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सिंगापुर में इतनी जल्दी कैसे आई बेशुमार दौलत

हमें फॉलो करें सिंगापुर में इतनी जल्दी कैसे आई बेशुमार दौलत
, बुधवार, 30 मई 2018 (17:34 IST)
सिंगापुर एक ऐसा देश जो अपने क्षेत्रफल के मामले में दिल्ली और इस्लामाबाद से भी छोटा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इंडोनेशिया गए हैं और यहां के बाद सिंगापुर पहुंचने वाले हैं। पीएम मोदी हर समस्या का समाधान विकास बताते हैं और सिंगापुर ने पूरी दुनिया में बहुत छोटे वक़्त में विकास की बेमिसाल गाथा लिखी है।
 
 
जब ये देश आज़ाद हुआ था तब इसके पास शायद ही ऐसी कोई चीज़ थी जिससे यह देश अपनी ग़रीबी से छुटकारा पा सके। सिंगापुर के पास न तो खेती योग्य ज़मीन थी और न ही खनिज संपदा। ज़्यादातर जनसंख्या भी झुग्गी बस्तियों में रहा करती थी।
 
 
सिंगापुर। एक ऐसा देश जो अपने क्षेत्रफल के मामले में दिल्ली और इस्लामाबाद से भी छोटा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इंडोनेशिया गए हैं और यहां के बाद सिंगापुर पहुंचने वाले हैं। पीएम मोदी हर समस्या का समाधान विकास बताते हैं और सिंगापुर ने पूरी दुनिया में बहुत छोटे वक़्त में विकास की बेमिसाल गाथा लिखी है।
 
 
जब ये देश आज़ाद हुआ था तब इसके पास शायद ही ऐसी कोई चीज़ थी जिससे यह देश अपनी ग़रीबी से छुटकारा पा सके। सिंगापुर के पास न तो खेती योग्य ज़मीन थी और न ही खनिज संपदा। ज़्यादातर जनसंख्या भी झुग्गी बस्तियों में रहा करती थी। लेकिन साल 1942 में जापान ने ब्रिटेन को शर्मनाक अंदाज़ में हरा दिया।
 
 
तब ब्रितानी प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल ने इस हार को "ब्रितानी इतिहास का सबसे बुरा नुक़सान और सबसे बड़ा आत्म-समर्पण" बताया था। लेकिन 1944-45 में अमेरिकी विमानों ने जापान के कब्ज़े वाले सिंगापुर पर हमला बोल दिया। इस हमले में सिंगापुर पर ज़ोरदार बमबारी की गई जिससे यहां के व्यापारिक बंदरगाहों को बुरी तरह नुक़सान पहुंचा। लेकिन इसके बाद सिंगापुर ने अपने लिए एक नई कहानी गढ़ना शुरू कर दिया।
 
 
जब सिंगापुर को मिला अपना हीरो 'हैरी ली'
जापान के कब्ज़े वाले दिनों में सिंगापुर की आबादी को तमाम प्रताड़नाओं का सामना करना पड़ा। साल 16 सितंबर 1923 को जन्म लेने वाले ली कुआन यी एक चीनी अप्रवासी परिवार की तीसरी पीढ़ी के बेटे थे। सिंगापुर के अंग्रेज़ी मीडियम स्कूल में पढ़ने वाले ली कुआन यी का अंदाज़ भी अंग्रेज़ों जैसा ही था। तभी बचपन में उन्हें 'हैरी ली' कहकर पुकारा जाता था।
 
 
जापानी कब्ज़े के दौरान ली की पढ़ाई काफ़ी प्रभावित हुई। लेकिन जब युद्ध ख़त्म हो गया तो उन्होंने लंदन स्कूल ऑफ़ इकॉनोमिक्स और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से पढ़ाई की। छात्र जीवन से ही समर्पित समाजवादी रहे ली सिंगापुर लौटकर एक प्रमुख ट्रेड यूनियन वकील बन गए।
 
 
सिंगापुर को दिलाई आज़ादी
साल 1954 में ली ने पीपुल्स एक्शन पार्टी (पीएपी) की स्थापना की। इसके बाद ली इस पार्टी के महासचिव बने और अगले 40 सालों तक इस पद पर रहे। साल 1959 के चुनावों में पीएपी ने बहुमत हासिल किया। इस तरह सिंगापुर पूरी तरह से अंग्रेज़ों के नियंत्रण से निकलकर स्वशासित राज्य बन गया।
 
 
ली ने सिंगापुर का विलय मलेशिया के साथ 1963 में किया लेकिन कई कारणों के चलते यह गठबंधन ज़्यादा दिन नहीं चल पाया। इसके बाद 1965 में वैचारिक रस्साकशी और जातीय समूहों के बीच हिंसक संघर्ष के बाद सिंगापुर संघ से निकलकर स्वतंत्र देश बन गया। ली के लिए यह एक मुश्किल क़दम था जिनके लिए मलेशिया से संधि सिंगापुर के औपनिवेशिक अतीत से दूर फेंकने की एक कोशिश थी। उन्होंने इसे एक ख़राब दौर बताया।
 
 
सिंगापुर को फिर से बनाने की प्रक्रिया शुरू
बरसों तक पहले ब्रितानी राज, जापानी कब्ज़े और फिर मलेशिया के प्रभुत्व से आज़ाद होकर सिंगापुर एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में सांस ले रहा था। लेकिन इस देश के पास ऐसी कोई चीज़ नहीं थी जो इसे विकास के रास्ते पर ईंधन देने का काम कर सके। ज़्यादातर लोग कच्चे झोपड़ी नुमा घरों में रहने को मजबूर थे।
 
