पहले वालों का हुआ है।
 
प्रोफ़ेसर फ़ारूक़ हसनात का कहना है कि दूसरी बात यह है कि आज़ाद उम्मीदवार हर तरह की मुश्किलें देख चुके हैं। "वे अब किसी भी ग़ैर-राजनीतिक शक्ति के सामने झुकेंगे नहीं।"
 
डॉक्टर रसूल बख़्श रईस कहते हैं कि जो आज़ाद उम्मीदवार पीटीआई समर्थित नहीं हैं, वह ख़रीदे जाएंगे, शायद कुछ पीटीआई समर्थित उम्मीदवार भी वफ़ादारी बदलने को तैयार हो जाएं। पीटीआई के समर्थक उम्मीदवार आज़ाद ग्रुप के रूप में भी रह सकते हैं और किसी छोटी पार्टी में भी जा सकते हैं।
 
अब सवाल यह है कि अगला प्रधानमंत्री कौन होगा?
एक तरफ़ मियां नवाज शरीफ उम्मीदवार हैं तो दूसरी तरफ़ आसिफ़ अली ज़रदारी ने पीपुल्स पार्टी की ओर से बिलावल भुट्टो ज़रदारी को प्रधानमंत्री बनाने की बात कही है।
 
डॉक्टर रसूल बख़्श रईस कहते हैं कि मुस्लिम लीग (नवाज) के सूत्रों के अनुसार यह बात कही गई थी कि अगर दो तिहाई बहुमत आया तो मियां नवाज शरीफ, वर्ना शहबाज़ शरीफ संभावित प्रधानमंत्री होंगे लेकिन अभी इस बारे में कुछ भी कहना जल्दबाज़ी होगी।

हमारे साथ WhatsApp पर जुड़ने के लिए यहां क्लिक करें
Share this Story:

वेबदुनिया पर पढ़ें

समाचार बॉलीवुड ज्योतिष लाइफ स्‍टाइल धर्म-संसार महाभारत के किस्से रामायण की कहानियां रोचक और रोमांचक

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

भारत रत्न देकर क्या पीएम मोदी चुनावी समीकरण साध रहे हैं?