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पतियों को तलाक़ देकर आपस में शादी रचाने वाली लड़कियों की कहानी

हमें फॉलो करें पतियों को तलाक़ देकर आपस में शादी रचाने वाली लड़कियों की कहानी
, शनिवार, 5 जनवरी 2019 (14:19 IST)
- समीरात्मज मिश्र (हमीरपुर से, बीबीसी हिंदी के लिए)
 
हमीरपुर ज़िला मुख्यालय से क़रीब अस्सी किलोमीटर दूर राठ तहसील के एक छोटे से क़स्बे में अभिलाषा और दीपशिखा नाम की दो युवतियों ने नए सिरे से दांपत्य जीवन शुरू किया है। 25 साल की अभिलाषा और 21 साल की दीपशिखा की शादी भले ही उनके मां-बाप ने कहीं और कर दी थी, लेकिन ये दोनों एक-दूसरे के प्रेम-पाश में इस क़दर जकड़ी थीं कि अपने पतियों को तलाक़ देकर पहले साथ रहना शुरू किया, फिर शादी कर ली।
 
 
अभिलाषा बताती हैं, "हम दोनों एक-दूसरे को पिछले छह साल से जानते हैं और प्रेम करते हैं। हमारे घरवालों को भी इसकी जानकारी थी, इसीलिए हम दोनों के मां-बाप ने हमारी मर्ज़ी के बग़ैर हमारी शादी कर दी। मेरी शादी को तीन साल हो गए थे। मैंने अपने पति को इस बारे में बताया और फिर उसको तलाक़ दे दिया। पिछले महीने मैंने और दीपशिखा ने शादी कर ली।"
 
 
अभिलाषा का उसके पति से तलाक़ हो चुका है, लेकिन दीपशिखा कहती हैं कि उनका तलाक़ का मामला अभी लंबित है लेकिन वो पति के साथ नहीं रह रही हैं। शादी के बाद दोनों लड़कियां राठ तहसील के पठानपुरा इलाक़े में अभिलाषा के पिता के ही घर पर ही रह रही हैं। दीपशिखा बताती हैं, "अभिलाषा के पिता ने तो हमें रहने को जगह दी है, मेरे मां-बाप ने तो घर से निकाल दिया और सारे रिश्ते भी तोड़ लिए।"
 
 
पठानपुरा क़स्बे में अभिलाषा का घर मोहल्ले के बिल्कुल किनारे पर है। कई गलियों से मुड़ते-गुज़रते उनके ईंट के बने कच्चे घर तक बिना किसी से रास्ता पूछे पहुंचना आसान नहीं है।
 
 
'मीडियावालों के कारण बदनामी'
रास्ता किसी से भी पूछिए, वो बता देता है, लेकिन पूछने वाले को जिस तरह से मंद मुस्कान के साथ देखता है, उससे ये पता चल जाता है कि इस रिश्ते के बारे में उसके क्या ख़याल हैं। चौराहे से दाहिने हाथ घूमते ही हमने जिस युवक से अभिलाषा के बताए पते को पूछा तो उसका जवाब मुस्कराहट के साथ एक सवाल के रूप में मिला, "वहीं क्या जहां दो लड़कियों ने शादी कर ली है?"
 
 
ख़ैर, हम अभिलाषा के घर तो पहुंच गए और वहां इन दोनों लड़कियों के अलावा उनके पिता और वहां मौजूद कुछ पड़ोसियों से भी मुलाक़ात हुई लेकिन देखते ही देखते घर के बाहर भीड़ लग गई। इस बीच, दीपशिखा ये कहते हुए बात करने से मना करने लगी कि 'मीडिया वालों के कारण उनकी बदनामी हो रही है।'
 
 
दीपशिखा ने बताया, "जिस दिन से हम लोगों ने शादी की है और रजिस्ट्रेशन के लिए कचहरी गए थे, उसके बाद से हमें लोग अजीब तरीक़े से देख रहे हैं। इसीलिए हम बाहर भी नहीं निकल रहे हैं। हम दोनों पढ़े-लिखे हैं और चाहते हैं कि कोई नौकरी मिल जाए तो फिर कहीं और जाकर अलग रहें और हमें किसी पर निर्भर न रहना पड़े।"
 