 
वर्ल्ड बैंक की एक रिपोर्ट के मुताबिक़, 1965 में सिंगापुर की प्रति व्यक्ति जीडीपी 516 अमेरिकी डॉलर थी और क़रीब आधी जनसंख्या अशिक्षित थी। लेकिन इसके बावजूद सिंगापुर ने 1960 से 1980 तक प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय उत्पाद में 15 गुना की वृद्धि करने जैसा कीर्तिमान बनाया है। सिंगापुर के पूर्व प्रधानमंत्री ली कुआन यी मानते थे कि इसराइल की तरह सिंगापुर को भी छलांग लगाकर आसपास के क्षेत्र के अन्य देशों को पीछे छोड़ना है और बहुराष्ट्रीय कंपनियों को आकर्षित करना है।
 
 
हालांकि, एक बर्बाद और छोटे से देश से चमचमाती इमारतों का मुल्क बनने की प्रक्रिया में सिंगापुर के लोगों ने एक बड़ी क़ीमत भी चुकाई है। सिंगापुर की सरकार ने आबादी को निंयत्रण में लाने के लिए दो से ज़्यादा बच्चे पैदा करने वाले लोगों पर कर लगाना शुरू कर दिया। यही नहीं, भ्रष्टाचार की समस्या से निपटने के लिए सिंगापुर में ऐसे कड़े क़ानून बनाए गए जिनकी वजह से भ्रष्टाचार में कमी देखी गई। सिंगापुर में शानदार सड़कें और हाइवे निर्माण पर जोर दिया गया जिससे आधारभूत ढांचे का विकास किया जा सके।
 
 
सिंगापुर ने कैसे की इतनी कमाई
सिंगापुर की सूरत बदलने में इसकी भौगोलिक स्थिति का भी एक बड़ा योगदान है। ये देश मलक्का जलडमरूमध्य के मुहाने पर स्थित है जहां से दुनिया का 40 फ़ीसदी समुद्री व्यापार होकर गुज़रता है जिससे इस देश को भारी कमाई होती है। इसकी 190 किलोमीटर लंबी तटीय रेखा पर कई गहरे पानी वाले बंदरगाह हैं।
 
 
यही नहीं, ली कुआन यी की सरकार ने शुरुआत से ही सिंगापुर में रहने वाली मिश्रित आबादी को शिक्षित करने और मानव संसाधन पर पैसा ख़र्च किया। फिलहाल, सिंगापुर को दुनिया का आर्थिक अड्डा माना जाता है क्योंकि सिंगापुर के बैंक वैश्विक स्तर की सेवाएं देने में सक्षम हैं।
 
 
साल 2017 की ग्लोबल फाइनेंस सेंटर इंडेक्स में सिंगापुर को लंदन और न्यूयॉर्क के बाद तीसरे सबसे प्रतिस्पर्धी आर्थिक केंद्र का दर्जा दिया गया। सिंगापुर सरकार के मुताबिक़, साल 2017 में एक करोड़ 74 लाख अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों ने सिंगापुर का भ्रमण किया था जो कि सिंगापुर की कुल जनसंख्या की तीन गुना है।
 
 
आम लोगों के लिए कैसा है सिंगापुर?
सिंगापुर में रहने वाले कई प्रवासी इस देश के महंगाई स्तर से ख़ुद को इतना प्रभावित नहीं मानते हैं क्योंकि सिंगापुर में लोगों की आमदनी दूसरे देशों के मुक़ाबले बेहतर है। सिंगापुर सरकार के मुताबिक़, सिंगापुर में अपना घर ख़रीदने वाले लोगों का प्रतिशत 100 में से 90.7 है।
 
 
सिंगापुर की सफलता की बात जब जब की जाती है तो पूर्व प्रधानमंत्री ली कुआन यी की एक बात को याद किया जाता है। ली ने एक बार कहा था, "आख़िर मुझे क्या मिला? एक सफल सिंगापुर। बदले में मैंने क्या दिया? मेरा जीवन।"
 
 
भ्रष्टाचार का ख़ात्मा
ली ने अरब देशों से घिरे इसराइल के मॉडल को माना। उनका कहना था कि इसराइल की तरह, हमें भी छलांग लगाकर क्षेत्र के अन्य देशों को पीछे छोड़ना है और बहुराष्ट्रीय कंपनियों को आकर्षित करना है। वह चीन के साथ अच्छे संबंधों के महत्व को समझते थे। चीनी नेता देंग जियाओपिंग के साथ अपनी दोस्ती से उन्हें मदद मिली।
 
 
देंग ने 1978 में सिंगापुर का दौरा किया और ली की आर्थिक नीतियों की प्रशंसा की, ली भी देंग के द्वारा चीन में किए गए सुधारों से प्रभावित हुए थे। सिंगापुर में फैले भ्रष्टाचार को ख़त्म करने के लिए ली ने नए उपाय किए और रोज़गार उपलब्ध कराने के लिए कम लागत के आवास और औद्योगीकरण के कार्यक्रम की शुरूआत की। उन्होंने सिंगापुर की बहु-संस्कृतिवाद के आधार पर एक अलग पहचान बनाने की कोशिश की। इसके लिए उन्होंने विभिन्न जातीय समूहों को एक साथ जोड़ा।
 

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