आसपास के गांव की हैं दोनों
दीपशिखा ने बताया कि वो अभी बीए की पढ़ाई कर रही हैं जबकि अभिलाषा ने बीए कर लिया है। फ़िलहाल दोनों के पास आजीविका का कोई साधन नहीं है और दोनों अभिलाषा के पिता के ही घर पर हैं।
 
 
अभिलाषा के पिता अजय प्रताप सिंह गुड़गांव में प्राइवेट नौकरी करते हैं। उन्होंने बीबीसी को बताया कि उन्हें ये जानकारी तब हुई जब दोनों मंदिर में शादी करके घर लौटीं, "मेरी लड़की ने तलाक़ तो दे दिया था लेकिन इस रिश्ते के बारे में मुझे कुछ नहीं पता था। ये तो उस दिन जब दोनों गले में माला डाले लौटीं, तब मुझे पता चला। फिर क्या कर सकते थे, जब दोनों ने साथ रहने का ही फ़ैसला किया है।"
 
 
अजय प्रताप सिंह कहते हैं कि जब तक ये दोनों अपने पैरों पर खड़ी नहीं हो जातीं, तब तक वो अपने घर पर रखेंगे। उन्हें इससे कोई दिक़्क़त भी नहीं है और वो इसकी परवाह भी नहीं करते कि कोई क्या कहता है। दीपशिखा बताती हैं कि अभिलाषा के घर वालों से उन्हें काफ़ी मदद मिल रही है, अन्यथा दोनों का अकेले रहना मुश्किल हो जाता।

 
दोनों लड़कियां आस-पास के गांवों की ही रहने वाली हैं और पठानपुरा क़स्बे से बाहर की दुनिया के तौर पर उन्होंने राठ तहसील और हमीरपुर ज़िला मुख्यालय ही देखा है लेकिन अपने समलैंगिक संबंधों को सामाजिक और क़ानूनी तौर पर सही ठहराने के लिए।
 
 
बेबाक तर्क
इन दोनों से बातचीत और इनके सामाजिक परिवेश को देखते हुए विश्वास करना थोड़ा मुश्किल लगता है कि समलैंगिक संबंधों पर ये इतनी बेबाकी और तर्कों के साथ बातचीत करेंगी। अभिलाषा बताती हैं, "सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक संबंध को क़ानूनी बना दिया है, फिर भी हमारी शादी का रजिस्ट्रेशन नहीं हो रहा है। अधिकारी कह रहे हैं कि अभी आदेश नहीं आया है।"
 
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हमीरपुर में पंजीयन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि अभी तक उनके पास सुप्रीम कोर्ट के आदेश से जुड़ा कोई शासनादेश नहीं आया है। निबंधन कार्यालय के सब रजिस्ट्रार रामकिशोर पाल कहते हैं, ''राठ कोतवाली क्षेत्र में रहने वाली दो युवतियां उनके कार्यालय आईं थीं और एक-दूसरे के गले में जयमाला डाल कर शादी रचा ली। लेकिन अभी समलैंगिक शादी के रजिस्ट्रेशन के लिए हमारे पास कोई फ़ॉर्मेट नहीं है, इसलिए अभी इनकी शादी का रजिस्ट्रेशन नहीं हो पाया।''
 
 
अभिलाषा बताती हैं कि पहले उन्हें इस बारे में किसी से कुछ कहने या फिर कोई क़दम उठाने के बारे में डर लगता था लेकिन पिछले साल महोबा में दो लड़कियों ने समलैंगिक शादी की थी। वो बताती हैं, "उसके बाद हमने भी शादी करने के बारे में सोचा और फिर तमाम विरोधों और दिक़्क़तों के बावजूद कर भी ली।"
 
 
हमीरपुर में स्थानीय पत्रकार अरुण श्रीवास्तव कहते हैं, "बुंदेलखंड जैसे इलाक़े में समलैंगिक संबंधों पर बात करना ही बड़ी बात है, शादी कर लेना तो किसी क्रांतिकारी क़दम से बढ़कर नहीं है। जब से ये ख़बर आई है कई लोगों को विश्वास ही नहीं हो रहा है। यहां तक कि जब ये अपनी शादी का रजिस्ट्रेशन कराने आईं तो लोग इस तरह से देख रहे थे जैसे कि ये लड़कियां कोई अजूबा हों।"
 
 
बहरहाल, लड़कियों को ये पूरा भरोसा है कि 'ज़माना कुछ भी कहे, दोनों मरते दम तक एक-दूसरे के साथ रहेंगे।'
 

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